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आइएनएस विक्रमादित्य मामले में हाई कोर्ट पहुंची सरकार

रक्षा मंत्रालय ने एक याचिका के जरिये सीआइसी के उस आदेश पर सवाल उठाए हैं, जिसमें रूस के साथ हुए वित्तीय करार को सार्वजनिक किया गया था।

By Manish NegiEdited By: Published: Sun, 01 Apr 2018 07:55 PM (IST)Updated: Sun, 01 Apr 2018 07:56 PM (IST)
आइएनएस विक्रमादित्य मामले में हाई कोर्ट पहुंची सरकार
आइएनएस विक्रमादित्य मामले में हाई कोर्ट पहुंची सरकार

नई दिल्ली, प्रेट्र। विमान वाहक पोत आइएनएस विक्रमादित्य मामले में सरकार दिल्ली हाई कोर्ट पहुंच गई है। रक्षा मंत्रालय ने एक याचिका के जरिये सीआइसी (केंद्रीय सूचना आयुक्त) के उस आदेश पर सवाल उठाए हैं, जिसमें रूस के साथ हुए वित्तीय करार को सार्वजनिक किया गया था। सरकार का तर्क है कि राष्ट्रीय सुरक्षा को देखते हुए सीआइसी का फैसला सरासर गलत है।

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नई तकनीकों से लैस आइएनएस विक्रमादित्य की खरीद को लेकर भारत ने रूस सरकार से 2004 में करार किया था। पहले इसकी कीमत 9740 लाख डॉलर थी, जो 2010 में बढ़कर 2.35 अरब डॉलर हो गई। रूस में इस विमान वाहक पोत का नाम एडमिरल गोर्शकोव था। सीआइसी अमित्वा भट्टाचार्य ने सुभाष अग्रवाल की याचिका पर सुनवाई के बाद फैसला दिया था कि सरकार ने नए जहाज की जगह परिवर्तित जहाज की खरीद में क्यों दिलचस्पी दिखाई। आयोग ने सरकार को हिदायत दी थी कि इस मामले में रूसी सरकार के साथ जो भी पत्राचार हुआ उसे पेश करे। यह भी पूछा कि 30 साल पुराने जहाज के मामले में जो भी भुगतान भारत ने रूस को किया, उससे जुड़े दस्तावेज भी पेश किए जाएं।

सीआइसी के फैसले के खिलाफ रक्षा मंत्रालय ने दिल्ली हाई कोर्ट में दलील दी कि अगर ब्योरा सार्वजनिक हुआ तो रूस के साथ संबंध प्रभावित हो सकते हैं। मंत्रालय का यह भी कहना है कि भारत व रूस की सरकारों के बीच जो करार (आइजीए) है, उसके तहत रक्षा मामलों से जुड़ी कोई भी जानकारी आरटीआइ के तहत सार्वजनिक नहीं की जा सकती। सेक्शन 8(1)(ए) के तहत इस पर रोक लगाई गई है। भट्टाचार्य का कहना है कि गोरसोकोव से जुड़ी जानकारी जनहित में है और सरकार को इसे हर हाल में देना होगा। 44,500 टन का यह विमान वाहक पोत 20 दिसंबर 1987 में रूसी नौसेना में शामिल किया गया था।


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