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हेट स्‍पीच के मामले में दो हिंदू संगठनों की सुप्रीम कोर्ट से गुहार, ओवैसी समेत इन नेताओं के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश देने की मांग

दो हिंदू संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट से गुजारिश की है कि उनको भी हरिद्वार और नई दिल्ली में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ नफरत फैलाने वाले भाषणों के आरोपों से संबंधित याचिका में पक्षकार बनाया जाए। जानें सुप्रीम कोर्ट से क्‍या लगाई गई है गुहार...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Mon, 24 Jan 2022 04:21 PM (IST)Updated: Tue, 25 Jan 2022 12:32 AM (IST)
हेट स्‍पीच के मामले में दो हिंदू संगठनों की सुप्रीम कोर्ट से गुहार, ओवैसी समेत इन नेताओं के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश देने की मांग
दो हिंदू संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में हेट स्‍पीच से संबंधित याचिका में पक्षकार बनाए जाने की मांग की है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। नफरत फैलाने वाले भाषणों के मामले में दो हिंदू संगठन भी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं। हिंदू संगठनों की ओर से हस्तक्षेप अर्जी दाखिल कर मामले में उन्हें भी पक्ष रखने की इजाजत दिए जाने की मांग की गई है। अर्जी में हिंदुओं और उनके देवी-देवताओं के खिलाफ नफरत फैलाने वाले भाषणों की एसआइटी से जांच कराने की मांग की गई है। एक अर्जी हिंदू फ्रंट फार जस्टिस और दूसरी अर्जी हिंदू सेना की ओर से दाखिल की गई है।

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कार्रवाई किए जाने की मांग

हिंदू फ्रंट फार जस्टिस ने अर्जी में मुस्लिम नेताओं द्वारा दिए गए नफरत भरे भाषणों के लिंक भी दिए हैं। हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने अर्जी में नफरत फैलाने वाले भाषण देने पर मुस्लिम नेता असदुद्दीन ओवैसी, तौकीर रजा, साजिद रशीदी, अमानतुल्ला खान और वारिस पठान के खिलाफ एफआइआर दर्ज करके कार्रवाई किए जाने की मांग की है।

नफरत फैलाने वाले भाषणों का मामला लंबित

सुप्रीम कोर्ट में पहले से ही नफरत फैलाने वाले भाषणों का मामला लंबित है। कोर्ट ने पत्रकार कुर्बान अली और पटना हाई कोर्ट की सेवानिवृत्त न्यायाधीश और वरिष्ठ वकील अंजना प्रकाश की याचिका पर गत 12 जनवरी को केंद्र सरकार, दिल्ली पुलिस और उत्तराखंड पुलिस को नोटिस जारी किया था। उस याचिका में हरिद्वार और दिल्ली की धर्म संसद में नफरत फैलाने वाले भाषणों का हवाला देते हुए मामले की एसआइटी से जांच कराने की मांग की गई है। हिंदू संगठनों ने हस्तक्षेप अर्जी इसी लंबित मामले में दाखिल की हैं।

घटनाओं की कराई जाए जांच

वकील विष्णु शंकर जैन के जरिये हिंदू फ्रंट फार जस्टिस ने अध्यक्ष रंजना अग्निहोत्री की ओर से अर्जी दाखिल की है। इसमें दो अन्य लोग भी अर्जीकर्ता हैं। संगठन ने अर्जी में यह भी मांग की है कि संविधान की भावना और देश की अखंडता के खिलाफ घृणास्पद भाषण देने की घटनाओं की जांच कराई जाए।

एसआइटी से कराई जाए जांच

याचिका में कहा गया है कि हिंदुओं और हिंदू देवी-देवताओं के खिलाफ दिए गए नफरत भरे भाषणों की एसआइटी से जांच कराई जाए। कोर्ट मुस्लिम समुदाय के नेताओं को हिंदुओं के खिलाफ नफरत और हिंसा फैलाने से रोकने के लिए उचित आदेश जारी करे। अर्जी में बहुत से मुस्लिम नेताओं के हिंदुओं के खिलाफ दिए गए नफरत भरे भाषणों का जिक्र किया गया है।

भाषणों के वीडियो लिंक भी दिए

इसमें मुस्लिम धर्म प्रचारक जाकिर नाइक, एआइएमआइएम नेता असदुद्दीन ओवैसी, अकबरुद्दीन ओवैसी, वारिस पठान, आम आदमी पार्टी के नेता अमानतुल्ला खान, तौकीर रजा, साजिद रशीदी आदि बहुत से लोगों के भाषणों के वीडियो लिंक दिए गए हैं। अर्जी में कहा गया है कि भारत का प्रत्येक नागरिक कानून के समक्ष बराबरी के संरक्षण का अधिकारी है। इसलिए कोर्ट नफरत फैलाने वाले भाषणों का विश्लेषण करते वक्त बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक की अवधारणा को न देखे।

धार्मिक स्वतंत्रता का मुद्दा भी उठाया

यह मामला आम जनता से जुड़ा हुआ है और मामले के न्यायिक समीक्षा के दायरे को देखते हुए कोर्ट अर्जीकर्ता को इस केस में हस्तक्षेप करने की इजाजत दे। हिंदू सेना ने वकील बरुण कुमार सिन्हा के जरिये दाखिल अर्जी में नफरत भरे भाषण देने वाले मुस्लिम नेताओं के खिलाफ मामला दर्ज कर कार्रवाई करने की मांग की है। याचिका में संविधान के अनुच्छेद 25 में मिली धार्मिक स्वतंत्रता का भी मुद्दा उठाया गया है।


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