Move to Jagran APP

दक्षिण कोरिया में नया चुनावी मुद्दा बने बाल, गंजेपन का इलाज करा रहे लोगों को मदद का एलान

सिर पर बाल का ठीक स्थिति में होना व्यक्तिगत व पेशेवर जीवन में आत्मविश्वास बढ़ाने का काम करता है। दूसरी तरफ गंजा होना या सिर पर कम बाल होने का यह तात्पर्य कदापि नहीं है कि यह व्यक्ति की सफलता तरक्की और खुशियों की राह में बाधक बन जाता है।

By Neel RajputEdited By: Published: Wed, 12 Jan 2022 11:54 AM (IST)Updated: Wed, 12 Jan 2022 11:54 AM (IST)
दक्षिण कोरिया में नया चुनावी मुद्दा बने बाल, गंजेपन का इलाज करा रहे लोगों को मदद का एलान
दक्षिण कोरिया की तकरीबन एक करोड़ आबादी बाल झड़ने की समस्या से पीड़ित है। (फाइल फोटो)

सुधीर कुमार। चुनाव अमूमन गरीबी, बेरोजगारी, शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण और इंटरनेट जैसे कई मुद्दों पर लड़े जाते रहे हैं। बाल झड़ने या गंजेपन की समस्या का किसी देश में एक अहम चुनावी मुद्दा बनने की कल्पना शायद ही किसी ने की होगी। हालांकि दक्षिण कोरिया में आगामी राष्ट्रपति चुनाव को लेकर डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार ली जे-म्युंग ने इसे अपना चुनावी मुद्दा बनाकर न सिर्फ अपने विरोधियों, बल्कि पूरी दुनिया को हैरत में डाल दिया है। दरअसल पांच करोड़ की आबादी वाले दक्षिण कोरिया की तकरीबन एक करोड़ आबादी (20 प्रतिशत) बाल झड़ने या गंजेपन की समस्या से पीड़ित है। लिहाजा ली जे-म्युंग को इस वर्ग का भरपूर समर्थन मिल रहा है। अपने चुनावी संबोधन में वह भरोसा भी दिला रहे हैं कि गंजेपन के इलाज पर लोगों को आर्थिक सहायता दिलाने का प्रयास करेंगे। वस्तुत: मनुष्य के समग्र व्यक्तित्व को निखारने में बालों की महत्ता को किसी भी दृष्टि से कम नहीं आंका जा सकता है।

loksabha election banner

सिर पर बाल का ठीक स्थिति में होना व्यक्तिगत व पेशेवर जीवन में आत्मविश्वास बढ़ाने का काम करता है। हालांकि दूसरी तरफ गंजा होना या सिर पर कम बाल होने का यह तात्पर्य कदापि नहीं है कि यह व्यक्ति की सफलता, तरक्की और खुशियों की राह में बाधक बन जाता है। बालों का बढ़ना और टूटना दोनों ही नैसर्गिक प्रक्रिया हैं। अमेरिकन अकेडमी आफ डर्मेटोलाजी के अनुसार सिर से रोजाना 100 बालों का गिरना भी आम है। हालांकि आनुवंशिक, अव्यवस्थित जीवनशैली, तनाव, दूषित पेयजल के उपयोग, प्रदूषण, बीमारियों और दवाइयों के साइडइफेक्ट के कारण बड़ी संख्या में लोग इसके शिकार हो रहे हैं। बालों को घना बनाने और टूटने से रोकने का दावा करने वाले कई रसायन युक्त उत्पाद भी बालों को नुकसान पहुंचाने का काम करते हैं। एक सर्वे के अनुसार भारत में एक बड़ी आबादी बाल झड़ने की समस्या से परेशान है।

चिंताजनक यह है कि धीरे-धीरे यह मनोवैज्ञानिक समस्या बनती जा रही है, जिसका लाभ बालों से संबंधित उत्पाद बनाने वाली कंपनियां और बाल बचाने व उगाने का उपचार करने वाले डाक्टर और क्लिनिक उठाया करते हैं। देश में बालों के झड़ने के इलाज का कारोबार पिछले पांच वर्षो में 11.94 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि के साथ विस्तृत हुआ है। बाल टूटने या गंजेपन की समस्या को चिकित्सीय भाषा में एलोपेसिया कहा जाता है। यह पूरी दुनिया की एक आम समस्या है। बाल तेजी से झड़ने लगे तो ऐसी स्थिति में सचेत होने और जीवनशैली को सुधारने पर जोर देना चाहिए। गंजापन से निजात दिलाने का दावा करने वाले विज्ञापनों के मायाजाल में फंसने के बजाय अपना जीवन उद्देश्यपूर्ण बनाने पर जोर देना चाहिए। वास्तव में व्यक्ति का व्यवहार, कार्य और उत्पादकता ही उसकी असल पूंजी होती है।

(लेखक बीएचयू में शोधार्थी हैं)


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.