छत्तीसगढ़ में 'धान के कटोरे' से छलका धान, दलहन और तिलहन को बढ़ावा देगी सरकार
धान की अधिक पैदावार से दोहरी समस्या हो रही है। खरीद में बड़ी राशि जा रही है वहीं चावल भी बच जा रहा है।
रायपुर, राज्य ब्यूरो। छत्तीसगढ़ धान का कटोरा कहा जाता है। यहां धान की 22 हजार से अधिक प्रजाति है। 70 फीसद किसान धान की खेती करते हैं। धान उत्पादक किसानों की बढ़ती संख्या और उत्पादन ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है। इसी वजह से सरकार ने अब धान का रकबा पांच फीसद घटाने का फैसला किया है। इसके स्थान पर दलहन और तिलहन की फसलों को बढ़ावा दिया जाएगा। पिछले खरीफ सीजन में धान का इतना उत्पादन और खरीद हो गई कि सरकार के सामने समस्या खड़ी हो गई है। अब तक 19 लाख 55 हजार किसान धान बेच चुके हैं। करीब 30 हजार किसान टोकन लिए मंडी खुलने के इंतजार में हैं। सरकार के सामने अभी खरीदे गए करीब 84 लाख मीट्रिक टन धान में से 10.47 लाख मीट्रिक धान को खपाने की समस्या है। अगर यह धान केंद्र सरकार नहीं लेगी तो सरकारी खजाने पर सीधे 15 सौ करोड़ का भार बढ़ेगा। यह धान पर दिए जाने वाले 53 सौ करोड़ पये के बोनस के अतिरिक्त होगा।
बोनस से बढ़ा रकबा और किसान भी बढ़े
राज्य सरकार चुनावी वादे के अनुसार दो सीजन से 2500 पये प्रति क्विंटल की दर से धान की खरीद कर रही है। इसकी वजह से धान का रकबा करीब तीन लाख हेक्टेयर और धान उत्पादन करने वाले किसानों की संख्या भी पौने तीन लाख बढ़ गई है। खरीफ सीजन 2018-19 16 लाख 97 हजार 890 किसाों ने पंजीयन कराया था। इनमें से करीब 12 लाख ने धान बेचा था। पिछले सीजन में पंजीयन कराने वाले किसानों की संख्या 19 लाख 62 हजार 739 तक पहुंच गई।
37 लाख हेक्टयेर में धान की खेती का लक्ष्य
कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने बताया कि राज्य में इस साल खरीफ सीजन में धान के रकबे को पांच फीसद कम करने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने बताया कि आगामी खरीफ सीजन में 37 लाख हेक्टेयर धान की बुआई का लक्ष्य है, जो बीते वर्ष की तुलना में एक लाख 76 हजार हेक्टेयर कम है।
दूसरी फसलों का बढ़ेगा रकबा
धान का रकबा कम करके दलहन के रकबे में 28 व तिलहन के रकबे में 33 फीसद की वृद्घि का लक्ष्य रखा गया है। अन्य अनाज की फसलों के रकबे को 76 हजार हेक्टेयर से बढ़ाकर 90 हजार हेक्टेयर करने का लक्ष्य रखा गया है। अरहर के रकबे में 34 हजार हेक्टेयर, उड़द के रकबे में 25 हजार हेक्टेयर च अन्य दलहनी फसल के रकबे में 21 हजार हेक्टेयर की वृद्घि का लक्ष्य है। इसी तरह मक्का के रकबे को दो लाख पांच हजार हेक्टेयर से बढ़ाकर दो लाख 38 हजार हेक्टेयर करने की तैयारी है।
धान की अधिक पैदावार से दोहरी समस्या
धान की अधिक पैदावार से दोहरी समस्या हो रही है। खरीद में बड़ी राशि जा रही है, वहीं चावल भी बच जा रहा है। अगले खरीफ सीजन में राज्य में धान का रकबा और बढ़ने की संभावना है। ऐसे में सरकार को खरीद भी अधिक करनी पड़ेगी, लेकिन केंद्र का साथ नहीं मिल रहा है। केंद्रीय पूल में लिए जाने वाले चावल का कोटा केंद्र सरकार नहीं बढ़ा रही है। इससे अतिरिक्त धान व चावल राज्य के लिए बड़ी समस्या है। राज्य सरकार धान से ईधन बनाने की अनुमति मांग रही है, लेकिन केंद्र सरकार उसके लिए भी राजी नहीं है।