राजनीतिक दलों की कर छूट सीमा तय करने पर विचार कर रही सरकार
वित्त मंत्री ने बताया, राजस्व सचिव को मामला देखने के दे दिए हैं निर्देश- कहा, वाजपेयी सरकार के शुरू किए चुनाव सुधारों को संप्रग सरकार ने नहीं रखा जारी
नई दिल्ली, प्रेट्र। राजनीतिक दलों के लिए सरकार कर छूट की सीमा तय करने की योजना बना रही है, ताकि चुनाव नहीं लड़ने वाले संगठनों के मनी लांड्रिंग करने पर रोक लगाई जा सके। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को यह बात कही।उन्होंने बताया कि चुनाव आयोग की सिफारिशों के मद्देनजर राजस्व सचिव को यह मामला देखने के लिए कह दिया गया है। वित्त मंत्री ने कहा कि एक पहलू है अदृश्य चंदा जिसे चुनाव आयोग अज्ञात कहता है। दूसरा पहलू है राजनीतिक दलों को मिलने वाली रियायत। 40, 50 या 60 राजनीतिक दल ही केंद्र या राज्यों में प्रभावशाली तरीके से चुनाव लड़ते हैं, लेकिन बड़ी संख्या में ऐसे राजनीतिक दल हैं जो चुनाव लड़ने के लिए नहीं बल्कि कर छूट हासिल करने के लिए पंजीकरण कराते हैं।
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लिहाजा इनसे निपटना आसान है।वित्त मंत्री ने कहा कि राजनीतिक चंदा जरूरी है, लेकिन इसको जितना संभव हो उतना पारदर्शी बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि चंदों का आकार छोटा (कम राशि) और संख्या (देने वाले) अधिक होनी चाहिए। इसलिए ऐसे प्रयास किए जाएं कि सिर्फ वास्तविक राजनीतिक दलों को ही इनका लाभ मिले, लिहाजा मुख्य रूप से इस तरह से चंदा हासिल करने की दिशा में बढ़ना होगा।उन्होंने इस बात पर खेद जताया कि वायपेयी सरकार के कार्यकाल में शुरू किए गए चुनाव सुधारों को संप्रग सरकार ने जारी नहीं रखा। वित्त मंत्री ने कहा कि देश जैसे ही लेस कैश अर्थव्यवस्था में तब्दील हो जाएगा तो राजनीतिक दलों को चंदा देने वालों के पास भविष्य में देने के लिए इस तरह का धन ही नहीं होगा। वे राजनीतिक दलों से सीधे आकर कहेंगे कि आप ही यह बदलाव लाए हैं इसलिए आप हमसे अदृश्य चंदे की उम्मीद न करें। हम आपको चेक से चंदा देंगे। जेटली ने कहा कि बदलाव ऐसे ही आएगा।