पिछड़े जिलों के विकास को लेकर नए सिरे से अभियान चलाएगी सरकार
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने इस दिशा में तेजी दिखाते हुए इन जिलों मे अपनी योजनाओं को पहुंचाने के लिए एक कार्यक्रम भी जारी किया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। विकास की दौड़ में पिछड़े जिलों को विकसित करने के लिए सरकार अब नए सिरे से अभियान चलाएगी। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय सहित सरकार के कई मंत्रालयों ने इसकी योजना बनाई है। इसके तहत इन सभी जिलों में मंत्रालय अब अपने योजनाओं को पहुंचाने के लिए एक विशेष कार्यक्रम चलाएंगे। इसके तहत मंत्रालयों से जुड़ी योजनाओं को प्रत्येक जरूरतमंदों तक पहुंचायी जाएगी। नीति आयोग ने देश में ऐसे 115 जिलों को चिन्हित किया है। हालांकि पश्चिम बंगाल और ओडिशा के इस योजना से हटने के बाद अब 101 जिले ही बचे है।
इन जिलों को लेकर सरकार ने यह मुस्तैदी उस समय दिखाई है, जब हाल ही में इन जिलों से जमीनी स्तर पर जुटाए गए फीडबैक में अपेक्षा के अनुरूप सफलता नहीं मिल पायी है। इसके बाद तो इन 101 जिलों के विकास का जिम्मा संभाल रहे केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने केंद्र सरकार के सभी विभागों के मंत्रियों को पत्र लिखकर विभागीय योजनाओं के क्रियान्वयन और निगरानी बढाने को कहा था।
इसके बाद इन जिलों को लेकर मंत्रालय स्तर पर यह हलचल तेज हुई है। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने इस दिशा में तेजी दिखाते हुए इन जिलों मे अपनी योजनाओं को पहुंचाने के लिए एक कार्यक्रम भी जारी किया है। जो अगले हफ्ते से शुरु होगी। इस दौरान मंत्रालय के सभी अधिकारियों को प्रत्येक योजनाओं के क्रियान्वयन का जिम्मा भी सौंपा गया है।
विकास की दौड़ में पिछड़े इन जिलों का चयन नीति आयोग ने अलग-अलग मापदंड के आधार पर किया है। प्रधानमंत्री ने इस जिलों को आकांक्षापूर्ण (ऑस्पीरेशनल) जिलों की संज्ञा दी थी। इनमें करीब 33 नक्सल प्रभावित जिले भी शामिल है। गौरलतब है कि इन जिलों के विकास कार्यो पर नजर रखने के लिए केंद्र सरकार ने हाल ही में प्रत्येक जिलों के एक केंद्रीय मंत्री को प्रभारी बनाया है। इसके अलावा इन सभी जिलों में सरकार ने केंद्र में तैनात अपने एक वरिष्ठ अधिकारियों को भी नोडल अधिकारियों के तौर पर तैनात किया है।