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Side Effect: हैंड डर्मटाइटिस 'महामारी' का जोखिम, कोविड से बचाव के लिए बार-बार हाथ धोने से पैदा हुई एक और महामारी

कोरोना से बचाव के लिए इस समय लोग तरह-तरह के उपाय कर रहे हैं। इसमें बार-बार हाथ धोना और अल्कोहल आधारित सैनिटाइजर का इस्तेमाल आम है लेकिन अब इससे भी तकलीफ बढ़ने लगी है। इससे दो-तिहाई लोग हाथों में त्वचा रोग (हैंड डर्मटाइटिस) के शिकार हो सकते हैं।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Fri, 07 May 2021 07:45 PM (IST)Updated: Fri, 07 May 2021 07:45 PM (IST)
Side Effect: हैंड डर्मटाइटिस 'महामारी' का जोखिम, कोविड से बचाव के लिए बार-बार हाथ धोने से पैदा हुई एक और महामारी
त्वचा रोग विशेषज्ञों से अभी से ही उपाय और तैयारी का किया आह्वान।

बेंगलुरु, आइएएनएस। कोरोना से बचाव के लिए इस समय लोग तरह-तरह के उपाय कर रहे हैं। इसमें बार-बार हाथ धोना और अल्कोहल आधारित सैनिटाइजर का इस्तेमाल आम है, लेकिन अब इससे भी तकलीफ बढ़ने लगी है। मेंगलोर स्थित फादर मुलर मेडिकल कालेज के शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन में पाया है कि इस नई आदत से दो-तिहाई लोग हाथों में त्वचा रोग (हैंड डर्मटाइटिस) के शिकार हो सकते हैं। इसे स्कीन डिजीज एपिडेमिक का नाम दिया गया है।

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शोधकर्ताओं ने कहा- दो-तिहाई लोग हो रहें इस बीमारी के शिकार

शोधकर्ताओं ने यह निष्कर्ष 582 लोगों पर किए अध्ययन के आधार पर निकाला है। इसमें सहभागियों के ट्रांसएपिडर्मल वाटर लॉस (टीईडब्ल्यूएल) मतलब त्वचा की अवरोधक क्षमता का आकलन किया गया। अध्ययन में 291 हेल्थ केयर प्रोफेशनल (एचसीपी) और 291 स्वस्थ सामान्य लोगों को शामिल किया गया। पाया गया कि एचसीपी में 92.6 फीसद लोगों में हैंड डर्मटाइटिस के लक्षण थे, जबकि सामान्य लोगों में इनकी संख्या 68.7 फीसद थी। इनमें से सिर्फ तीन फीसद एचसीपी और 2.4 फीसद सामान्य लोगों ने बताया कि उन्हें पहले से भी हैंड डर्मटाइटिस था।

महिलाओं और इंटेसिव केयर में लगे लोगों में ड्राइ स्किन की समस्या बढ़ी

एक यह भी बात सामने आई कि महिलाओं और इंटेसिव केयर में लगे लोगों में ड्राइ स्किन की समस्या बढ़ गई। ये सामान्य लोगों से अधिक बार हाथ धोते हैं।

बार-बार हाथ धोने तथा सैनिटाइटर के बहुतायत इस्तेमाल से हाथों में त्वचा की बीमारी बढ़ी

शोधकर्ता मोनिषा मधुमिता ने बताया कि इस शोध से साबित हुआ है कि बार-बार हाथ धोने तथा अल्कोहल आधारित सैनिटाइटर के बहुतायत इस्तेमाल ने एचसीपी और आम लोगों के हाथों में त्वचा की बीमारी बढ़ी है। हालांकि हम टीईडब्ल्यू के इस्तेमाल से त्वचा के अवरोधक क्षमता के बारे में पता कर सकते हैं, इसके आधार पर विभिन्न प्रकार से सुरक्षात्मक उपायों के तुलनात्मक प्रभावों को समझ कर उपयुक्त दवाएं तथा हैंड हाइजिन के तौर-तरीकों और उत्पादों को चुन सकते हैं ताकि हैंड एक्जिमा से बच सकें।

त्वचा में जलन और सूखापन होने की वजह से बार-बार हाथ धोना काफी मुश्किल

अध्ययन में शामिल लोगों ने यह भी बताया कि त्वचा में जलन और सूखापन होने की वजह से इस महामारी के काल में उनके लिए बार-बार हाथ धोना काफी मुश्किल हो रहा है।

शोधकर्ता ने कहा- कोरोना महामारी के चलते त्वचा रोग की महामारी से भी जूझना पड़ेगा

एक अन्य शोधकर्ता मैरी-एलिथ रिचर्ड का कहना है कि इस अध्ययन ने हमें बताया है कि कोरोना महामारी के कारण हमें आने वाले दिनों में किस प्रकार से त्वचा रोग की भी एक महामारी से जूझना पड़ेगा। इसलिए जरूरी है कि आने वाली इस समस्या को अभी से गंभीरता से लेना चाहिए। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि त्वचा रोग विशेषज्ञ किस प्रकार से इस समस्या का समाधान निकालते हैं।

हाथ धोने की आदत में सुधार लाना जरूरी

इसे देखते हुए यह जरूरी हो गया है कि हाथ धोने की आदत तथा उसके लिए इस्तेमाल होने वाले उत्पादों में वांछित सुधार लाए जाएं, ताकि मौजूदा महामारी और इसके साइड इफेक्ट से भविष्य में पैदा होने वाली एक अन्य महामारी से किस प्रकार पार पाया जाए।


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