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प्रवासी मजदूरों के मुद्दे पर जनरल तुषार मेहता बोले, कोर्ट को राजनैतिक मंच न बनने दिया जाए

मेहता ने ये दलीलें कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला और कुछ अन्य लोगों की से दाखिल की गई हस्तक्षेप अर्जियों पर सुनवाई का विरोध करते हुए दीं।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Thu, 28 May 2020 11:57 PM (IST)Updated: Thu, 28 May 2020 11:57 PM (IST)
प्रवासी मजदूरों के मुद्दे पर जनरल तुषार मेहता बोले, कोर्ट को राजनैतिक मंच न बनने दिया जाए
प्रवासी मजदूरों के मुद्दे पर जनरल तुषार मेहता बोले, कोर्ट को राजनैतिक मंच न बनने दिया जाए

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। रास्ते में फंसे प्रवासी मजदूरों को वापस घर भेजे जाने पर हुई सुनवाई के दौरान सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने हस्तक्षेप अर्जी दाखिल करने वाले लोगों को सुने जाने का विरोध करते हुए कहा कि इस कोर्ट को राजनीतिक मंच नहीं बनने दिया जाना चाहिए। मेहता ने कहा कि जिन लोगों ने हस्तक्षेप अर्जी दाखिल की है और मजदूरों की समस्या पर कोर्ट में बहस करना चाहते हैं उनसे पहले पूछा जाए कि उन्होंने इस दिशा में क्या किया है।

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मेहता यहीं नहीं रुके उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया, यह देश, यहां तक कि संपूर्ण मानवजाति कोरोना महामारी से जूझ रही है। सरकार रात दिन काम में जुटी है लेकिन इस देश में कुछ ऐसे लोग हैं जो हमेशा नकारात्मक ही सोचते हैं और नाकारात्मकता ही फैलाते हैं। वे सोशल मीडिया पर लिखते हैं, साक्षात्कार देते हैं और हर संस्था पर दोषारोपण करते हैं उस पर आक्षेप लगाते हैं। ये 'प्रोफेट्स आफ डूम्स' महामारी से जूझ रहे देश से कोई साहानभूति नहीं रखते। वातानुकुलित कमरों में बैठे कुछ आर्मचेयर बुद्धिजीवी जो स्वयं को पब्लिक स्प्रिट परसन कहते हैं, उन्होंने इस दिशा में कुछ नहीं किया। उनका कोई योगदान नहीं है।

गैर सरकारी संगठन दिन रात कर रहे हैं काम

मेहता ने कहा कि जिन लोगों ने सुप्रीम द्वारा स्वत: संज्ञान लेकर की जा रही सुनवाई में हस्तक्षेप अर्जी दाखिल कर उनका पक्ष सुनने की मांग की है, उन लोगों को पहले यह बताना चाहिए कि उनका इस मामले में क्या सहयोग रहा है। मेहता ने कहा कि वास्तविक लोग और बहुत से गैर सरकारी संगठन फील्ड में सरकार के साथ मिल कर रात दिन काम कर रहे हैं। यहां तक कि उन्हें ब्रीफ करने के लिए आने वाले कुछ अधिकारी भी कोरोना पाजिटिव हो गए हैं। मेहता ने कहा कि जिन लोगो ने कोई योगदान नहीं दिया जो अपने वातानुकुलित कमरों में बैठ कर लेख लिख रहे हैं, पत्र लिख रहे हैं साक्षात्कार दे रहे हैं, जिन्होंने बाहर निकल कर मदद करने की जहमत नहीं उठाई है, उन्हें इस मुसीबत के समय नहीं सुना जाना चाहिए।

मेहता ने कहा कि वह कोर्ट को अपनी यह शिकायत बताना चाहते हैं कि कुछ लोग इस संस्था पर भी आक्षेप लगाते हैं। जजों को निष्पक्ष होने का प्रमाणपत्र देते हैं। यह चलन बंद होना चाहिए।

कपिल सिब्बल और मनु सिंघवी का किया विरोध

मेहता ने ये दलीलें कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला और कुछ अन्य लोगों की से दाखिल की गई हस्तक्षेप अर्जियों पर सुनवाई का विरोध करते हुए दीं। यहां तक कि वीडियो कान्फ्रेंसिंग से हो रही सुनवाई के दौरान पेश कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी का विरोध करते हुए मेहता ने कहा कि पहले इनसे पूछा जाए कि ये किसकी ओर से पेश हो रहे हैं। अगर ये कोर्ट के ऑफीसर के तौर पर सुझाव देना चाहते हैं तो ठीक है लेकिन अगर ये हस्तक्षेप अर्जीकर्ताओं के वकील के तौर पर बहस करना चाहते हैं तो वे उनका विरोध करते हैं। कोर्ट पहले सरकार की ओर से मामले में दाखिल की जाने वाली रिपोर्ट देखे उसके बाद ही इन लोगों को सुने। बाद में कोर्ट ने सिब्बल और सिंघवी को कोर्ट ऑफीसर के तौर पर सुझाव रखने का मौका दिया और साफ किया कि उन्हें सिर्फ इसी हैसियत से सुना जा रहा है।


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