पेट्रोल-डीजल की महंगी कीमत आम लोगों को रुला रही, जानिए क्या है महंगे तेल की वजह
पेट्रोल और डीजल पर केंद्र और राज्य सरकारों दोनों टैक्स वसूलती हैं और कोई भी राज्य पेट्रोल-डीजल से होने वाली कमाई को नहीं छोड़ता चाहता है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतें सातवें आसमान पर पहुंच गई हैं। पिछले कुछ महीनों से पेट्रोल-डीजल की कीमतों में हुई बेतहाशा वृद्धि से उद्योग जगत भी सहम उठा है। वहीं, आम जनता के बीच भी हाय-तौबा मची हुई है।
इतना ही नहीं पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में भारत के मुकाबले पेट्रोल-डीजल सस्ता बिक रहा है। केवल पाकिस्तान में ही नहीं बल्कि भारत के पड़ोसी देश नेपाल, भूटान, चीन, म्यांमार, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में भी पेट्रोल और डीजल की कीमतें भारत के मुकाबले कम हैं। ये तो हुई पड़ोसी मुल्कों की बात, लेकिन भारत में भी अलग-अलग राज्य के अलग-अलग शहरों में भी पेट्रोल-डीजल अलग-अलग दाम में बिक रहा है। ये पचा पाना तो लोगों के लिए और भी मुश्किल हो रहा है। लेकिन ऐसा क्यों हो रहा है, ये समझना भी जरूरी है।
केंद्र-राज्य के टैक्स और डीलर कमीशन में फंसे आप
केंद्र और राज्य सरकारों दोनों ही पेट्रोल-डीजल पर आपसे टैक्स वसूलती हैं। हर राज्य पेट्रोल-डीजल पर अलग-अलग वैट यानी टैक्स लगाता है और कोई भी राज्य इससे होने वाली कमाई को छोड़ना नहीं चाहता है। उदाहरण के तौर पर अगर दिल्ली की बात की जाए, तो डीलर का कमीशन व टैक्स को मिलाकर आप 76.57 रुपये प्रति लीटर पेट्रोल खरीद रहे हैं।
यानी अगर डीलर कमीशन और टैक्स को हटा दें तो आपको पेट्रोल इसके आधे से भी कम दाम में मिलेगा। कुल मिला कर प्रति लीटर पेट्रोल की रिटेल कीमत में टैक्स और कमीशन की हिस्सेदारी करीब 53 फीसद है। इस लिहाज से कोई भी चीज महंगी होगी ही। सीधी बात की जाए, तो केंद्र और राज्य सरकारें पेट्रोल व डीजल पर भारी-भरकम टैक्स का मोह नहीं छोड़ पा रही हैं।
कमजोर रुपये ने हालात की और खराब
कहा जा रहा है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और डॉलर की तुलना में भारतीय रुपए में जारी गिरावट के कारण पेट्रोल और डीजल के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। बता दें कि भारत 80 फीसद तेल आयात करता है। डॉलर के मुकाबले रुपया अब 68 के पार जा चुका है। यानी डॉलर के मुबाकले रुपया और कमजोर हुआ है। जिसका मलतब यह हुआ कि हम तेल आयात के लिए हमें महंगा डॉलर खरीदना पड़ रहा है।
एक्साइज ड्यूटी कम करना मुश्किल
सरकार के लिए पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी घटना अफोर्ड नहीं कर सकती है, क्योंकि सरकार के खजाने में एक बड़ी हिस्सेदारी पेट्रोल-डीजल की कमाई से आती है।
पड़ोसी देशों में पेट्रोल की कीमत
देश रुपये प्रति लीटर
म्यांमार 44
अफगानिस्तान 47
पाकिस्तान 51.79
भूटान 57.24
श्रीलंका 64
नेपाल 67.46
बांग्लादेश 71.55
चीन 81
इस कारण GST के दायरे में नहीं आना चाहती थीं राज्य सरकारें
आपको याद हो तो जीएसटी लागू होने के पीछे देरी का एक कारण पेट्रोल-डीजल को लेकर राज्य सरकारों का विरोध भी था। पेट्रोल-डीजल राज्य सरकारों की कमाई का प्रमुख जरिया है। केंद्र को पेट्रोल पर जितना मिलता है, उसका 42 फीसदी राज्यों को जाता है। राज्य सरकारें इस आय को छोड़ना नहीं चाहतीं, इसलिए पेट्रोल-डीजल के दाम कम नहीं हो पाते। कई बार स्थिति ऐसी भी देखी गई हैं कि अगर पेट्रोल के दाम कम होते हैं तो राज्य सरकार उसपर वैट बढ़ा देती हैं।
तो अब तो आप समझ ही गए होंगे कि केवल कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव या डॉलर की तुलना में रुपये के कमजोर होने से पेट्रोल-डीजल के दामों में बढ़ोतरी नहीं होती है, बल्कि इसमें केंद्र और राज्य सरकारों का भी अहम रोल रहता है।