नौसेना के शिपबॉर्न ड्रोन खरीदने के प्रस्ताव को मिली मंजूरी, दुश्मनों की गतिविधियों पर होगी नजर
नौसेना (Indian Navy) 10 शिपबॉर्न ड्रोन खरीदने जा रही है। हिंद महासागर में निगरानी क्षमता बढ़ाने के लिए शिपबॉर्न ड्रोन (shipborne drones) खरीदने के नौसेना के प्रस्ताव को सरकार ने मंजूरी दे दी है। सरकार ने इसके लिए 1300 करोड़ रुपये जारी किए हैं।
नई दिल्ली, एएनआइ। अमेरिका से दो प्रेडेटर ड्रोन लीज पर लेने के बाद नौसेना (Indian Navy) अब 10 शिपबॉर्न ड्रोन खरीदने जा रही है। हिंद महासागर में निगरानी क्षमता बढ़ाने के लिए शिपबॉर्न ड्रोन (shipborne drones) खरीदने के नौसेना के प्रस्ताव को सरकार ने मंजूरी दे दी है। सरकारी सूत्रों ने बताया, 'नौसेना द्वारा फास्ट ट्रैक मोड में रक्षा मंत्रालय के सामने एक प्रस्ताव पेश किया गया था। इसके तहत नौसेना 10 नौसैनिक शिपबॉर्न मानव रहित हवाई प्रणाली खरीदेगी। सरकार ने इसके लिए 1300 करोड़ रुपये जारी किए हैं।'
नौसेना खुली निविदा के माध्यम से ये ड्रोन खरीदेगी। खुली निविदा ग्लोबल श्रेणी में खरीद के तहत जारी की जाएगी और हासिल करने के बाद ड्रोन (shipborne drones) को तुरंत ही नौसेना के बड़े युद्धपोत पर निगरानी के लिए तैनात किया जाएगा। नौसेना की योजना के अनुसार, बड़े युद्धपोत पर तैनात ड्रोन भारतीय जल सीमा में चीन के साथ ही अन्य शत्रुओं की गतिविधियों पर नजर रख सकेंगे।
इस बीच सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम गार्डन रिच शिप बिल्डर्स ऐंड इंजीनियर्स यानी जीआरएसई ने नए साल के मौके पर भारतीय नौसेना को आठवें और अंतिम लाइट क्राफ्ट यूटिलिटी (एलसीयू) पोत की आपूर्ति की है। इस उभयचर (पानी और जमीन दोनों में सक्षम) पोत को रणनीतिक रूप से अहम अंडमान निकोबार द्वीपसमूह के पास तैनात किया जाएगा। इसे दुर्गम तटीय इलाकों में सैन्य अभियान को अंजाम देने के लिए तैयार किया गया है।
कोविड-19 महामारी और इसकी वजह से लागू लाकडाउन की चुनौतियों के बावजूद जीआरएसई ने एलसीयू पोत की आपूर्ति भारतीय नौसेना को कर दी है। यह पोत जवानों के साथ-साथ युद्धक टैंक, व्यक्तिगत वाहन और अन्य सैन्य वाहनों को भी तट पर पहुंचा सकते हैं। इसको 216 सैनिकों के रहने के लिए डिजाइन किया गया है और इसमें दो स्वदेशी सीआरएन 91 तोपें लगी हैं जो दुश्मन पर गोले दाग सकती हैं। इस पोत का निर्माण 90 फीसद स्वदेशी पुर्जों से किया गया है।