CoronaVirus Effect: बदलेंगी भविष्य की हवाई यात्राएं, जानिए क्या-क्या होंगे बदलाव
जब दुनिया की एयरलाइंस अपने परिचालन का भरोसा दे रही हैं और इस संकट से उबरने का इंतजार कर रही हैं तो इसके पीछे उनकी मंशा और जरूरत बड़े बदलावों के साथ फिर से काम करने की है।
नई दिल्ली, जेएनएन। कोरोना संकट खत्म होने के बाद आप एक बार फिर जब हवाई सफर शुरू करेंगे तो हवाई किराए से केबिन ले-आउट तक बहुत सी चीजों में आपको बदलाव नजर आ सकता है। यह आपको कम मार्ग, उड़ान पूर्व स्वास्थ्य जांच जैसे हवाई यात्रा के नए युग में ले जा सकता है। ब्लूमबर्ग के अनुसार जब दुनिया की एयरलाइंस अपने परिचालन का भरोसा दे रही हैं और इस संकट से उबरने का इंतजार कर रही हैं तो इसके पीछे उनकी मंशा और जरूरत बड़े बदलावों के साथ फिर से काम करने की है।
जेब पर भारी बदलाव : सिंगापुर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में एयर-ट्रांसपोर्ट मैनेजमेंट के लेक्चरर वोलोडिमिर बिलोटैच के अनुसार विमानों के कुछ प्रीमियम केबिन को अपग्रेड किया जा सकता है। इसके परिणामस्वरूप उच्च श्रेणी और इकोनॉमी सीटों के मध्य अंतर खुलकर सामने आ जाएगा। बिलोटैच के मुताबिक बैगेज चेक-इन, लेगरूम और भोजन के लिए विमान कंपनियां यात्रियों के किराए के आधार पर अलग-अलग शुल्क वसूल सकती है। इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (आइएटीए) के मुताबिक, वायरस के प्रसार से पूर्व भी विमानन कंपनियां महज 3 डॉलर प्रति व्यक्ति कमा रहीं थी, लेकिन यूरोप और अमेरिका में यह आंकड़ा क्रमश: 5 और 17 डॉलर था।
केबिन क्रू भी बदल जाएगा : आइएटीए के सर्वे के मुताबिक, फिलहाल 40 फीसद यात्री कोरोना संकट के खत्म होने के बाद भी विमान यात्रा के लिए करीब छह महीने तक इंतजार करेंगे। कम कीमत में लोगों को यात्रा कराने वाली ईजीजेट विमान कंपनी बीच की सीट को खाली रखने की योजना बना रही है। जिससे यात्रियों को सुरक्षा का विश्वास दिलाया जा सके। वहीं कोरियन एयर लाइंस ने अपने केबिन क्रू को मास्क, ग्लव्ज, गॉगल्स और सुरक्षित रखने वाले गाउन उपलब्ध कराए हैं।
कम यात्री, ज्यादा परेशानी : आइएटीए के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, एलेक्जेंडर डे जूनियाक ने कहा, फेस मास्क पहनने से यात्रियों को आश्वस्त किया जा सकता है, लेकिन बीच की सीटों को खाली रखना चुनौतीपूर्ण होगा। सीट खाली रखने से विमान में यात्री संख्या कम होगी और यह विमानन कंपनियों के लिए और परेशानी बढ़ाएगा। कोरोना संकट से उबरने में लगेगा समय उड्डयन क्षेत्र की विश्लेषण करने वाली फर्म सिरियम ने जनवरी से अब तक वायुयानों की 70 फीसद से अधिक सीट क्षमता को कम कर दिया है। डेल्टा एयर लाइंस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एड बैस्टियन ने कहा है कि पुरानी अवस्था तक पहुंचने में हमें करीब दो से तीन साल लग सकते हैं।
नौकरियों पर भी खतरा : दुनिया के 26,000 यात्री विमानों में से करीब दो-तिहाई जमीन पर हैं, और 2.5 करोड़ नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है। आइएटीए ने चेतावनी दी है कि इस साल यात्री विमानों को टिकट बिक्री में 314 अरब डॉलर की कमी का सामना करना पड़ सकता है। यदि सरकारी मदद नहीं मिलती है तो इनमें से आधी कंपनियां दो से तीन महीने में दिवालिया हो सकती हैं।
इस लड़ाई में कौन बचेगा : बिलोटैच ने कहा कि विमानन कंपनियां असफल होंगी तो इसका परिणाम कम प्रतियोगिता के रूप में सामने आएगा। उद्योग में एकाधिकार बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि बड़ी लेकिन कम लागत वाली एयरलाइंस शायद इस संकट से बच जाएं। कम विमानों से कई मार्ग कम होंगे और कीमतें बढ़ सकती हैं।
कम दूरी की यात्राओं पर गाज : यूरोप और चीन में विमानों की जगह हाईस्पीड रेल यात्रा को लोग प्राथमिकता दे सकते है। वहीं यह ट्रेंड अन्य क्षेत्रों में भी देखा जा सकता है। यूरोप में पहले से ही कम दूरी की विमान यात्राओं को पर्यावरण कारणों से हतोत्साहित करने के लिए आंदोलन चलाया जा रहा है।
उम्मीद बरकरार : आइसीएफ इंटरनेशनल के मैनेजिंग डायरेक्टर जेरेड हैर्कहैम का कहना है कि प्रतिबंधों के हटते ही परिवार और दोस्तों के साथ बाहर जाने की मांग जरूर होगी। सिडनी यूनिवर्सिटी के बिजनेस स्कूल के प्रोफेसर रिको मैरकर्ट का कहना है कि एयरलाइंस यात्रियों को वापस लाने के लिए कीमतें कम करती हैं तो स्वच्छता का मामला पीछे छूट जाएगा।