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हेपेटाइटिस से बचाव के लिए ऐसे पहचाने बीमारी के लक्षण, यहां जानिए कैसे रखें खुद का ख्‍याल

डॉ.पीयूष मिश्रा ने बताया कि हेपेटाइटिस लिवर की वायरसजनित खतरनाक बीमारी है। ब्लड टेस्ट से इसकी पहचान की जा सकती है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 31 Jul 2020 08:10 AM (IST)Updated: Fri, 31 Jul 2020 03:14 PM (IST)
हेपेटाइटिस से बचाव के लिए ऐसे पहचाने बीमारी के लक्षण, यहां जानिए कैसे रखें खुद का ख्‍याल
हेपेटाइटिस से बचाव के लिए ऐसे पहचाने बीमारी के लक्षण, यहां जानिए कैसे रखें खुद का ख्‍याल

नई दिल्ली, जेएनएन। स्वच्छता और शारीरिक दूरी ही बचाएगी आपको कोविड-19 के संक्रमण से इसलिए घर में रहना ही सुरक्षित है लेकिन यदि आप हेपेटाइटिस की समस्या से जूझ रहे हैं तो चिकित्सक के संपर्क में जरूर रहें। खानपान की गड़बड़ी या लिवर में किसी अन्य माध्यम से संक्रमण की अनदेखी आगे चलकर सेहत के लिए बड़ा खतरा बनती है। लिवर में होने वाली किसी भी शुरुआती समस्या में पीलिया, लिवर का फैटी होना, सूजन, जलन आदि हो सकता है। इस तरह की कोई भी परेशानी उपचार के अभाव में हेपेटाइटिस जैसी गंभीर समस्या को जन्म देती है। जानें क्‍या कहते है कानपुर के गैस्ट्रोइंटेरोलॉजिस्ट डॉ.पीयूष मिश्रा

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हेपेटाइटिस लिवर की वायरसजनित खतरनाक बीमारी है। ब्लड टेस्ट से इसकी पहचान की जा सकती है। इसके अलावा लिवर फंक्शन टेस्ट, एंटीजन, एंटीबॉडीज टेस्ट और अल्ट्रासांउड के माध्यम से भी हेपेटाइटिस के सभी प्रकारों की जांच की जाती है ताकि पता चल सके कि कौन सा वायरस है और कितना एक्टिव है। टेस्ट की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद डॉक्टर की सलाह पर तुरंत इलाज शुरू करना चाहिए। कई मामलों में गर्भवती महिलाओं में यदि यह संक्रमण है तो संभावना है कि यह नवजात बच्चे में भी पहुंच जाए, इसीलिए प्रेग्नेंसी के दौरान इसकी जांच अवश्य करवानी चाहिए। कोई भी लक्षण नजर आए तो बिना देरी किए डॉक्टर से सलाह लेकर उचित उपचार करवाना चाहिए।

बीमारी के मुख्य लक्षण

  • जोड़ों व मांसपेशियों में दर्द होना
  • आंखों व त्वचा की रंगत पीली पड़ना
  • बुखार आना या हल्का बुखार बना रहना
  • लगातार वजन गिरना और उल्टियां होना
  • भूख कम लगना या भोजन से अरुचि होना
  • उल्टी में रक्त का आ जाना या चक्कर खाकर बेहोश हो जाना
  • घबराहट होना, थकान महसूस करना और थोड़ा काम करने में ही हांफने लगना

लिवर का रखें ख्याल

  • तैलीय भोज्य पदार्थों से दूरी बनाएं
  • योग, व्यायाम और टहलने की आदत डालें
  • शराब, तंबाकू और धूमपान की लत से तौबा करें
  • पौष्टिक और सुपाच्य आहार लें, वजन नियंत्रित रखें
  • केक, पेस्ट्री, चॉकलेट, अल्कोहल, डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ के सेवन से परहेज करें
  • किसी बीमारी का उपचार ले रहे हैं तो लिवर का भी ध्यान रखें। कई बार दवाएं लिवर में संक्रमण का कारण बनती हैं

हेपेटाइटिस के वायरस पांच प्रकार के होते हैं। इनमें ए और ई वायरस का कारण संक्रमित पानी या भोजन होता है और फिलहाल बारिश के मौसम में इस तरह की स्थिति आम होती है। इसलिए इस मौसम में खानपान के प्रति अधिक सतर्कता बरतनी चाहिए। हेपेटाइटिस बी और सी के संक्रमण का कारण असुरक्षित यौन संबंध, संक्रमित ब्लड, निडिल, लंबे समय से पीलिया और असुरक्षित तरीके से टैटू बनवाना आदि होता है, जबकि हेपेटाइटिस डी को मेडिकल साइंस में सामान्य पीलिया की श्रेणी में रखा गया है और यह संक्रमित भोजन व पानी से ही होता है। कुछ सप्ताह के इलाज से यह दूर भी हो जाता है।

लंबे समय तक अधिक अल्कोहल का सेवन भी हेपेटाइटिस का कारण बनता है। इसे अल्कोहलिक हेपेटाइटिस कहते हैं। हेपेटाइटिस सी की दवाएं आ चुकी है और इसका उपचार संभव है, जबकि हेपेटाइटिस बी के रोगियों के लिए लापरवाही जानलेवा साबित होती है, क्योंकि इसका उपचार लंबे समय तक चलता है और रोगी को बहुत संयमित जीवनशैली जीने की जरूरत होती है। हेपेटाइटिस ए और बी के टीके भी उपलब्ध हैं, जिन्हें लगवाकर इसके संक्रमण से बचा जा सकता है।


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