पर्यावरण लैब को मान्यता के लिए दिशा-निर्देश तैयार, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को सौंपी गई जिम्मेदारी
एनजीटी के अध्यक्ष जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की खंडपीठ को बताया कि पर्यावरण अधिनियम 986 के तहत पर्यावरण प्रयोगशालाओं को मान्यता देने के लिए तैयारी करने के दिशा-निर्देश जारी किए गए।
नई दिल्ली, प्रेट्र। पर्यावरण और वन मंत्रालय ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) को बताया है कि उसने पर्यावरण संबंधी प्रयोगशालाओं को मान्यता देने के लिए उसने दिशा-निर्देश तैयार कर लिए हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) को इसके लिए आवेदनों को छांटने का जिम्मा सौंपा गया है।
मंत्रालय ने मंगलवार को एनजीटी के अध्यक्ष जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की खंडपीठ को बताया कि पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत पर्यावरण प्रयोगशालाओं को मान्यता देने के लिए तैयारी करने के दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। मंत्रालय ने बताया कि सीपीसीबी को जिम्मा सौंपा गया है कि लैब से आने वाले आवेदनों की छंटनी करें। इन आवेदनों के लिए बुनियादी ढांचे से लेकर मानव संसाधन विकास, सैंपलिंग मैथड, लैबरोटरी में काम करने के तरीके, पंजीकरण, गुणवत्ता नियंत्रण मानक आदि को मानक माना गया है।
मंत्रालय ने एनजीटी को बताया कि एक बाहरी विशेषज्ञ, सीपीसीबी विशेषज्ञ, सीपीसीबी सदस्य संयोजक समेत एक विशेषज्ञ का गठन किया गया है। यह कमेटी ही सभी प्रस्तावों पर विचार करेगी।
बता दें कि कुछ दिन पहले ही राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों से ठोस कचरा प्रबंधन, नदियों के प्रदूषित हिस्सों के पुनरुद्धार और वायु गुणवत्ता प्रबंधन को लेकर जानकारी मांगी थी।
एनजीटी के चेयरमैन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था कि सीपीसीबी ने जो रिपोर्ट सौंपी है वह प्रकार व परिमाण के लिहाज से पूर्ण नहीं है और उपलब्ध जानकारी में मल-मूत्र की निकासी और उसके प्रबंधन के बीच भारी अंतर है। पीठ ने कहा, ‘सीपीसीबी ने ‘अच्छा’, ‘औसत’, ‘खराब’ और ‘कोई जानकारी नहीं’ की श्रेणी में जानकारी उपलब्ध कराई है, जो किसी गुणात्मक विश्लेषण पर नहीं, बल्कि मुहैया कराई गई जानकारी पर आधारित है।’