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DATA STORY: वर्ल्ड में तेजी से बढ़ रहे हैं हार्ट फेल के मामले, भारत पहुंचा दूसरे नंबर पर

रिपोर्ट के मुताबिक हार्ट फेल के मामले 1990-2017 के दौरान चीन और भारत में सबसे अधिक बढ़े हैं। चीन में हार्ट फेल के मामले 29.9 फीसद बढ़े हैं वहीं भारत में 16 फीसद बढ़े हैं। यानी सीधे तौर पर कहें तो यह एशिया में तेजी से बढ़ रहा है।

By Vineet SharanEdited By: Published: Tue, 02 Mar 2021 08:48 AM (IST)Updated: Tue, 02 Mar 2021 11:21 AM (IST)
DATA STORY: वर्ल्ड में तेजी से बढ़ रहे हैं हार्ट फेल के मामले, भारत पहुंचा दूसरे नंबर पर
दुनियाभर में सबसे अधिक मामले इस्केमिक हार्ट रोग के होते हैं। ये कुल मामलों का 26.5 फीसद होते हैं।

नई दिल्ली, अनुराग मिश्र। दुनियाभर में हार्ट फेल के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। दुनिया में हार्ट फेल से होने वाली मौत के मामले में भारत दूसरे नंबर पर है। यह खुलासा यूरोपियन जर्नल ऑफ प्रिवेंटिव कार्डियोलॉजी में प्रकाशित शोध में हुआ है। शोध के मुताबिक, 2017 में हार्ट फेल के केसों की संख्या 64.3 मिलियन थी, जिनमें 29.5 मिलियन पुरुष थे, जबकि महिलाओं की संख्या 34.8 मिलियन थी। रिपोर्ट के अनुसार, 1990 से 2017 के बीच हार्ट फेल के मामलों में 91.9 फीसद की बढ़ोतरी हुई है। अध्ययन के अनुसार, 1990 से 2017 के दौरान हार्ट फेल के मामले करीब-करीब दोगुने हो गए हैं।

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यूरोपियन जर्नल ऑफ प्रिवेंटिव कार्डियोलॉजी में प्रकाशित शोध के अनुसार, हार्ट फेल के मामले 70 से 74 साल के पुरुषों में अधिक है। वहीं, 75-79 साल की महिलाओं में हार्ट फेल के मामले ज्यादा हैं। प्रमुख बात यह है कि 70 साल से अधिक उम्र की महिलाओं में पुरुषों की तुलना में हार्ट फेल के मामले अधिक हैं। रिपोर्ट में बड़ी बात यह है कि हार्ट फेल के मामले 1990-2017 के दौरान चीन और भारत में सबसे अधिक बढ़े हैं। चीन में हार्ट फेल के मामले 29.9 फीसद बढ़े हैं, वहीं भारत में 16 फीसद बढ़े हैं। यानी सीधे तौर पर कहें तो यह एशिया में तेजी से बढ़ रहा है। भारत और चीन जैसे देशों में वायु प्रदूषण भी कार्डियोवास्कलुर रोग और सांस की बीमारी जैसे रोगों का प्रमुख कारण है।

दुनियाभर में सबसे अधिक मामले इस्केमिक हार्ट रोग के होते हैं। ये कुल मामलों का 26.5 फीसद होते हैं। जबकि हाइपरसेंसिटिव हार्ट रोग और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज कुल मामलों का क्रमश: 26.2 और 23.4 प्रतिशत होते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, इस्केमिक हार्ट रोग, ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज और एल्कोहलिक कार्डियोपैथी पुरुषों में अधिक होती है, जबकि हाइपरसेंसिटिव हार्ट रोग और रयूमेटिक हार्ट रोग महिलाओं में अधिक होते हैं।

इस्केमिक हार्ट रोग : इस्केमिक हार्ट रोग ऐसी स्थिति है, जो दिल में रक्त की आपूर्ति को ‎प्रभावित करती है। रक्त वाहिकाओं को उनकी दीवारों पर कोलेस्ट्रॉल के ‎जमाव के कारण संकुचित या अवरुद्ध कर दिया जाता है। इससे हृदय की मांसपेशियों ‎में ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की आपूर्ति कम हो जाती है, जो ‎दिल की उचित कार्यप्रणाली के लिए आवश्यक है। इसकी वजह से अचानक रक्त की आपूर्ति बाधित हो जाती है, जिसके परिणामस्वरूप दिल का दौरा पड़ता है।

हाइपरसेंसिटिव हार्ट रोग : हाइपरसेंसिटिव हार्ट रोग की मुख्य वजह उच्च रक्तचाप माना जाता है। इसकी वजह से हाइपरटेंशन होता है। ऐसे में दिल की बीमारी होने की संभावना बढ़ती है, जिससे हार्ट फेल होने की आशंका बढ़ती है।

क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज : क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज फेफड़ों की बीमारी है। इसके लक्षण अस्थमा और ब्रोंकाइटिस से मिलते-जुलते हैं। यह क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस है, जिसमें मरीज की एनर्जी कम हो जाती है, वह कुछ कदम चलकर ही थक जाता है। सांस नली में नाक से फेफड़े के बीच सूजन के कारण ऑक्सीजन की सप्लाई घट जाती है।

लैसेंट की रिपोर्ट में ये आया था सामने

लैंसेट' में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन के मुताबिक, इस्केमिक (आईएचडी) हृदय रोग के दुनियाभर में मामलों का करीब चौथाई हिस्सा अकेले भारत में होता है। दिल में खून की कम आपूर्ति इस बीमारी का प्रमुख लक्षण है। इस्केमिक हृदय रोग भारतीय मरीजों में हार्ट फेलियर का मुख्य कारण है। 


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