गेहूं की सरकारी खरीद पहुंची दो करोड़ टन के पार, श्रमिकों व जूट बोरियों की भारी किल्लत
कोरोना वायरस की महामारी से भयभीत और लॉकडाउन के दौरान पैदा हुई परेशानियों के चलते पंजाब हरियाणा और मध्य प्रदेश से मजदूरों का तेजी से पलायन हुआ है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कोरोना संकट के इस दौर में गेहूं की सरकारी खरीद चरम पर है। लेकिन मंडियों में खरीदे गए गेहूं की पैकिंग के लिए जूट बोरियों और मजदूरों की कमी से मुश्किलें पेश आ रही हैं। इस समस्या से लगभग सभी राज्यों की खरीद एजेंसियां परेशान हैं। पश्चिम बंगाल में जूट मिलों में उत्पादन ठप होने की वजह से बोरियों की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। देश के अन्य हिस्सों में स्थित जूट मिलों से जहां तहां आपूर्ति जरूर हो रही है, लेकिन इतने कम समय में बोरियों की आपूर्ति करना आसान नहीं है।
कोविड-19 की महामारी से भयभीत और लॉकडाउन के दौरान पैदा हुई परेशानियों के चलते पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश से मजदूरों का तेजी से पलायन हुआ है। कांट्रैक्ट वाले इन मजदूरों की कमी के चलते मंडियों में गेहूं की बोरियों में पैकिंग, ट्रकों पर लोडिंग और अनलोडिंग की समस्या बढ़ी है। ज्यादातर राज्यों में जूट बोरियों व श्रमिकों की कमी से गेहूं की पैकिंग कर उसे गोदामों तक पहुंचाने की दिक्कत होने लगी है। बेमौसम बारिश और आंधी तूफान से मंडियों में खुले में पड़े गेहूं के खराब होने की आशंका बढ़ गई है। पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश में गेहूं की सरकारी खरीद की रफ्तार संतोषजनक है।
पुरानी बोरियों का किया जा सकता है उपयोग
केंद्रीय उपभोक्ता व खाद्य मंत्री राम विलास पासवान का कहना है कि कुछ राज्यों में जूट बैग की कमी को पूरा करने के लिए विकल्प दे दिया गया है। जूट की जगह प्लास्टिक बैग के साथ पुरानी बोरियों का उपयोग किया जा सकता है।'
कोविड-19 के प्रकोप से लागू देशव्यारी लाकडाउन की वजह से चालू रबी सीजन में फसलों की खरीद अपने निर्धारित समय एक अप्रैल की जगह 15 अपसकी है। जबकि हरियाणा में गेहूं की खरीद 20 अप्रैल से चालू हो पाई है। राज्यों में गेहूं खरीद केंद्रों की संख्या बढ़ा दी गई है, ताकि कोरोना के प्रकोप से बचने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग व अन्य उपायों का पालन किया जा सके। पिछले तीन सप्ताह में कुल दो करोड़ टन गेहूं की खरीद हो चुकी है।