प्रख्यात गणितज्ञ सीएस शेषाद्रिका का हुआ निधन, पीएम मोदी और उप राष्ट्रपति ने जताया दुख
प्रधानमंत्री मोदी ने ट्विटर पर लिखा प्रोफेसर सीएस शेषाद्रि के निधन से हमने एक बौद्धिक विद्वान खो दिया है जिन्होंने गणित के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम किया है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। प्रख्यात गणितज्ञ कांजिवरम श्रीरंगचारी शेषाद्रि यानी सीएस शेषाद्रि का निधन हो गया है। उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर गहरा दुख जताते हुए कहा कि बीजगणितीय ज्यामिति के क्षेत्र में उनके योगदान को पीढि़यां याद रखेंगी।
चेन्नई के मंडावली स्थित अपने घर में उन्होंने शुक्रवार को अंतिम सांस ली। वह 88 साल के थे। साल 2009 में उन्हें देश के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मभूषण से नवाजा गया था।
हमने बौद्धिक विद्वान को खो दिया: पीएम मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने ट्विटर पर लिखा, 'प्रोफेसर सीएस शेषाद्रि के निधन से, हमने एक बौद्धिक विद्वान खो दिया है, जिन्होंने गणित के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम किया है। उनके कार्यो को, खासकर बीजगणितीय ज्यामिति के क्षेत्र में, पीढि़यों याद रखा जाएगा। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदना। ओम शांति।'
In the passing away of Professor C. S. Seshadri, we have lost an intellectual stalwart who did outstanding work in mathematics. His efforts, especially in algebraic geometry, will be remembered for generations. Condolences to his family and admirers. Om Shanti.— Narendra Modi (@narendramodi) July 18, 2020
उनके निधन से गणित के लिए हुआ बहुत बड़ा नुकसान: उप राष्ट्रपति
उप राष्ट्रपति ने भी बीजगणितीय ज्यामिति के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान को याद किया। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, 'उनका निधन गणित के लिए बहुत बड़ा नुकसान है। उनके शोक संतप्त परिजनों के प्रति मेरी गहरी संवेदना।'
प्रसिद्ध गणितज्ञ श्री सी एस शेषाद्रि जी के निधन का सुनकर बहुत दुख हुआ। श्री शेषाद्रि जी का बीजगणितीय ज्यामिति में उल्लेखनीय योगदान रहा है। उनका जाना गणित के लिये एक अपूरणीय क्षति है। उनके स्वजनों, सहयोगियों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदनाएं। pic.twitter.com/ecOisGu26m — Vice President of India (@VPSecretariat) July 18, 2020
शेषाद्रि ने अपने करियर की शुरुआत टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च में स्नातक छात्रों के पहले बैच के रूप में की थी। 1985 में वह चेन्नई के गणितीय विज्ञान संस्थान चले गए। 1989 में उन्हें स्कूल ऑफ मैथेमेटिक्स शुरू करने का मौका मिला, जो स्पिक साइंस फाउंडेशन का हिस्सा था। उन्हें 1988 में रॉयल सोसाइटी का फेलो और 2010 में अमेरिका के नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस का फॉरेन एसोसिएट चुना गया।