महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के क्षरण मामले में सुप्रीम कोर्ट से गर्भगृह में प्रवेश रोकने की मांग, फैसला सुरक्षित
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के क्षरण मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। याचिकाकर्ता ने मंदिर के गर्भगृह में श्रद्धालुओं के प्रवेश को प्रतिबंधित करने की मांग की।
उज्जैन, जेएनएन। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (Mahakaleshwar Jyotirlinga) के क्षरण को रोकने के लिए महाकाल मंदिर समिति द्वारा किए जा रहे उपायों से संबंधित रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में पेश किए जाने के बाद आगे की सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता के वकील ने मंदिर समिति की रिपोर्ट पर असंतोष जताया और कहा कि ज्योतिर्लिंग के क्षरण को रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। इस दौरान याचिकाकर्ता द्वारा मंदिर के गर्भगृह में श्रद्धालुओं का प्रवेश पूरी तरह प्रतिबंधित करने की मांग भी रखी गई।
अदालत ने फैसला सुरक्षित रखा
सुनवाई पूरी होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। बता दें कि ज्योतिर्लिग क्षरण का मामला अप्रैल 2017 से कोर्ट में चल रहा है। याचिकाकर्ता सारिका गुरु की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने विशेषज्ञों की एक कमेटी गठित कर मंदिर का निरीक्षण करवाया था। कमेटी ने ज्योतिर्लिंग का क्षरण रोकने के लिए मंदिर समिति को सुझाव दिए थे। इसमें शिवलिंग का अभिषेक आरओ जल से करने, पूजन सामग्री सीमित मात्रा में उपयोग करने जैसे कई सुझाव शामिल थे।
कोर्ट ने तलब की थी रिपोर्ट
मई 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर समिति को विशेषज्ञ कमेटी के सुझावों का पालन करने का आदेश दिया था। साथ ही यह भी कहा था कि इस मामले की फिर से समीक्षा की जाएगी। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर समिति से एक रिपोर्ट तलब की थी। 25 अगस्त को महाकाल मंदिर समिति की ओर से रिपोर्ट कोर्ट में पेश की गई। इसमें बताया गया कि कमेटी के सुझावों पर अमल किया जा रहा है।
गर्भगृह में प्रवेश पर प्रतिबंध की मांग
गुरुवार को हुई सुनवाई में याचिकाकर्ता की ओर से भी पक्ष रखे गए। इसमें ज्योतिर्लिंग का क्षरण रोकने के लिए महाकाल मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश पूर्णत: प्रतिबंध करने की मांग की गई है। सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया। सामान्य दिनों में आम श्रद्धालुओं को महाकाल मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश दिया जाता है। इन दिनों कोरोना संक्रमण के कारण पिछले पांच महीने से गर्भगृह में प्रवेश पूरी तरह बंद है।