Move to Jagran APP

नर्मदा के 30 फीट ऊपर बंधी मटकी तक नहीं पहुंच सका एक भी गोविंदा

मंगलवार को कोई तैरकर रस्सी की सीढ़ी तक ही पहुंचने में थक गया तो कोई मटकी के रस्से तक पहुंच सका।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Tue, 04 Sep 2018 09:56 PM (IST)Updated: Tue, 04 Sep 2018 11:43 PM (IST)
नर्मदा के 30 फीट ऊपर बंधी मटकी तक नहीं पहुंच सका एक भी गोविंदा
नर्मदा के 30 फीट ऊपर बंधी मटकी तक नहीं पहुंच सका एक भी गोविंदा

 नई दुनिया, खंडवा। भगवान ओंकारेश्वर व ममलेश्वर मंदिर के ठीक सामने नर्मदा नदी के ऊपर 30 फीट की ऊंचाई पर रस्से के सहारे लटकाई गई मटकी को फोड़ने की प्रतियोगिता मंगलवार को शुरू हुई, लेकिन मटकी तक एक भी गोविंदा नहीं पहुंच पाया। इसमें जिस रस्से के सहारे मटकी टंगी है, उसी पर लटककर गोविंदा को मटकी तक पहुंचना होता है। ज्यादातर गोविंदा मटकी तक पहुंचने के पहले ही रस्सी छूटने से नर्मदा में गिर जाते हैं। प्रतियोगिता बुधवार को भी जारी रहेगी।

loksabha election banner

ओंकारेश्वर नाविक संघ के अध्यक्ष कैलाश भंवरिया ने बताया कि संघ द्वारा 22 सालों से इस प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है। इस साल इसमें भाग लेने स्थानीय गोविंदाओं के अलावा भीलवाड़ा (राजस्थान), महू, कानपुर आदि जगहों से गोविंदा आए हैं।
मटकी फोड़ने वाले के लिए संघ की ओर से 5100 रुपये का नकद इनाम रखा गया है। यह कठिन प्रतियोगिता जैसे -जैसे आगे बढ़ती जाएगी वैसे-वैसे इनाम की राशि में भी बढ़ोतरी होती जाएगी। मंगलवार को कोई तैरकर रस्सी की सीढ़ी तक ही पहुंचने में थक गया तो कोई मटकी के रस्से तक पहुंच सका। कई गोविंदाओं ने रस्से के सहारे मटकी तक पहुंचने की कोशिश भी की, लेकिन मटकी नहीं फोड़ पाए।

कठोर नियम -शर्तो के साथ होती है प्रतियोगिता 
इस प्रतियोगिता के नियम काफी कठिन हैं। सबसे पहले प्रतिभागी से एक फॉर्म पर हस्ताक्षर करवाए जाते हैं। इसमें प्रतिभागी को लिखकर देना पड़ता है कि वह अपनी मर्जी से प्रतियोगिता में भाग ले रहा है। मुझे तैरना आता है और मैंने किसी भी प्रकार का कोई नशा नहीं किया है।
नाविक संघ के पदाधिकारियों द्वारा संपूर्ण जांच करने के बाद ही प्रतिभागी को नर्मदा नदी में कूदने की अनुमति मिलती है। मटकी फोड़ने के प्रयास के दौरान नर्मदा नदी में ट्यूब व नाव लेकर नाविक संघ के गोताखोर तैनात रहते हैं। यदि कोई गोविंदा रस्सी छूटने के बाद नर्मदा नदी में गिरता है तो उसे गोताखोरों द्वारा पकड़कर तुरंत घाट तक पहुंचा दिया जाता है।
गोविंदाओं को डेढ़ सौ फीट हाथों के बल रस्से के सहारे मटकी तक पहुंचना होता है। हाथ के अलावा शरीर का कोई भी भाग रस्से को नहीं छूना चाहिए। इससे पहले रस्सी तक पहुंचने के लिए 30 फीट रस्सी की सीढ़ी भी चढ़ना होती है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.