कोरोना वायरस संकट के बीच सरकार ने पैरासिटामॉल एपीआइ के निर्यात से प्रतिबंध हटाया
पैरासिटामॉल का इस्तेमाल दर्द निवारक व बुखार की दवा के रूप में होता है। भारत ने पिछले दो माह में 120 से अधिक देशों को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन और पैरासिटामॉल की आपूर्ति की है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। सरकार ने गुरुवार को पैरासिटामॉल एपीआइ के निर्यात से प्रतिबंध हटा लिया है। इससे पहले सरकार 17 अप्रैल को पैरासिटामॉल फॉर्मूलेशंस के निर्यात से प्रतिबंध हटा चुकी है।
विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) की तरफ से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि तीन मार्च की अधिसूचना को संशोधित कर पैरासिटामॉल एपीआइ (फार्मास्यूटिकल्स इंग्रीडिएंटस) के निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंध को तत्काल प्रभाव से हटाया जा रहा है। कोरोना वायरस संकट के बीच सरकार ने तीन मार्च को घरेलू आपूर्ति बढ़ाने के लिए पैरासिटामॉल और इसके फॉर्मूलेशंस के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था।
गौरतलब है कि पैरासिटामॉल का इस्तेमाल दर्द निवारक व बुखार की दवा के रूप में होता है। भारत ने पिछले दो माह में 120 से अधिक देशों को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन और पैरासिटामॉल की आपूर्ति की है। कोविड-19 महामारी के बाद दुनिया भर में इन दवाओं की मांग बढ़ गई है।
एचसीक्यू पर वैश्विक दुष्प्रचार का ठोस सबूतों पर जवाब देगा भारत
वहीं, दूसरी ओर कोरोना के इलाज में हाइड्रोक्सी-क्लोरोक्वीन (एचसीक्यू) की उपयोगिता को लेकर वैश्विक दुष्प्रचार का जवाब ठोस सबूतों और आंकड़ों के साथ दिया जाएगा। आइसीएमआर को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई है। नीति आयोग के सदस्य और कोरोना को लेकर गठित उच्चाधिकार समूह-एक के प्रमुख डाक्टर वीके पॉल ने कहा कि एचसीक्यू को लेकर उपलब्ध वैज्ञानिक जानकारी के आधार पर ही भारत पूरी जिम्मेदारी के साथ कोरोना के रोकथाम से लेकर इसके मरीजों के इलाज में इसका इस्तेमाल कर रहा है।
जितनी रिसर्च होगी, उतनी जानकारी सामने आएगी
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के ट्रायल में एचसीक्यू के स्थगित करने व फ्रांस समेत कुछ देशों में इसके इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाए जाने के बारे में पूछे जाने पर डाक्टर वीके पॉल ने कहा कि एचसीक्यू को लेकर सिर्फ विश्व स्वास्थ्य संगठन में ही ट्रायल नहीं हो रहा है, जिसकी चर्चा है। बल्कि कई देश इसको लेकर काम कर रहे हैं, जो अब भी जारी है। उनके अनुसार इसको लेकर जितनी रिसर्च होगी, उतनी जानकारी सामने आएगी।