सरकार ने 'मेक इन इंडिया' के प्रमोशन के लिए बदले 13 हजार करोड़ के ठेके
सरकार ने देश में रोजगार सृजन करने और और आय बढ़ाने के लिए पिछले वर्ष 15 जून को वस्तुओं एवं सेवाओं के भारत में निर्माण और उत्पादन का आदेश जारी किया था।
By Manish NegiEdited By: Published: Thu, 24 May 2018 10:20 PM (IST)Updated: Thu, 24 May 2018 10:20 PM (IST)
style="text-align: justify;">नई दिल्ली, प्रेट्र। सरकार ने कहा है कि उसने 'मेक इन इंडिया' के प्रमोशन के लिए कुल 13,000 करोड़ रुपये मूल्य के ठेके या तो वापस ले लिए, या उन्हें संशोधित कर दोबारा जारी किया। औद्योगिक नीति व संवर्धन विभाग (डीआइपीपी) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि विभाग पब्लिक प्रोक्योरमेंट ऑर्डर, 2017 के पूर्ण रूप से पालन तथा मेक इन इंडिया उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए हर संभव उपाय कर रहा है।
सरकार ने देश में रोजगार सृजन करने और और आय बढ़ाने के लिए पिछले वर्ष 15 जून को वस्तुओं एवं सेवाओं के भारत में निर्माण और उत्पादन का आदेश जारी किया था। अधिकारी ने बताया कि उसके बाद विभाग के दखल से 8,000 करोड़ रुपये मूल्य का एक टेंडर वापस लिया गया और बदली शर्तो के हिसाब से उसे दोबारा जारी किया गया। यह टेंडर यूरिया और अमोनिया उत्पादन संयंत्र स्थापित करने के लिए था। इसी तरह, ट्रेन कोच की खरीद से संबंधित 5,000 करोड़ रुपये के एक टेंडर को रद किया गया, क्योंकि उसकी शर्ते विदेशी उत्पादकों को मदद कर रही थीं।
गौरतलब है कि इस वर्ष मार्च में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सार्वजनिक क्षेत्र के लिए सामानों की खरीद से संबंधित टेंडर दस्तावेजों में घरेलू उत्पादकों और आपूर्तिकर्ताओं के खिलाफ भेदभावपूर्ण शर्ते रहने पर चिंता जता चुके हैं। पब्लिक प्रोक्योरमेंट (प्रिफरेंस टु मेक इन इंडिया) ऑर्डर में स्पष्ट कहा गया है कि केंद्र सरकार के सभी विभाग, उनकी अनुषंगी शाखाएं और भारत सरकार नियंत्रित स्वायत्त संस्थाएं अपनी हर खरीद में घरेलू आपूर्तिकर्ताओं को प्राथमिकता देना सुनिश्चित करें। अधिकारी ने यह भी कहा कि डीआइपीपी सचिव रमेश अभिषेक की अध्यक्षता वाली स्थायी समिति इस आदेश कके अनुपालन में आने वाली किसी भी तरह की कठिनाई के निस्तारण का ध्यान रखेगी। गौरतलब है कि रक्षा व दवा समेत कई विभाग केवल घरेलू बाजार से खरीदे जाने वाले सामानों की सूची जारी कर चुके हैं।
सरकार ने देश में रोजगार सृजन करने और और आय बढ़ाने के लिए पिछले वर्ष 15 जून को वस्तुओं एवं सेवाओं के भारत में निर्माण और उत्पादन का आदेश जारी किया था। अधिकारी ने बताया कि उसके बाद विभाग के दखल से 8,000 करोड़ रुपये मूल्य का एक टेंडर वापस लिया गया और बदली शर्तो के हिसाब से उसे दोबारा जारी किया गया। यह टेंडर यूरिया और अमोनिया उत्पादन संयंत्र स्थापित करने के लिए था। इसी तरह, ट्रेन कोच की खरीद से संबंधित 5,000 करोड़ रुपये के एक टेंडर को रद किया गया, क्योंकि उसकी शर्ते विदेशी उत्पादकों को मदद कर रही थीं।
गौरतलब है कि इस वर्ष मार्च में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सार्वजनिक क्षेत्र के लिए सामानों की खरीद से संबंधित टेंडर दस्तावेजों में घरेलू उत्पादकों और आपूर्तिकर्ताओं के खिलाफ भेदभावपूर्ण शर्ते रहने पर चिंता जता चुके हैं। पब्लिक प्रोक्योरमेंट (प्रिफरेंस टु मेक इन इंडिया) ऑर्डर में स्पष्ट कहा गया है कि केंद्र सरकार के सभी विभाग, उनकी अनुषंगी शाखाएं और भारत सरकार नियंत्रित स्वायत्त संस्थाएं अपनी हर खरीद में घरेलू आपूर्तिकर्ताओं को प्राथमिकता देना सुनिश्चित करें। अधिकारी ने यह भी कहा कि डीआइपीपी सचिव रमेश अभिषेक की अध्यक्षता वाली स्थायी समिति इस आदेश कके अनुपालन में आने वाली किसी भी तरह की कठिनाई के निस्तारण का ध्यान रखेगी। गौरतलब है कि रक्षा व दवा समेत कई विभाग केवल घरेलू बाजार से खरीदे जाने वाले सामानों की सूची जारी कर चुके हैं।
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