लॉकडाउन में गरीबों को मुफ्त राशन देने में चूके कई राज्य, दिल्ली व बंगाल में मई में नहीं बांटा गया अनाज
योजना में मुफ्त अनाज का प्रावधान राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के दायरे में आने वाले सभी 81 करोड़ों लोगों के लिए किया गया है।
जागण ब्यूरो, नई दिल्ली। लॉकडाउन के दौरान गरीबों को मुफ्त राशन देने की योजना में भी कई राज्य चूक गए हैं। केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने इन राज्यों के इस खराब प्रदर्शन पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी और लाकडाउन के संकट से गुजर रहे गरीब उपभोक्ताओं के लिए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना की शुरुआत की है। इसके तहत राज्यों को सभी उपभोक्ताओं को निर्धारित अनाज के साथ मुफ्त अनाज भी बांटे जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि पश्चिम बंगाल और दिल्ली में मई माह में तो योजना के तहत मुफ्त अनाज बांटा ही नहीं गया है।
पासवान ने कहा- 'दिल्ली व पश्चिम बंगाल ने मई में नहीं बांटा मुफ्त अनाज
कोविड-19 के चलते लागू लॉकडाउन में अपने मंत्रालय के कामकाज का ब्यौरा देते हुए पासवान ने कहा 'दिल्ली व पश्चिम बंगाल ने मई माह के दौरान प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीएवाई) के तहत मुफ्त अनाज का वितरण नहीं किया है। इसके तहत प्रत्येक उपभोक्ता को पांच किलो मुफ्त अनाज देने का प्रावधान किया गया है। हालांकि आधा दर्जन ऐसे राज्य भी हैं, जिन्होंने आधा अधूरा उपभोक्ताओं को ही मुफ्त अनाज वितरित किया है। जबकि बाकी राज्यों का प्रदर्शन अच्छा रहा है।
पासवान ने कहा- लॉकडाउन के दौरान राशन वितरण का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं रहा
केंद्र सरकार के एक साल पूरा होने के एक दिन पहले औपचारिक प्रेसवार्ता करते हुए खाद्य मंत्री पासवान ने बताया सिक्किम, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, राजस्थान, दिल्ली और पश्चिम बंगाल में लॉकडाउन के दौरान राशन प्रणाली के तहत राशन वितरण का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं रहा। मंत्रालय के जारी आंकड़ों के मुताबिक इन राज्यों के अलावा मध्य प्रदेश, पंजाब, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, केरल और मणिपुर में भी तकरीबन 20 फीसद उपभोक्ताओं को भी मुफ्त अनाज नहीं मिल पाया है।
गरीबों के लिए छह महीने का एडवांस अनाज उठाने की पेशकश
खाद्य मंत्रालय ने सभी राज्यों को पत्र लिखकर गरीबों के लिए आगामी छह महीने का एडवांस अनाज उठाने की पेशकश की है। पीएमजीएवाई के तहत गरीब परिवारों को दी जाने वाली एक किलो दाल के वितरण का ब्यौरा अभी तक उपलब्ध नहीं हो पाया है। जबकि राज्यों ने अब तक कुल 1.68 लाख टन दालों का उठाव कर लिया है। लॉकडाउन की त्रासदी से बचाने के लिए केंद्र सरकार ने गरीबों की खाद्य सुरक्षा के मद्देनजर प्रत्येक व्यक्ति को पांच किलो अनाज और एक प्रत्येक परिवार को एक किलो दाल देने का ऐलान किया है। यह प्रावधान अप्रैल से जून तक के लिए किया गया है।
अरुणाचल प्रदेश और नागालैंड में शत प्रतिशत लोगों को अनाज का वितरण
वीडियो कांफ्रेंस में पासवान ने बताया 'पश्चिम बंगाल में अप्रैल माह का पीएमजीएवाई के कोटे का 93 फीसद और दिल्ली में 96 फीसद गरीबों में बांट दिया गया है, लेकिन मई माह में इन दोनों राज्यों का प्रदर्शन शून्य रहा है।' बाकी राज्यों में अनाज का वितरण औसतन 70 फीसद से अधिक हो चुका है। पासवान ने इसे लेकर दिल्ली व पश्चिम बंगाल सरकार को कई पत्र भी लिखा है। अरुणाचल प्रदेश और नागालैंड जैसे राज्यों ने अपने यहां राशन प्रणाली के तहत शत प्रतिशत लोगों को अनाज का वितरण कर दिया है। योजना में मुफ्त अनाज का प्रावधान राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के दायरे में आने वाले सभी 81 करोड़ों लोगों के लिए भी किया गया है।
पासवान ने कहा- दिल्ली और झारखंड ने की खराब क्वालिटी की दाल की शिकायत
एक सवाल के जवाब में पासवान ने कहा 'दिल्ली और झारखंड से खराब क्वालिटी की दाल की शिकायत मिली है, उस पर तत्काल कार्रवाई करते हुए वहां दूसरी दाल भेजी जा रही है। इस तरह की शिकायत किसी और राज्य से नहीं मिली है।' खाद्य मंत्री ने कहा कि एफसीआई के स्टॉक में फिलहाल 7.63 करोड़ टन खाद्यान्न उपलब्ध है। खाद्यान्न की यह मात्रा पूरे सालभर की जरूरतों से भी अधिक है।