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मध्यप्रदेश: बीएड में छात्रा को मिले 99.75 फीसद अंक, विश्वविद्यालय हैरान, मूल्यांकन सिस्टम में बदलाव जरूरी

कोरोना महामारी ने कालेजों की परीक्षा का तरीका क्या बदला परीक्षार्थियों की चांदी हो गई। फेल होने के डर से तो मुक्ति मिल ही गई। एक छात्रा का परीक्षा परिणाम देख देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के अधिकारियों का सिर चकरा गया।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sat, 24 Jul 2021 01:23 AM (IST)Updated: Sat, 24 Jul 2021 01:23 AM (IST)
मध्यप्रदेश: बीएड में छात्रा को मिले 99.75 फीसद अंक, विश्वविद्यालय हैरान, मूल्यांकन सिस्टम में बदलाव जरूरी
मार्कशीट पर दिए गए अंक व्यवहारिक परीक्षा सिस्टम में संभव नहीं

लोकेश सोलंकी, इंदौर। कोरोना महामारी ने कालेजों की परीक्षा का तरीका क्या बदला परीक्षार्थियों की चांदी हो गई। फेल होने के डर से तो मुक्ति मिल ही गई। एक छात्रा का परीक्षा परिणाम देख देवी अहिल्या विश्वविद्यालय (डीएवीवी) के अधिकारियों का सिर चकरा गया। बीएड पहले सेमेस्टर में छात्रा दीप्ती कुलवाल को 99.75 प्रतिशत अंक दिए गए। उसे 400 पूर्णाक में से 399 अंक मिले हैं। यूनिवर्सिटी की परीक्षा कमेटी ने भी इस रिजल्ट पर सवाल खड़े किए हैं।

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मार्कशीट पर दिए गए अंक व्यवहारिक परीक्षा सिस्टम में संभव नहीं

अधिकारी मान रहे हैं कि मार्कशीट पर दिए गए अंक व्यवहारिक परीक्षा सिस्टम में संभव नहीं होते। इस परिणाम को देख विश्वविद्यालय में मूल्यांकन सिस्टम में जरूरी बदलावों पर भी विचार शुरू हो गया है। गुजराती समाज बीएड कालेज की इस छात्रा को हाल ही में घोषित परीक्षा परिणाम में इतने अंक मिले। दरअसल, कोरोना के कारण विवि ने परीक्षा या टेस्ट नहीं लेकर कालेजों को अधिकार दिए थे कि वे आंतरिक मूल्यांकन कर अंक विवि को भेज दें। कालेजों ने जैसे अंक भेजे विवि ने जस-के-तस मार्कशीट में चढ़ा दिए। जब रिजल्ट घोषित हुए तो विवि के अधिकारी भी हैरान हैं। एक विषय को छोड़कर बाकी सभी में पूरे 100 अंक दे दिए!

प्रोफेसर शिंदे ने कहा- मैंने बीएड में 99 फीसद से ज्यादा अंकों से पास होते न किसी को देखा, न सुना

विवि की परीक्षा समिति के सदस्य और स्कूल आफ एजुकेशन के प्रोफेसर डाॅ. लक्ष्मण शिंदे कहते हैं कि मैंने पूरे करियर में बीएड में कभी 99 प्रतिशत या ज्यादा अंकों से पास होते न किसी को देखा, न सुना। रिजल्ट से ही नजर आ रहा है कि संबंधित छात्रा को किसी एक विषय को छोड़कर बाकी सभी में पूरे 100 फीसद अंक मिले हैं। बीएड में तो ऐसा नामुमकिन ही है, क्योंकि इसमें पढ़ाए जाने वाले विषय सामाजिक विज्ञान से जुड़े और सैद्धांतिक होते हैं।

विश्वविद्यालय में रिकार्ड भी नहीं, 

बीएड पहले सेमेस्टर में तीन सैद्धांतिक पर्चों और दो प्रैक्टिकल के आधार पर कालेजों से अंक मांगे थे। ज्यादा अंक का मामला सामने आने पर कई अन्य कालेजों और शिक्षकों ने भी शिकायत की है कि गणित के सवालों की तरह सैद्धांतिक विषयों और प्रायोगिक परीक्षा में 100 फीसद अंक मिल ही नहीं सकते। जाहिर है, महामारी से मजबूर सिस्टम का कुछ कालेज बेजा फायदा उठा रहे हैं। खास बात ये है कि विवि में छात्रों की कापियां, प्रोजेक्ट या प्रैक्टिकल का कोई रिकार्ड भी नहीं।

कालेजों ने अंक भेजे और विवि ने मार्कशीट पर चढ़ा दिए

कालेजों ने सीधे अंक भेजे और विवि ने मार्कशीट पर चढ़ा दिए। कालेजों के साथ विवि की परीक्षा समिति ने मांग रखी है कि विवि में सभी छात्रों की कापियों का रिकार्ड मंगवाया जाए ताकि शंका होने पर जांच की जा सके। खासतौर पर ऐसे मेधावी विद्यार्थियों का तो रिकार्ड रखा ही जाना चाहिए, ताकि अन्य विद्यार्थी उदाहरण के तौर पर कापियां देखकर सीख सके कि कैसे पूरे अंक हासिल किए जा सकते हैं।

छात्रा का परिणाम हैरान कर रहा

छात्रा का परिणाम हैरान कर रहा है। शासन के निर्देश पर कालेज ने जो अंक भेजे विवि ने मार्कशीट में चढ़ा दिए। अब विचार कर रहे हैं सभी विद्यार्थियों की कापियां और रिकार्ड यहां होना चाहिए, ताकि जरूरत पड़ने पर जांच हो सके। मेधावी छात्रों की कापी सार्वजनिक भी की जाए। उच्च शिक्षा विभाग से भी चर्चा कर रहे हैं- प्रो. अशेष तिवारी, परीक्षा नियंत्रक देवी अहिल्या विवि।

मेधावी है छात्रा

छात्रा मेधावी है, एक भी आनलाइन क्लास नहीं छोड़ी। कोई बहुत अच्छा लिखता है और उसे पूरे अंक मिले तो हैरानी नहीं होना चाहिए। वैसे भी इस बार ओपन बुक प्रणाली से परीक्षा हुई थी- डाॅ. किरण दम्मानी, प्राचार्य गुजराती समाज बीएड कालेज।


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