सरकार ने गेहूं की जमकर खरीद की, खुले में पड़े गेहूंं के भीगने की आशंका, राज्यों से मांगी रिपोर्ट
कुल 3.5 करोड़ टन गेहूं की खरीद कर ली गई है गेहूं की भारी मात्रा ही अब एक बड़ी मुसीबत बनने वाला है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। चुनावी साल में केंद्र व राज्य की एजेंसियों ने रबी खरीद सीजन में गेहूं की जमकर खरीद की है। कुल 3.5 करोड़ टन गेहूं की खरीद कर ली गई है गेहूं की भारी मात्रा ही अब एक बड़ी मुसीबत बनने वाला है। मानसून अपने निर्धारित समय से एक पखवारा पहले ही पूरे देश में पहुंच गया है, जिससे गेहूं के भीगने की आशंका बढ़ गई है। खतरे को भांपते हुए केंद्र ने गेहूं खरीद करने वाले राज्यों से भंडारण के बंदोबस्त के बारे में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
मानसून की जल्द आमद से भंडारण की बढ़ी मुश्किलें
गेहूं की डिसेंट्रलाइज खरीद करने वाले राज्यों में शुमार उत्तर प्रदेश की नई सरकार ने राजनीतिक दबावों और किसानों को लुभाने के लिहाज से 50 लाख टन से अधिक गेहूं की खरीद कर ली है। जबकि इतने गेहूं के लिए भंडारण की पर्याप्त सुविधा नहीं है। हालांकि राज्य की राशन प्रणाली के लिए राज्य को कुल 60 लाख टन गेहूं की जरूरत पड़ती है। उसके हिसाब से यह मात्रा संतोषजनक है, लेकिन राज्य में इतने भंडारण की व्यवस्था न होने से गेहूं के भीगने की आशंका है।
उत्तर प्रदेश और पंजाब में खुले में रखे गेहूं को लेकर सांसत
पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में भी गेहूं की रिकार्डतोड़ खरीद कर डाली है। वहां से जिन बड़े राज्यों में गेहूं की आपूर्ति होती रही है, उनमें उत्तर प्रदेश प्रमुख है। उसे फिलहाल गेहूं की जरूरत नहीं है। ऐसे में पंजाब में भी खुले में रखा गेहूं भीग सकता है।
मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने की वजह से गेहूं की पर्याप्त 85 लाख टन की खरीद हो चुकी है। वहां बाहर रखा चना तक भीग रहा है। ऐसे में गेहूं के भंडारण को लेकर बड़ी चुनौती सामने खड़ी है। राजस्थान में भी नवंबर में चुनाव हैं, जहां मामूली मात्रा में गेहूं की खरीद होती रही है, लेकिन इस सीजन में वहां 15.50 लाख टन गेहूं की खरीद हुई है। राजस्थान में बारिश हो रही है। भंडारण की चुनौतियों से उसे भी रुबरु होना पड़ रहा है।
केंद्रीय खाद्य मंत्रालय ने सभी राज्यों को पत्र लिखकर गेहूं भंडारण के बारे विस्तृत जानकारी मांगी है। मंत्रालय ने गेहूं के भीगने की आशंका जताते हुए तत्काल भंडारण के इंतजाम का निर्देश दिया है। मंत्रालय ने भारतीय खाद्य निगम को भी इस बारे में राज्यों को हर संभव मदद मुहैया कराने का निर्देश दिया है।