सामुदायिक रसोई की रूपरेखा तय करेगा खाद्य सचिवों का समूह, राज्यों के खाद्य मंत्रियों के सम्मेलन में लिया गया फैसला
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर केंद्र सरकार ने सामुदायिक रसोई की रूपरेखा तय करने के लिए राज्यों के खाद्य सचिवों के एक समूह का गठित किया है। केंद्रीय खाद्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि आदर्श सामुदायिक रसोई योजना समुदाय की है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सामुदायिक रसोई की रूपरेखा तय करने के लिए केंद्र सरकार ने राज्यों के 'खाद्य सचिवों के एक समूह' का गठित किया है। राज्यों के खाद्य मंत्रियों के राष्ट्रीय सम्मेलन में केंद्रीय खाद्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि आदर्श सामुदायिक रसोई योजना समुदाय की है। समुदाय के कल्याण के लिए यह समुदाय द्वारा संचालित होंगी।
सुप्रीम कोर्ट निर्देश के मुताबिक देश के सभी 34 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में सामुदायिक रसोई स्थापित करने और 'वन नेशन-वन राशन कार्ड' की स्थिति पर चर्चा के लिए इस सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन में सभी राशन कार्डों को आधार से जोड़ने और बायोमीट्रिक से पहचान करने के साथ रियायती दर वाली राशन दुकानों को लेकर चर्चा हुई।
चर्चा के दौरान गोयल ने केंद्र व राज्यों के खाद्य विभाग के सचिवों से कहा कि सामुदायिक रसोई योजना सरल, पारदर्शी और पात्र लोगों के हित को ध्यान में रखकर बनाई जानी चाहिए। समूह में जिन आठ राज्यों के सचिवों को रखा गया है वे केरल, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश, गुजरात, असम, बिहार, बंगाल और मध्य प्रदेश हैं।
उन्होंने कहा कि सामुदायिक रसोई योजना से गरीब महिला, बच्चों, बेघरों, झुग्गी-झोपड़ी में रहने वालों और औद्योगिक व निर्माण स्थलों पर काम करने वाले कमजोर वर्ग के लोगों तक इसका सीधा लाभ पहुंचेगा। सचिवों का समूह जल्दी ही अपनी सिफारिशें तैयार करेगा। सामुदायिक रसोई स्थापित करने और उसके संचालन की रूपरेखा तैयार करने के लिए अगली बैठक 29 नवंबर को होगी, जिसमें उच्चाधिकारी हिस्सा लेंगे।
उल्लेखनीय है कोरोना काल में सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना शुरू की थी। गोयल ने सभी राज्यों को धन्यवाद देते हुए कहा कि उनके सहयोग से संकट के समय में कहीं भी खाद्यान्न की कमी नहीं हुई। देश के 80 करोड़ से अधिक लोगों को हर महीने मुफ्त अनाज पहुंचाया गया।