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गुणकारी हल्दी: बोन कैंसर सेल्स की वृद्धि रोकने में भी है कारगर, जानें- और क्या हैं फायदे

भारतवंशी समेत वैज्ञानिकों के एक दल ने दवा देने का ऐसा नया सिस्टम विकसित किया है जिससे बोन कैंसर सेल्स की वृद्धि को रोका जा सकता है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 22 Jun 2019 11:23 AM (IST)Updated: Sat, 22 Jun 2019 03:50 PM (IST)
गुणकारी हल्दी: बोन कैंसर सेल्स की वृद्धि रोकने में भी है कारगर, जानें- और क्या हैं फायदे
गुणकारी हल्दी: बोन कैंसर सेल्स की वृद्धि रोकने में भी है कारगर, जानें- और क्या हैं फायदे

नई दिल्ली [जागरण स्‍पेशल]। भारतवंशी समेत वैज्ञानिकों के एक दल ने दवा देने का ऐसा नया सिस्टम विकसित किया है, जिससे बोन कैंसर सेल्स की वृद्धि को रोका जा सकता है। इसमें हल्दी के मुख्य घटक करक्यूमिन का उपयोग किया गया है। यह सिस्टम कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि रोकने में सफल पाई गई है। अमेरिका की वाशिंगटन स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने यह सिस्टम विकसित किया है। यह स्वस्थ बोन सेल्स की वृद्धि को प्रेरित भी कर सकता है। उपचार का यह तरीका उन लोगों में कारगर हो सकता है, जो ऑस्टियोसार्कोमा से पीड़ित होते हैं। सदियों से खाद्य पदार्थों को बनाने और दवाओं में हल्दी का उपयोग होता आ रहा है। हल्दी के सक्रिय तत्व करक्यूमिन में एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटोरी की क्षमता होती है।

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पुराने अध्ययनों में जाहिर हो चुका है कि हल्दी में एंटी ऑक्सीटेंड और एंटी इंफ्लैमेट्री के गुण पाए जाते हैं। इसके अलावा भारत के वरिष्ठ नागरिक तो पहले से ही इसके सेवन को महत्व देते आ रहे हैं। यहां के आहार में इसे प्रमुख रूप से शामिल किया जाता है। हल्‍दी न केवल एक मसाला है, बल्कि इसमें कई औषधीय गुण भी हैं। त्‍वचा, पेट और आघात आदि से उबरने में हल्‍दी अत्‍यंत उपयोगी होती है।

लीवर संबंधी समस्‍याओं में लाभकारी

लीवर की तकलीफों से निजात पाने के लिए हल्‍दी बेहद उपयोगी होती है। यह रक्त दोष दूर करती है। हल्‍दी नैसर्गिक तौर पर ऐसे एन्‍जाइम्‍स का उत्‍पादन बढ़ाती है जिससे लीवर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मदद मिलती है।

याददाश्त और मूड के लिए हेल्दी है हल्दी
अच्छा खाना शरीर के साथ मस्तिष्क को भी स्वस्थ रखता है। साथ ही खाने में मिलाए जाने वाले मसाले भी अपनी-अपनी तरह से शरीर को लाभ पहुंचाते हैं। ऐसा ही एक मसाला है हल्दी, जो खाने का रंग बदलने के साथ ही हमारे मन और मस्तिष्क पर अच्छा प्रभाव डालता है। एक नवीन अध्ययन में सामने आया है कि नियमित रूप से खाने में हल्दी का सेवन करने से हमारी याददाश्त बढ़ती है और मूड भी अच्छा होता है।

संक्रमण से बचाएं

हल्दी में पाया जाने वाले करक्यूमिन नामक तत्‍व के कारण कैथेलिसाइडिन एंटी माइक्रोबियल पेप्टाइड (सीएएमपी) नामक प्रोटीन की मात्रा बढ़ती है। सीएएमपी प्रोटीन शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। यह प्रोटीन बैक्टीरिया और वायरस से लड़ने में शरीर की मदद करता है।

मजबूत इम्‍यून सिस्‍टम

शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में इजाफा करती है हल्‍दी। इससे शरीर कई बीमारियों से बचा रहता है। हल्‍दी में पाया जाने वाला लिपोपोलिसेकराईड तत्‍व हमारे इम्‍यून सिस्‍टम को मजबूत बनाकर बीमारियों से हमारी रक्षा करता है। साथ ही इसमें एन्‍टी बैक्‍टीरियल, एंटी वायरल और एंटी फंगल गुण भी विशेष रूप से पाए जाते है।

दूर करें सनबर्न

हल्‍दी सनस्‍क्रीन लोशन की तरह काम करता है। अगर धूप के कारण आपकी त्‍वचा में टैनिंग हो गई है तो टैन से निजात पाने के लिए बादाम पेस्‍ट, हल्दी व दही मिला उसे त्वचा पर लगाकर छोड़ दें और फिर पानी से धो लें। इससे टैनिंग खत्म हो जाएगी। साथ ही त्‍वचा में निखार भी आएगा।

पेट की समस्‍याओं में लाभकारी

मसाले के रूप में प्रयोग की जाने वाली हल्‍दी का सही मात्रा में प्रयोग पेट में जलन एवं अल्‍सर की समस्‍या को दूर करने में बहुत ही लाभकारी होता है। हल्दी का पीला रंग कुरकमिन नामक अवयव के कारण होता है और यही चिकित्सा में प्रभावी होता है। चिकित्सा क्षेत्र के मुताबिक कुरकमिन पेट की बीमारियों जैसे जलन एवं अल्सर में काफी प्रभावी रहा है।

अंदरूनी चोट में सहायक

चोट लगने पर हल्‍दी बहुत फायदा करती है। मांसपेशियों में खिंचाव होने पर या अंदरूनी चोट लगने पर हल्‍दी मिला गर्म दूध पीने से दर्द और सूजन में तुरन्‍त राहत मिलती है। चोट पर हल्दी और पानी का लेप लगाने से भी आराम मिलता है।

पीलिया के इलाज में रामबाण 

पीलिया की बीमारी में शरीर का रंग पीला हो जाने के कारण अज्ञानतावश लोग हल्दी का प्रयोग बंद कर देते हैं। शायद उन्हें यह नहीं पता कि हर घर की रसोई में विद्यमान सहज-सुलभ हल्दी पीलिया के इलाज में आयुर्वेद की दृष्टि में रामबाण है। पीलिया में हल्दी को कई प्रकार से प्रयोग में ला सकते हैं। वहीं पीलिया में मट्ठा के साथ हल्दी का प्रयोग लाभकारी होता है।

अल्जाइमर के खतरे को करें कम

गुणों से भरपूर हल्दी की एक और खूबी सामने आई है। नए शोध का दावा है कि भारत में आमतौर पर इस्तेमाल होने वाली हल्दी से बढ़ती उम्र में स्मृति को बेहतर करने के साथ ही भूलने की बीमारी अल्जाइमर के खतरे को कम किया जा सकता है। अमेरिकी शोधकर्ताओं ने डिमेंशिया पीड़ितों के मस्तिष्क पर करक्यूमिन सप्लीमेंट के प्रभाव पर गौर किया। करक्यूमिन हल्दी में पाया जाने वाला एक रासायनिक कंपाउंड है। पूर्व के अध्ययनों में इस कंपाउंड के सूजन रोधी और एंटीआक्सीडेंट गुणों का पता चला था। संभवत: यही कारण है कि भारत के बुजुर्गों में अल्जाइमर की समस्या कम पाई जाती है।

दंत रोगों में गुणकारी

दांतों की स्‍वस्‍थ और मसूड़ों को मजबूत बनाने के लिए हल्‍दी का प्रयोग करें। इसके लिए थोड़ी सी हल्‍दी, नमक और सरसों का तेल लेकर मिला लें। अब इस मिश्रण से दांतों और मसूड़ों में अच्‍छे से मसाज करें। इस उपाय से सूजन दूर होती है और दांत के कीड़े खत्म हो जाते हैं।

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