मध्य प्रदेश में एक होंगे स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग , जानें क्या है मामला
दोनों विभागों के मंत्रियों ने दी सहमति स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर निर्णय लेने में होगी आसानी। अब आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत इसे अमलीजामा पहनाने की तैयारी है। भारत सरकार में चिकित्सा शिक्षा भी स्वास्थ्य मंत्रालय के अधीन है।
भोपाल, जेएनएन। प्रदेश में स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग एक होने जा रहे हैं। इसके बाद विभाग के मंत्री भी एक होंगे। इसका सबसे ब़़डा फायदा स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को बेहतर करने के लिए निर्णय लेने में होगा। लंबे समय से दोनों विभागों को एक करने की कवायद चल रही थी। अब 'आत्मनिर्भर भारत' योजना के तहत इसे अमलीजामा पहनाने की तैयारी है। बता दें कि भारत सरकार में चिकित्सा शिक्षा भी स्वास्थ्य मंत्रालय के अधीन है।
इसके अलावा कई राज्यों में भी दोनों विभाग एक हैं। कुछ जगह तो महिला एवं बाल विकास भी इनमें शामिल है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि विभागों को एक करने के लिए स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी और चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने सहमति दे दी है। अधिकारियों ने बताया कि दोनों विभागों के आयुक्त अलग-अलग होंगे।
यह हैं दिक्कत
-दोनों विभाग के अस्पतालों में मरीजों का इलाज होता है, लेकिन व्यवस्थाएं अलग--अलग हैं। मसलन, जांच का शुल्क अलग--अलग है।
-मरीजों के भोजन के लिए राशि दोनों विभागों में अलग--अलग रहती है।
-प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को बेहतर करने के लिए निर्णय लेने में दिक्कत आ रही थी।
ये होंगे लाभ
-सभी स्वास्थ्यकर्मियों का वेतन चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग में एक हो सकेगा।
-भारत सरकार से मिलने वाली राशि का बेहतर उपयोग हो सकेगा। अभी एक विभाग में राशि ज्यादा होने पर उपयोग ही नहीं हो पाती, जबकि दूसरे विभाग में बजट ही नहीं रहता।
- रेफरल व्यवस्था और बेहतर हो सकेगी। इसके अलावा टेलीमेडिसिन की सुविधा से छोटे अस्पतालों को मेडिकल कॉलेज से जो़़डा जा सकेगा।
-जो जांचें जिला अस्पतालों में नहीं हो पाएंगी उन्हें मेडिकल कॉलेज से कराया जा सकेगा।
मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत दोनों विभागों का विलय किया जाना है। सामान्य प्रशासन विभाग इसके लिए काम कर रहा है। एक विभाग होने से निश्चित तौर पर कई फायदे होंगे।