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केंद्र सरकार ने कहा-संकट में विदेश से मिली मदद एयरपोर्ट से ही राज्यों को भेजी जा रही

केंद्र सरकार ने शुक्रवार को कहा कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई में 27 अप्रैल के बाद से अब तक विदेश से तीन हजार टन से ज्यादा करीब 11 हजार सामान मिले हैं। तत्काल इस्तेमाल के लिए इन्हें एयरपोर्ट से ही संबंधित राज्यों को भेज दिया गया है।

By Pooja SinghEdited By: Published: Sat, 08 May 2021 07:25 AM (IST)Updated: Sat, 08 May 2021 07:25 AM (IST)
केंद्र सरकार ने कहा-संकट में विदेश से मिली मदद एयरपोर्ट से ही राज्यों को भेजी जा रही
केंद्र सरकार ने कहा संकट में विदेश से मिली मदद एयरपोर्ट से ही राज्यों को भेजी जा रही

नई दिल्ली, प्रेट्र। केंद्र सरकार ने शुक्रवार को कहा कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई में 27 अप्रैल के बाद से अब तक विदेश से तीन हजार टन से ज्यादा करीब 11 हजार सामान मिले हैं। तत्काल इस्तेमाल के लिए इन्हें एयरपोर्ट से ही संबंधित राज्यों को भेज दिया गया है। देश के किसी एयरपोर्ट या बंदरगाह पर विदेश से मदद के रूप में मिला कोई सामान नहीं पड़ा है।

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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव आरती आहूजा ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि पांच मई तक दूसरे देशों से 4,468 आक्सीजन कंसंट्रेटर, 3,417 आक्सीजन सिलेंडर, 13 आक्सीजन उत्पादन करने वाले प्लांट, 3,921 वेंटिलेटर/बाय पीएपी/सी पीएपी और तीन लाख से ज्यादा रेमडेसिविर इंजेक्शन की शीशियों के अलावा पीपीई किट्स और अन्य सामान मिले थे।

उन्होंने बताया कि ये सामान विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को तत्काल भेज दिए गए। स्वास्थ्य मंत्रालय ने अलग से एक बयान जारी कर बताया कि अब तक 2,933 आक्सीजन कंसंट्रेटर, 2,429 आक्सीजन सिलेंडर, 13 आक्सीजन उत्पादक प्लांट, 2,951 वेंटिलेटर/बाय पीएपी/ सी पीएपी और तीन लाख से अधिक रेमडेसिविर इंजेक्शन राज्यों को दिए गए हैं। छह मई को भी विदेश से कुछ मदद आई है। इनमें प्रमुख रूप से न्यूजीलैंड से आक्सीजन कंसंट्रेटर, ब्रिटेन से आक्सीजन सिलेंडर, जर्मनी से एक मोबाइल आक्सीजन प्लांट और नीदरलैंड से वेंटिलेटर और आक्सीजन कंसंट्रेटर शामिल हैं।

मंत्रालय ने बताया कि छह मई तक विदेश से मिले सामान को त्वरित रूप से राज्यों और संस्थाओं को आवंटित करने के साथ ही उन्हें भेज भी दिया गया है। यह एक सतत प्रक्रिया है। एयरपोर्ट या बंदरगाह पर विदेश से आई कोई खेप नहीं पड़ी है। विदेश से आने वाले सामान को एयरपोर्ट और बंदरगाहों से ही संबंधित राज्यों को भेजा जा रहा है।


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