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पाकिस्तान से लाई गई मूक-बधिर गीता ने छोड़ी संस्था, इंदौर में ही नई जगह पहुंची

पाकिस्तान से भारत लाई गई मूक-बधिर गीता ने इंदौर के मूक-बधिर संगठन के आश्रम को छोड़ दिया है। वह इंदौर में ही नई जगह पहुंची है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Tue, 21 Jul 2020 06:03 AM (IST)Updated: Tue, 21 Jul 2020 06:03 AM (IST)
पाकिस्तान से लाई गई मूक-बधिर गीता ने छोड़ी संस्था, इंदौर में ही नई जगह पहुंची
पाकिस्तान से लाई गई मूक-बधिर गीता ने छोड़ी संस्था, इंदौर में ही नई जगह पहुंची

इंदौर, जेएनएन। पाकिस्तान से भारत लाई गई मूक-बधिर गीता पांच साल से इंदौर के मूक-बधिर संगठन के आश्रम में रह रही थी। सोमवार को उसने अपनी इच्छा से यह जगह छोड़ दी। अब वह इसी शहर में विजय नगर स्थित आनंद सर्विस सोसाइटी के साथ रहने आ गई। सामाजिक न्याय विभाग के कर्मचारियों ने उसे अपनी निगरानी में विजय नगर में सोसाइटी के हॉस्टल में छोड़ा।

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सुषमा स्वराज लेकर आई थीं भारत

गौरतलब है कि गीता भारत की ही बताई जाती है। पाकिस्तान में वह ईदी फाउंडेशन के साथ रह रही थी। वर्ष 2015 में तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज उसे लेकर भारत आई थीं। गीता को भारत इसलिए लाया गया था कि उसके माता-पिता की तलाश कर उसे वहां पहुंचाया जाएगा। तबसे शासन स्तर से उसके माता-पिता की तलाश की जा रही थी। मूक-बधिरों के लिए काम करने वाली इंदौर की संस्थाओं ने इसे संभालने की जिम्मेदारी ली थी।

नहीं मिल रहे माता-पिता 

मूक-बधिर संगठन के अध्यक्ष मुरली धमानी ने बताया कि गीता करीब पांच साल से हमारे साथ है। शासन न तो उसके माता-पिता को तलाश पाया, न ही उसकी शादी हो रही थी। हमारे यहां और भी मूक-बधिर बच्चियां हैं जो 18-20 साल की हैं। गीता की आयु 29 साल हो चुकी है। वह इन बच्चियों के साथ एडजस्ट भी नहीं हो पा रही थी।

खुद जाने की इच्छा जताई

मुरली धमानी ने कहा कि गीता ने खुद ही यहां से जाने की इच्छा जताई थी तो हम भी कब तक रखते। शासन की ओर से उसका खर्च भी केवल एक हजार रपये महीना मिल रहा था जबकि गीता पर चार-पांच हजार रपये महीना खर्च करना पड़ रहा था। गीता की इच्छा को देखते हुए मैंने सामाजिक न्याय विभाग को लिखा। गीता की इच्छा के अनुसार हमने उसे बिदाई दी। विभाग के अधिकारियों की निगरानी में उसका सारा सामान और नकदी भी दे दी है।


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