जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस-नेशनल कांफ्रेंस के बीच 'आधा अधूरा' गठजोड़
सीटों पर तालमेल को लेकर बने गतिरोध को दूर करने के लिए कांग्रेस आला कमान ने गुलाम नबी आजाद और अंबिका सोनी को नई दिल्ली से विशेष तौर पर जम्मू कश्मीर भेजा था।
राज्य ब्यूरो, जम्मू। जम्मू-कश्मीर में नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस के बीच गठजोड़ को लेकर जारी गतिरोध तो दूर हो गया, लेकिन गांठ बरकरार है। लद्दाख सीट पर फैसला टल गया है, जबकि रार का मुख्य कारण बनी अनंतनाग की सीट पर न कांग्रेस झुकी और न नेकां ने हार मानी। अनंतनाग की तरह बारामुला सीट पर दोनों अपने-अपने प्रत्याशी उतारेंगे पर मुकाबला दोस्ताना होगा। सिर्फ श्रीनगर सीट और जम्मू संभाग की दो सीटों पर कांग्रेस व नेकां एक-दूसरे का साथ देंगी। श्रीनगर सीट नेकां के हिस्से आई और जम्मू-पुंछ व ऊधमपुर-डोडा-कठुआ से कांग्रेस अपने प्रत्याशी उतारेगी। फिलहाल, नेकां-पीडीपी न तेरी-न मेरी के इस फार्मूले को दोनों के लिए जीत बता रहे हैं। अलबत्ता, राजनीति पर नजर रखने वाले जानकर इसे आधा अधूरा गठजोड़ भी मान रहे हैं।
नेकां व कांग्रेस के बीच लोकसभा चुनावों के लिए गठजोड़ में उस समय गतिरोध पैदा हुआ था जब नेकां ने कश्मीर की तीन व लद्दाख प्रांत की सीट पर अपने प्रत्याशी उतारने का एलान करने के साथ कहा था कि कांग्रेस के साथ सिर्फ जम्मू संभाग की दो सीटों पर बात होगी। जवाब में कांग्रेस ने भी जम्मू संभाग की दो सीटों के अलावा दक्षिण कश्मीर और लद्दाख सीट पर दावेदारी ठोंक दी। सीटों पर तालमेल को लेकर बने गतिरोध को दूर करने के लिए कांग्रेस आला कमान ने गुलाम नबी आजाद और अंबिका सोनी को नई दिल्ली से विशेष तौर पर जम्मू कश्मीर भेजा था। नेकां अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला के साथ उनके निवास पर बैठक करीब 45 मिनट चली।
दोस्ताना मुकाबला तीसरे की जीत को रोकने के लिए होगा : फारूक
बैठक के बाद डॉ. फारूक अब्दुल्ला और गुलाम नबी आजाद ने संयुक्त रूप से पत्रकारों को बताया कि धर्मनिरपेक्ष मोर्चे को मजबूत बनाने के लिए समझौता हुआ है। डॉ. अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू और ऊधमपुर की सीट कांग्रेस लड़ेगी, इन सीटों पर हमारा कोई उम्मीदवार नहीं होगा। श्रीनगर सीट पर मैं नेशनल कांफ्रेंस की तरफ से चुनाव लडूंगा और कांग्रेस कोई उम्मीदवार नहीं उतारेगी। उत्तरी कश्मीर में बारामुला और दक्षिण कश्मीर की अनंतनाग सीट पर दोनों दल अपने-अपने उम्मीदवार खड़ा करेंगे, लेकिन दोनों एक-दूसरे के वोट नहीं काटेंगे। यह दोस्ताना मुकाबला किसी तीसरे की जीत को रोकने के लिए ही होगा। लद्दाख पर भी हम दोस्ताना मुकाबला करेंगे, लेकिन इस पर साझा उम्मीदवार की संभावना भी है।
जम्मू में नेकां उम्मीदवार उतारती तो फायदा भाजपा को होता: आजाद
गुलाम नबी आजाद ने कहा कि इससे बेहतर कोई दूसरा फैसला नहीं हो सकता था। अगर जम्मू में नेकां अपने उम्मीदवार उतारती तो फायदा भाजपा को होता। कश्मीर में एक दल का वोट दूसरे दल में बदलना मुश्किल होता है। वहां हम अपने वोटरों को संभाल सकेंगे। कश्मीर में हमारी लड़ाई तीसरे को हराने की होगी। हमारा दोस्ताना मुकाबला होगा।