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दिसंबर के बाद से गंगा में बनी रहेगी अविरल धारा, केंद्र सरकार ने पानी छोड़ने का दिया आदेश

केंद्र सरकार ने पिछले महीने जारी अधिसूचना में अनिवार्य पर्यावरणीय प्रवाह का अनुपालन करने के लिए पहले दिए गए समय को घटाकर आधा कर दिया गया है।

By Manish PandeyEdited By: Published: Tue, 15 Oct 2019 11:21 PM (IST)Updated: Tue, 15 Oct 2019 11:21 PM (IST)
दिसंबर के बाद से गंगा में बनी रहेगी अविरल धारा, केंद्र सरकार ने पानी छोड़ने का दिया आदेश
दिसंबर के बाद से गंगा में बनी रहेगी अविरल धारा, केंद्र सरकार ने पानी छोड़ने का दिया आदेश

नई दिल्ली, पीटीआइ। गंगा नदी (River Ganga) में 15 दिसंबर के बाद से अविरल धारा बनी रहेगी। केंद्र सरकार ने गंगा नदी पर बनी जल विद्युत (Hydropower) और सिंचाई परियोजनाओं (Irrigation Projec) को निर्देश जारी कर नदी में न्यूनतम पानी और अविरल प्रवाह को सुनिश्चित करने को कहा है।

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इस संबंध में पिछले महीने जारी अधिसूचना में अनिवार्य पर्यावरणीय प्रवाह का अनुपालन करने के लिए पहले दिए गए समय को भी घटाकर आधा कर दिया गया है। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) ने पिछले साल अक्टूबर में एक अधिसूचना जारी की थी। इसमें जल विद्युत और सिंचाई परियोजनाओं को गंगा में न्यूनतम पानी और पर्यावरणीय प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए तीन साल का समय दिया गया था। इसके लिए कंट्रोल गेट और ढांचागत सुधार करने के लिए भी कहा गया था।

विद्युत परियोजनाओं के कारण प्रवाह पर असर

गंगा को बचाने के लिए काम करने वाले कार्यकर्ताओं की मांग पर यह अधिसूचना जारी की गई थी। कार्यकर्ताओं का कहना था कि सिंचाई और जल विद्युत परियोजनाओं के चलते गंगा में अनिवार्य पर्यावरणीय प्रवाह बाधित हो रहा है। पर्यावरणीय प्रवाह का आशय जल प्रवाह की मात्रा, समय और गुणवत्ता से है जो मीठे पानी व नदी के मुहाने से संबद्ध पारिस्थितिक तंत्र (इकोसिस्टम) और मानव आजीविका को बनाए रखने के लिए आवश्यक है।

गंगा नदी पर कुल 11 बड़ी परियोजनाएं

उत्तराखंड से लेकर उत्तर प्रदेश तक गंगा नदी पर कुल 11 बड़ी परियोजनाएं हैं जिनसे गंगा की अविरलता बाधित हो रही है। एनएमसीजी ने इन सभी परियोजनाओं से आवश्यक मात्रा में पानी छोड़ने के लिए कहा है, ताकि नदी में न्यूनतम पानी की मात्रा बनी रहे।

हर तीन महीने में एनएमसीजी को रिपोर्ट

एनएमसीजी के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्र ने कहा कि केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) ने जुलाई में प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट में सुझाव दिया था कि सभी मौजूदा परियोजनाओं में अनिवार्य पर्यावरणीय प्रवाह के लिए पानी छोड़ने की व्यवस्था होनी चाहिए। आयोग गंगा नदी की अविरलता पर नजर रखता है और हर तीन महीने में एनएमसीजी को रिपोर्ट देता है।


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