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मध्‍य प्रदेश में आदिवासियों पर दर्ज छोटे केस वापस लेगी सरकार, CM शिवराज का बड़ा एलान

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि उन्हें अधिकारियों ने बताया कि शराब बनाने को लेकर आदिवासियों पर कई मुकदमे दर्ज किए गए हैं जिन्हें वापस लिया जाएगा।

By Tilak RajEdited By: Published: Sun, 20 Sep 2020 06:06 AM (IST)Updated: Sun, 20 Sep 2020 06:06 AM (IST)
मध्‍य प्रदेश में आदिवासियों पर दर्ज छोटे केस वापस लेगी सरकार, CM शिवराज का बड़ा एलान
मध्‍य प्रदेश में आदिवासियों पर दर्ज छोटे केस वापस लेगी सरकार, CM शिवराज का बड़ा एलान

भोपाल, जेएनएन। मध्य प्रदेश में विधानसभा उपचुनाव में आदिवासी मतदाताओं की अहमियत को देखते हुए उन्हें साधने की कोशिश शुरू हो गई है। शनिवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एलान किया कि गरीब आदिवासियों पर चल रहे छोटे-मोटे आपराधिक मामले वापस लिए जाएंगे। उन्हें व्यर्थ अदालतों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे।

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शनिवार को मुख्यमंत्री चौहान भोपाल में 'वनाधिकार उत्सव' को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने वनाधिकार पत्र बांटे और वनाधिकार पुस्तिका का लोकार्पण किया। शिवराज ने कहा कि उन्हें अधिकारियों ने बताया कि शराब बनाने को लेकर आदिवासियों पर कई मुकदमे दर्ज किए गए हैं, जिन्हें वापस लिया जाएगा। इसी तरह वनोपज चोरी, वन अधिनियम के छोटे जमानती अपराध, लकड़ी चोरी सहित जिन अपराधों में एक साल या इससे कम सजा का प्रविधान है, उन्हें वापस लिया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार 23 हजार हितग्राहियों को वनाधिकार पट्टों का वितरण करने जा रही है। प्रदेश में 2006 के पहले से काबिज प्रत्येक आदिवासी को पट्टा दिलाया जाएगा। उन्होंने आदिवासियों को साहूकारों के चंगुल से सतर्क रहने की हिदायत दी और कहा कि नियम विरुद्ध तरीके से 15 अगस्त 2020 तक साहूकारों द्वारा दिए गए ऋण आदिवासियों को नहीं चुकाने होंगे। वह सारा कर्ज माफ कर दिया गया है।

मध्‍य प्रदेश में भाजपा के असंतुष्टों को मनाने के लिए जुटा संघ

मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार के स्थायित्व के लिए विधानसभा की 28 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में विजय पताका फहराना भाजपा के लिए सबसे जरूरी है, लेकिन असंतोष और भितरघात का धुआं अभी तक उठ रहा है। इसके डैमेज कंट्रोल के लिए भाजपा के प्रयासों को निर्णायक नहीं मिल सका है। इन प्रयासों को नाकाफी मानते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने माइक्रो मैनेजमेंट के सारे सूत्र अपने हाथ में ले लिए हैं। अभी तक की स्थिति यह है कि कांग्रेस से भाजपा में आए नेता पार्टी के बूथ से लेकर विधानसभा स्तर तक के नेताओं के गले के नीचे उतर नहीं रहे हैं। औपचारिकता निभाने के लिए भाजपा नेता हर कार्यक्रम में दिखते तो हैं, लेकिन प्रत्याशियों के समर्थन में जिस जी-जान से जुटने की जरूरत है, वह पूरी होती नहीं दिख रही है।


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