भोपाल में फिर ग्लैंडर्स बीमारी ने दी दस्तक, अश्व प्रजाति के सार्वजनिक उपयोग पर लगी रोक
मध्य प्रदेश में अश्व प्रजाति की बीमारी ग्लैंडर्स ने फिर दस्तक दी है। भोपाल में एक घोड़े की मौत के बाद जांच में इसकी पुष्टि हुई। जांच के लिए सैंपल राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र हिसार (हरियाणा) भेजे गए थे जहां से पिछले हफ्ते रिपोर्ट आई है।
भोपाल, राज्य ब्यूरो। मध्य प्रदेश में अश्व प्रजाति की बीमारी ग्लैंडर्स ने फिर दस्तक दी है। भोपाल के गरम गड्ढा रोड नवबहार क्षेत्र में एक घोड़े की मौत के बाद जांच में इसकी पुष्टि हुई। जांच के लिए सैंपल राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र, हिसार (हरियाणा) भेजे गए थे, जहां से पिछले हफ्ते रिपोर्ट आई है। इसके बाद कलेक्टर ने भोपाल शहर में अश्व प्रजाति (घोड़े और खच्चर) के सार्वजनिक उपयोग पर रोक लगा दी है। अब न दूल्हे घोड़ी चढ़ पाएंगे, न ही घोड़ों का उपयोग दौड़, खेलकूद, मेला या प्रदर्शनी आदि में किया जा सकेगा। मंगलवार को नगर निगम आयुक्त केवीएस चौधरी कोलसानी ने भी रोक लगाने के आदेश जारी कर दिए।
हिसार भेजी गई सैंपल जांच पॉजिटिव आई
पशु चिकित्सा विभाग के उप संचालक डा. अजय रामटेके ने बताया कि प्रभावित घोड़े की इलाज के दौरान राज्य पशु चिकित्सालय में मौत हुई थी। इसके पहले ही इसके सैंपल जांच के लिए हिसार भेज दिए थे। रिपोर्ट पाजिटिव आने के बाद अब जिस घर में यह पाला जा रहा था वहां से आसपास के पांच किमी के दायरे में सभी और पांच से 10 किमी के दायरे में 50 फीसद घोड़े-खच्चर के सैंपल ग्लैंडर्स की जांच की खातिर लिए जाएंगे। छह महीने तक निगरानी के लिए इसी तरह से सैंपल लिए जा रहे हैं। सभी रिपोर्ट निगेटिव आने पर शहर के ग्लैंडर्स मुक्त होने की अधिसूचना राजपत्र में प्रकाशित होगी। बता दें कि इसके पहले 2018-19 में भी भोपाल में ग्लैंडर्स के मामले मिलने की वजह से जून 2020 तक अश्व प्रजाति के सार्वजनिक उपयोग पर रोक थी।
ऐसे फैलती है बीमारी
यह बीमारी बैक्टीरिया से फैलती है। एक ही बर्तन में पानी पीने व खाने वाले घोड़ों में एक से दूसरे तक बीमारी पहुंच जाती है। इस बीमारी में सर्दी-जुकाम, बुखार व शरीर में दाने दिखते हैं। घोड़ों के लिए यह जानलेवा संक्रामक बीमारी है। इंसानों में भी यह बीमारी आ सकती है। हालांकि, देश में अभी तक इंसानों में इसकी पुष्टि नहीं हुई है।
तब मारने पड़े थे 13 घोड़े
भोपाल में मई 2018 में काजी कैंप इलाके में ग्लैंडर्स बीमारी की दस्तक हुई थी। तबसे सितंबर 2019 तक 13 घोड़ों में इसकी पुष्टि हुई थी, जिन्हें जहर देकर मार दिया गया था। कुछ की स्वयं ही मौत हो गई। पशु चिकित्सा अफसरों ने बताया कि दूसरे जिलों से घोड़े भोपाल आते हैं, इसलिए यहां केस ज्यादा मिलते हैं।