तेल कंपनियों के मुनाफे पर सरकार की नजर, कम हो सकते हैं पेट्रोल-डीजल के दाम
सरकार पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दामों से आम आदमी को राहत दिलाने के लिए घरेलू तेल ब्लॉकों से कच्चा तेल निकालने वाली कंपनियों के अतिरिक्त मुनाफे पर कर लगा सकती है।
नई दिल्ली (एजेंसी)। सरकार पेट्रोल और डीजल जैसे ईंधन की महंगाई से आम आदमी को राहत दिलाने के लिए घरेलू तेल ब्लॉकों से कच्चा तेल निकालने वाली कंपनियों के अतिरिक्त मुनाफे पर कर (विंडफॉल टैक्स) लगा सकती है। प्रस्तावित स्कीम के तहत देश में कच्चा तेल निकालने वाली ऐसी कंपनियां, जिन्हें अंतरराष्ट्रीय दरों के हिसाब से भाव मिलता है, उन्हें कीमत 70 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर जाने की स्थिति में होने वाली अतिरिक्त कमाई का एक हिस्सा टैक्स के रूप में सरकार को देना होगा।
सूत्रों ने बताया कि इस तरह से जो आय होगी, उसका इस्तेमाल पेट्रोल व डीजल जैसे ईंधन की खुदरा बिक्री करने वाली कंपनियों को भुगतान में किया जाएगा। इस तरीके से वे कच्चे तेल की कीमत एक सीमा अधिक बढ़ने के बावजूद ईंधन की कीमतें नहीं बढ़ाएंगी। सूत्रों ने बताया कि सरकार की सोच सभी तेल उत्पादक कंपनियों पर सेस लगाने की है। इनमें सरकारी और प्राइवेट कंपनियां शामिल हैं। इस तरीके से सरकार कच्चा तेल महंगा होने की स्थिति में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी की समस्या का स्थायी समाधान निकालना चाहती है।
2008 में विफल हुआ था प्रयास
ऐसा नहीं है कि इस तरह की योजना पहली बार बनाई गई हो। इससे पहले साल 2008 में जब कच्चे तेल की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई थी, इसी तरह का टैक्स लगाने पर विचार किया गया था। लेकिन ऐसा हो नहीं पाया क्योंकि केयर्न इंडिया जैसी निजी क्षेत्र की कुछ कंपनियों ने इस प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया था।
कुछ देशों में यह फॉर्मूला लागू
कुछ विकसित देशों में विंडफॉल टैक्स लगाया जाता है। साल 2011 के दौरान जब कीमतें 75 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर चली गई थीं, तब ब्रिटेन में तेल और गैस पर टैक्स की दरें बढ़ा दी गई थी। चीन में भी एक अप्रैल, 2006 से घरेलू तेल उत्पादकों पर स्पेशल अपस्ट्रीम प्रॉफिट टैक्स लगाने की शुरुआत की जा चुकी है।
यह तरीका क्यों?
विंडफॉल टैक्स के जरिए सरकार उस तबके को राहत पहुंचाने का प्रयास करती है, जो तेल के दाम बढ़ने से सबसे ज्यादा प्रभावित होता है, क्योंकि दूसरी तरफ तेल निकालने वाली कंपनियों की आय बढ़ जाती है। मसलन, ओनएनजीसी जैसी कंपनियों के लिए कच्चे तेल की उत्पादन लागत नहीं बढ़ती, लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार में भाव बढ़ने के कारण उन्हें ज्यादा दाम मिलता है।
कुछ दूसरे उपाय भी संभव
इसके साथ ही सरकार उत्पाद शुल्क की दरों में भी हल्की कटौती कर सकती है, ताकि उपभोक्ताओं को तत्काल राहत पहुंचाई जा सके। इसके अलावा राज्यों को सेस और वैट घटाने के लिए भी कहा जा सकता है। नीति आयोग ने भी पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क और वैट घटाने की वकालत की है।