सेंट्रल विस्टा से और संवरेगा नेशनल म्यूजियम, भारत ही नहीं, समूचे एशिया की विरासत सहेज रहा है राष्ट्रीय संग्रहालय
नेशनल म्यूजियम में 19वीं शताब्दी की 17 हजार से अधिक पेंटिंग्स हैं। इसके अलावा कोलकाता के बोटैनिकल गार्डेन विक्टोरिया मेमोरियल एएसआइ का कलेक्शन और नेशनल गैलरी आफ माडर्न आर्ट की चार भव्य गैलरियां सृजित की गई हैं ।
सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। सेंट्रल विस्टा स्थित नेशनल म्यूजियम को आधुनिक बनाने की तैयारियां प्रगति पर हैं। यहां रखी धरोहरों को अपने मूल भवन में ही सजाया व संवारा जा रहा है। यहां कई ऐसी गैलरियां सृजित की गई हैं जो अंतरराष्ट्रीय स्तर की, अपने आप में अनूठी और अद्वितीय हैं। नेशनल म्यूजियम को जनपथ से नार्थ व साउथ ब्लाक में शिफ्ट होने में पांच से छह साल का समय लगने का अनुमान है।
दिल्ली में वर्ष 2023 में होने वाली जी-20 समूह की बैठक को ध्यान में रखकर नेशनल म्यूजियम को संवारा जा रहा है। विश्व स्तरीय इस सम्मेलन में दुनिया की बड़ी हस्तियां पहुंचने वाली हैं, जो इसे जरूर देखना चाहेंगी। म्यूजियम के आडिटोरियम को आधुनिक बनाने में कोई कसर बाकी नहीं रखी जा रही है। इस बड़े कार्य में अत्याधुनिक टेक्निकल टीम को लगाया गया है, ताकि म्यूजियम का नया स्वरूप सामने आ सके।
नेशनल म्यूजियम के मेकओवर का पूरा काम दिसंबर तक समाप्त होने का अनुमान
म्यूजियम से जुड़े संस्कृति मंत्रालय के एक उच्चाधिकारी ने बताया कि विज्ञान भवन और नेशनल म्यूजियम के बीच में जहां भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) का कार्यालय था, उसका स्वरूप ही बदल दिया गया है। उस आधुनिक बिल्डिंग में शाक्य मुनि गैलरी, कंजर्वेशन गैलरी, अजंता-एलोरा की गुफाओं का चित्रण टेक्नोलाजी के माध्यम से किया जाएगा। म्यूजियम को वैज्ञानिक व नया कलेवर देने के लिए ही इसे मार्च 2020 से दर्शकों के लिए बंद कर दिया गया है। कोविड संक्रमण की स्थिति में सुधार होने की दशा में म्यूजियम को अगस्त 2021 तक खोल दिए जाने की उम्मीद है जबकि नेशनल म्यूजियम के मेकओवर का पूरा काम दिसंबर तक समाप्त होने का अनुमान है।
म्यूजियम में 19वीं शताब्दी की 17 हजार से अधिक पेंटिंग्स हैं। इसके अलावा कोलकाता के बोटैनिकल गार्डेन, विक्टोरिया मेमोरियल, एएसआइ का कलेक्शन और नेशनल गैलरी आफ माडर्न आर्ट की चार भव्य गैलरियां सृजित की गई हैं। यहां विश्व स्तरीय कलेक्शन रखा गया है, जिसके लिए नौ गैलरियों का निर्माण किया जा रहा है। मध्य एशियाई देशों की प्राचीन धरोहरों को भी यहां संजोया जा रहा है, जिसे आइआइटी मुंबई के सहयोग से डिजिटल स्वरूप प्रदान किया जा रहा है। म्यूजियम में काशी गैलरी सृजित की गई है।
2026 तक हट जाएंगे नार्थ व साउथ ब्लाक के आफिस
मंत्रालय के अधिकारी के मुताबिक, वर्ष 2026 तक नार्थ व साउथ ब्लाक के आफिस हट जाएंगे। म्यूजियम को शिफ्ट करना कोई आसान कार्य नहीं होगा। इसमें पांच से छह साल का समय लगेगा और अंतरराष्ट्रीय स्तर की कंपनियों की मदद ली जाएगी। फिलहाल नेशनल म्यूजियम के पास कुल 35 हजार वर्ग मीटर की जगह है जबकि नार्थ व साउथ ब्लाक में कुल 1.67 लाख वर्ग मीटर जगह मिलेगी। नेशनल म्यूजियम के लिए यह शानदार उपहार होगा, जहां देश की विरासत व प्राचीन धरोहरों को और अधिक प्रदर्शित करने का मौका मिलेगा।
म्यूजियम से जुड़े लोगों का कहना है कि नेशनल म्यूजियम वाली जगह में डिसप्ले के लिए पर्याप्त स्थान नहीं है। यहां कुल कलेक्शन का मात्र छह-सात फीसद का ही प्रदर्शन हो पाता है जबकि 20 से 22 फीसद का डिसप्ले होना चाहिए। म्यूजियम में नायाब ¨सधु सभ्यता, मौर्यकालीन, गुप्तकालीन, बौद्ध धर्म व उसका प्रचार, स्टोन कल्चर, टेराकोटा कल्चर के साथ ज्यूलरी की भी अलग गैलरी बनाई जा सकती है। स्थान की कमी से हम इन धरोहरों का उचित डिसप्ले नहीं कर पाते हैं। सभी प्राचीन वस्तुओं की कैटलागिंग, थ्री डी स्कैनिंग और संरक्षित चीजों की सूची तैयार करने का कार्य प्रगति पर है। नेशनल म्यूजियम की स्थापना 1949 में की गई थी।