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कोरोना से मौत की संख्या कम बताने वाली खबरें हैं भ्रामक, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने किया खंडन

मंत्रालय ने कहा कि पूरी कवायद भारत के महापंजीयक (आरजीआई) की निगरानी में की जा रही है। इसके अलावा भारत सरकार के पास विश्व स्तर पर स्वीकार्य वर्गीकरण के आधार पर कोरोना की मौतों को वर्गीकृत करने के लिए एक बहुत व्यापक परिभाषा है।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Fri, 14 Jan 2022 10:41 PM (IST)Updated: Fri, 14 Jan 2022 10:43 PM (IST)
कोरोना से मौत की संख्या कम बताने वाली खबरें हैं भ्रामक, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने किया खंडन
कई मीडिया रिपोर्ट्स को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने किया खंडन

नई दिल्ली, पीटीआइ। देश में कोरोना महामारी से अब तक लाखों लोगों की जान जा चुकी है। इस बीच, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मीडिया में आई उन खबरों का खंडन किया है जिसमें भारत में पहली दो लहरों में कोरोना से होने वाली मौतों की संख्या में कमी का आरोप लगाया गया है। मंत्रालय ने इस प्रकार की खबरों को भ्रामक, जानकारी के अभाव वाला और शरारती प्रकृति का करार दिया है।

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मंत्रालय ने कहा कि भारत सरकार के पास विश्व स्तर पर स्वीकार्य वर्गीकरण के आधार पर कोरोना से होने वाली मौतों को वर्गीकृत करने की एक बहुत व्यापक परिभाषा है।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि यह स्पष्ट किया जाता है कि इस तरह की मीडिया रिपोर्ट भ्रामक और गलत सूचना पर आधारित हैं। वे तथ्यों पर आधारित नहीं हैं। भारत में जन्म और मृत्यु की रिपोर्टिंग एक बहुत मजबूत प्रणाली है जो एक कानून पर आधारित है और इसे नियमित रूप से किया जाता है। ग्राम पंचायत स्तर से जिला स्तर और राज्य स्तर तक इस पर काम किया जाता है।

मंत्रालय ने कहा कि पूरी कवायद भारत के महापंजीयक (आरजीआई) की निगरानी में की जा रही है। इसके अलावा भारत सरकार के पास विश्व स्तर पर स्वीकार्य वर्गीकरण के आधार पर कोरोना की मौतों को वर्गीकृत करने के लिए एक बहुत व्यापक परिभाषा है। सभी मौतों की स्वतंत्र रूप से राज्यों द्वारा रिपोर्ट की जा रही है और केंद्रीय रूप से संकलित की जा रही है। कोरोना मृत्यु दर डेटा में बैकलाग द्वारा प्रस्तुत किया जा रहा है अलग-अलग समय पर राज्यों का नियमित आधार पर भारत सरकार के आंकड़ों में मिलान किया जा रहा है।

बड़ी संख्या में राज्यों ने नियमित रूप से अपनी मृत्यु संख्या का मिलान किया है और मोटे तौर पर पारदर्शी तरीके से बकाया मौतों की सूचना दी है। इसलिए यह प्रोजेक्ट करना कि मौतों को कम रिपोर्ट किया गया है। यह बिना आधार और बिना औचित्य के है।


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