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एक मिसाइल मैन जो फाइटर पायलट टेस्ट में गए थे पिछड़, लेकिन अपने सपनों को दी नई उड़ान

A. P. J. Abdul Kalam Birth Anniversary कलाम ने देश के राष्‍ट्रपति बनने से पहले भारत को परमाणु राष्‍ट्र बनाने का अहम काम किया था। देश में मिसाइल प्रोग्राम के जनक थे कलाम।

By Kamal VermaEdited By: Published: Mon, 14 Oct 2019 04:32 PM (IST)Updated: Tue, 15 Oct 2019 02:54 PM (IST)
एक मिसाइल मैन जो फाइटर पायलट टेस्ट में गए थे पिछड़, लेकिन अपने सपनों को दी नई उड़ान
एक मिसाइल मैन जो फाइटर पायलट टेस्ट में गए थे पिछड़, लेकिन अपने सपनों को दी नई उड़ान

नई दिल्‍ली [जागरण स्पेशल]। A. P. J. Abdul Kalam Birth Anniversary: मिसाइल मैन का जिक्र आते ही बस एक नाम जहन में आता है वो है पूर्व राष्‍ट्रपति एपीजे अब्‍दुल कलाम का। भारत के मिसाइल प्रोग्राम को ऊंचाईयों तक पहुंचाने में उनका योगदान अतुलनीय है। विज्ञान और वैज्ञानिकों के प्रति उनका लगाव ही था कि राष्‍ट्रपति रहते हुए भी वैज्ञानिक उनसे इस बाबत सलाह भी लेते थे और वो इसमें दिलचस्‍पी भी लिया करते थे। जब केरल थुंबा से भारत ने पहला रॉकेट अंतरिक्ष में भेजा था उस वक्‍त कलाम भी उस प्रोजेक्‍ट का हिस्‍सा थे। विक्रम साराभाई न सिर्फ उनके बॉस थे बल्कि उनके गुरु भी थे।उनकी बराबरी करना किसी के लिए भी आसान नहीं है। कलाम अपने काम के अलावा अपने बालों के स्‍टाइल को लेकर भी पूरी दुनिया में पहचाने जाते थे। 

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जब जीता टीचर्स का दिल

15 अक्‍टूबर 1931 को उनका जन्‍म रामेश्‍वरम में हुआ था। कलाम 2002-2007 तक देश के 11वें राष्‍ट्रपति रहे। उन्‍हें 1997 में देश के सर्वोच्‍च सम्‍मान भारत रत्‍न से भी नवाजा गया था। इससे पहले उन्‍हें 1981 में पद्म भूषण, 1990 में पद्म विभूषण सम्‍मान मिल चुका था। कलाम अभाव के बाद भी पढ़ाई में हमेशा से ही अव्‍वल रहे। उन्‍होंने फिजिक्‍स और एयरोस्‍पेस इंजीनियंरिंग में डिग्री हासिल की थी। ग्रेजुएशन के अंतिम वर्ष में सभी छात्रों को प्रोजेक्‍ट दिया गया जिसको तय समय में पूरा करना था। यह प्रोजेक्‍ट कम ऊंचाई पर उड़ते हुए एक लड़ाकू विमान का था।इसको उन्‍होंने अपनी मेहनत से तय समय में पूरा किया और अपने शिक्षकों का दिल भी जीत लिया था।

जगा था फाइटर पायलट बनने का सपना

यह वो वक्‍त था जब कलाम के अंदर हवा में उड़ने का सपना जगा था और उन्‍होंने फाइटर पायलट बनने का फैसला किया था। लेकिन इसमें उनका 9वां रैंक आया था जबकि 8वें रैंक तक के ही लोगों का ही इसके लिए लिया गया था। ये वो पल था जब कलाम को इससे निराशा जरूर हुई लेकिन उन्‍होंने इस निराशा को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया और वैज्ञानिक बनने की ठान ली। यहां पर वो लगातार सीढ़ी दर सीढ़ी सफलता पाते गए।   

आखिरी पल 

राष्‍ट्रपति पद से हटने के बाद वर्ष 2015 में वह शिलांग गए थे। यहां पर उन्‍हें लेक्‍चर देना था। उनके इस काफिले में सबसे आगे गाड़ी पर एक जवान हाथ में राइफल लिए चल रहा था। कलाम ने लंबे समय तक सुरक्षा में खड़े इस जवान को वायरलैस से मैसेज भेजा कि वो बैठ जाए। लेकिन जवान ने ये कहते हुए उनका अनुरोध ठुकरा दिया कि उनकी सुरक्षा की जिम्‍मेदारी उस पर है लिहाजा वो इसको नहीं मान सकता है। इस बात से कलाम जवान के इस कदर मुरीद हुए की उन्‍होंने उस जवान को अपने रूम में बुलाया और कहा Thank you buddy। यह उस जवान के लिए किसी अनमोल तोहफे से कम नहीं था। कलाम को 27 जुलाई को आईआईएम, शिलांग में 'Creating a liveable planet' पर लेक्‍चर देना था। इसी लेक्‍‍‍‍चर को देते हुए वो गिर पड़े थे, जिसके बाद उन्‍हें अस्‍पताल ले जाया गया था। वहां पर उन्‍हें मृत घोषित कर दिया गया। 

पोखरण परमाणु टेस्‍ट

एपीजे के नेतृत्‍व में ही भारत ने 11 मई 1998 पोखरण में दूसरा परमाणु परीक्षण किया था। इस परीक्षण ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया था। इस परीक्षण ने भारत को परमाणु ताकत बनाया था। अमेरिका की खुफिया सेटेलाइट जो लगातार भारत पर निगाह रखे हुए थीं, उन्‍हें भी इस मिशन की जानकारी नहीं लग सकी थी। इस परीक्षण के बाद अमेरिका ने भारत पर कई तरह के प्रतिबंध भी लगाए थे। इसके बाद भी भारत मजबूती के साथ आगे बढ़ा और आज एक बड़ी ताकत है। 

सुखाई पर सवार कलाम  

वर्ष 2006 में जब कलाम राष्‍ट्रपति थे तब उनका वर्षों पुराना सपना सच हुआ था। ये सपना फाइटर जेट में उड़ान भरने का था। अपने राष्‍ट्रपति कार्यकाल के दौरान उन्‍होंने सुखोई फाइटर जेट में उड़ान भरी थी। अपने इस अनुभव को साझा करते हुए उन्‍होंने कहा कि वह विमान को काबू करने की कोशिश में इस कदर खोए रहे कि डरने के लिए समय ही नहीं मिला। उनकी यह उड़ान करीब 40 मिनट की थी। जिस वक्‍त उन्‍होंने ये कारनामा किया उस वक्‍त उनकी उम्र 74 वर्ष की थी। 

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