Move to Jagran APP

वाट्सएप के व्यवहार को लेकर सरकार चिंतित, नहीं दी जासूसी को लेकर जानकारी

सरकार बीते दो साल में लिंचिंग और हिंसा की घटनाओं में वाट्सएप के जरिए फैलाये संदेशों पर रोक लगाने के लिए कई बार वाट्सएप को चेतावनी दे चुकी है।

By Manish PandeyEdited By: Published: Fri, 01 Nov 2019 08:28 PM (IST)Updated: Fri, 01 Nov 2019 08:28 PM (IST)
वाट्सएप के व्यवहार को लेकर सरकार चिंतित, नहीं दी जासूसी को लेकर जानकारी
वाट्सएप के व्यवहार को लेकर सरकार चिंतित, नहीं दी जासूसी को लेकर जानकारी

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। भारत के बाद अन्य देशों से भी संदेशों का स्त्रोत बताने का दबाव बनने के बाद वाट्सएप (WhatsApp) पर शिकंजा कसता जा रहा है। हाल में उजागर जासूसी मामले को सरकार इसी शिकंजे से निकलने की वाट्सएप की कोशिश के तौर पर देख रही है। सरकार ने इस बात पर भी चिंता जतायी है कि इस साल जून के बाद कम से कम दो बार वाट्सएप के शीर्ष अधिकारियों ने इलेक्ट्रॉनिक व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री से मुलाकात की। लेकिन इस बात का उल्लेख भी नहीं किया कि उसके प्लेटफार्म पर कुछ भारतीय यूजर जासूसी का शिकार हुए हैं। जबकि आइटी एक्ट के मुताबिक ऐसा करना उसके लिए जरूरी था।

loksabha election banner

सरकार के एक उच्च अधिकारी ने शुक्रवार को कहा कि क्या इस घटना को सरकार की तरफ से वाट्सएप की जवाबदेही और संदेशों का स्त्रोत बताने के संबंध में बनाये जा रहे कानून से बचने के संदर्भ में देखा जाना चाहिए। अधिकारी ने कहा कि जासूसी के शिकार लोगों के नामों को देखें तो उनमें अधिकांश ऐसे हैं जो मौजूदा सरकार के आलोचक हैं। सरकार का मानना है कि क्या यह महज एक संयोग है?

वाट्सएप पर जानकारी देने का बन रहा दबाव

सरकार बीते दो साल में लिंचिंग और हिंसा की घटनाओं में वाट्सएप के जरिए फैलाये संदेशों पर रोक लगाने के लिए कई बार वाट्सएप को चेतावनी दे चुकी है। सरकार चाहती है कि वाट्सएप जरूरत पड़ने पर जांच एजेंसियों को ऐसे संदेशों के स्त्रोत तक पहुंचने में मदद करे, लेकिन वाट्सएप हर बार यूजर की निजता की आड़ लेकर ऐसा करने से बचती रही है। अब आस्ट्रेलिया, अमेरिका और यहां तक कि ब्राजील जैसे देशों से भी वाट्सएप पर इस तरह की जानकारी देने का दबाव बन रहा है।

सरकार के उच्च अधिकारियों से मुलाकात

इस साल जुलाई और सितंबर में वाट्सएप के दो अलग अलग शीर्ष अधिकारियों ने सरकार के उच्च अधिकारियों से मुलाकात की। सरकारी सूत्रों का कहना है कि इनमें से किसी एक भी बैठक में वाट्सएप अधिकारियों ने जासूसी संबंधी किसी भी जानकारी का खुलासा सरकार के साथ नहीं किया। सूत्र बताते हैं कि देश के आइटी अधिनियम की धारा 70 के मुताबिक वाट्सएप के लिए ऐसा करना आवश्यक है।

खुलासे के समय पर भी सवाल

सरकार जासूसी कांड के खुलासे के समय पर भी सवाल खड़ा कर रही है। सूत्रों का कहना है कि सरकार अपने आइटी कानून को और सख्त बनाने जा रही है। संसद के अगले सत्र में इस संबंध में विधेयक पेश किया जा सकता है। इसके लिए सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से तीन महीने का समय मांगा था। सूत्रों का मानना है कि कानून बनने के बाद वाट्सएप के लिए संदेशों के स्त्रोत की जानकारी देने के लिए बहानेबाजी करना मुश्किल हो जाएगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.