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पीएम मोदी की समीक्षा बैठक के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोविड मरीजों की डिस्चार्ज नीति में किया बदलाव, जानें नए नियम

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने बुधवार को बताया कि कोविड-19 की स्थिति पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की समीक्षा बैठक के बाद हमने कोविड के हल्के और मध्यम मामलों के साथ अपनी डिस्चार्ज नीति को संशोधित किया है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Wed, 12 Jan 2022 04:40 PM (IST)Updated: Thu, 13 Jan 2022 12:24 AM (IST)
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोविड के हल्के और मध्यम मामलों के साथ अपनी डिस्चार्ज नीति को संशोधित किया है।

नई दिल्‍ली, एजेंसियां। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोविड-19 के मसले पर एक उच्‍च स्‍तरीय समीक्षा बैठक की थी। इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अधिकारियों को कई निर्देश दिए थे। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने बुधवार को बताया कि कोविड-19 की स्थिति पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की समीक्षा बैठक के बाद मंत्रालय ने कोविड मरीजों की डिस्चार्ज नीति में बदलाव किया है। कोविड-19 मरीजों की स्थिति को तीन भागों (हल्के, मध्यम और गंभीर) में बांटा गया है।

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लव अग्रवाल (Lav Agarwal Joint Secretary Health Ministry) ने बताया कि नई नीति के तहत कोविड-19 रिपोर्ट पाजिटिव आने के बाद यदि तीन दिन तक बुखार नहीं आता है तो मरीज को डिस्चार्ज माना जा सकता है। माइल्‍ड केस वाले मरीजों को कम से कम सात दिनों में डिस्‍चार्ज किया जाएगा। ऐसे मामलों में डिस्‍चार्ज से पहले किसी कोविड-19 जांच की जरूरत नहीं है।

लव अग्रवाल ने बताया कि माडरेट मामलों यानी मध्यम लक्षण वाले मरीजों को भी यदि लगातार तीन दिन तक बुखार नहीं आता है। मरीज का आक्‍सीजन सैचुरेशन बिना आक्‍सीजन सपोर्ट के 93 फीसदी से ज्यादा रहता है तो उसे भी डाक्टर की सलाह पर डिस्चार्ज किया जा सकता है। यही नहीं यदि इलाज से लक्षण खत्‍म होने लगते हैं और रोगी लगातार तीन दिनों तक मेडिकल आक्सीजन के बिना खुद को ठीक पाता है तो ऐसे मरीजों को छुट्टी दे दी जाएगी। इस तरह के रिकवर हो रहे मरीज की जांच की जरूरत नहीं है।

यही नहीं जिन मरीजों की हालत ठीक नहीं है और उनको लगातार आक्सीजन दी जा रही हो। उनका आक्‍सीजन सैचुरेशन स्तर ठीक नहीं हो रहा है तो उनके ठीक होने तक इलाज चलना चाहिए। ऐसे मरीजों को बिना डाक्‍टर की सलाह पर डिस्चार्ज नहीं किया जाना चाहिए।

लव अग्रवाल ने बताया कि देश में अब तक कोविड रोधी वैक्‍सीन की 153 करोड़ से ज्‍यादा डोज दी जा चुकी हैं। 86.62 करोड़ लोगों को पहली डोज, 64.19 करोड़ लोगों को दोनों डोज और 18.86 लाख लोगों को प्रीकाशन डोज दी जा चुकी है।

लव अग्रवाल ने कहा कि पूरे विश्व में काफी अधिक संख्या में कोविड-19 के मामले सामने आ रहे हैं। 159 देशों में मामले बढ़ रहे हैं। यूरोप के आठ देशों में पिछले दो सप्ताह में दो गुना से अधिक वृद्धि दर्ज की गई है। देश में सक्रिय मामलों की संख्या 9,55,319 के करीब है। पिछले सप्ताह पूरे विश्व में रोजाना औसत 25,13,144 मामले सामने आए हैं।

स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल (Lav Agarwal) ने यह भी बताया कि देश में 30 दिसंबर को पाजि‍टिविटी रेट 1.1 फीसद थी जो बढ़कर 11.05 फीसद हो गई है। महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, तमिलनाडु, कर्नाटक, उत्‍तर प्रदेश, केरल एवं गुजरात से आ रहे कोरोना के आंकड़े चिंता का विषय हैं। जहां तक ओमिक्रोन का सवाल है तो इस वैरिएंट से देश में एक और मौत हुई है। दुनियाभर में इस वैरिएंट से आधिकारिक तौर पर 115 लोगों की मौत हुई है।

लव अग्रवाल ने कहा कि न्यूयार्क सिटी ने मई 2021 से अब तक के सक्रिय मामलों के विश्लेषण में पाया कि पूरी तरह से टीकाकृत आबादी में गैर-टीकाकृत आबादी की तुलना में कोविड-19 के साथ अस्पताल में भर्ती होने की संभावना 90.2 फीसद से 95.7 फीसद कम थी। जहां तक कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रोन का सवाल है तो 149 देशों में कुल मिलाकर इसके लगभग 5.52 लाख मामले सामने आए हैं और 115 मौतें हुई हैं। वहीं भारत के 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अब तक 4,868 मामले सामने आए हैं।

लव अग्रवाल ने बताया कि विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के अनुसार मौजूदा वक्‍त में ओमिक्रोन डेल्टा वेरिएंट को काफी हद तक रिप्लेस करते हुए दिख रहा है। दक्षिण अफ्रीका, यूके, कनाडा, डेनमार्क के आंकड़े डेल्टा की तुलना में ओमिक्रोन के मरीजों को अस्पताल में भर्ती होने के कम जोखिम का संकेत देते हैं। तेजी से बढ़ते संक्रमण की स्थिति में देखा जा रहा है कि यदि कोविड रोधी वैक्‍सीन नहीं लगवाने वालों में हास्पिटलाइजेशन की अवस्था ज्‍यादा है। देश में सक्रिय मामलों की संख्या करीब 9,55,319 है। रोजाना औसतन 1.5 लाख मामले सामने आ रहे हैं।


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