भोपाल गैस कांड मामले का चार साल से फरार आरोपित गिरफ्तार, सीबीआइ ने कोर्ट में किया पेश
जमानत अर्जी का विरोध करते हुए सीबीआई की ओर से तर्क दिया गया कि कुरैशी वर्ष 2016 से निरंतर फरार चल रहा है।
भोपाल, जेएनएन। भोपाल गैस कांड से जुड़े यूनियन कार्बाइड मामले में पिछले चार सालों से फरार आरोपित शकील कुरैशी को सीबीआई ने बुधवार को गिरफ्तार कर जिला अदालत में पेश कर दिया। सीबीआई कुरैशी को नागपुर से गिरफ्तार कर एंबुलेंस से भोपाल जिला अदालत लेकर आई थी। जिला न्यायाधीश राजेन्द्र कुमार वर्मा को सूचना दी गई कि आरोपित कुरैशी गंभीरु रूप से लकवा पीड़ित है और उसकी मानसिक स्थिति भी ठीक नहीं है। वह चलने-फिरुने में असमर्थ है। इसके बाद न्यायाधीश वर्मा स्वयं अदालत परिसर में खड़ी एंबुलेंस के पास कुरैशी की पेशी लगाने के लिए पहुंचे।
बीमारी के आधार पर मांगी जमानत
आरोपित की ओर से उनके वकील मेहबूब अंसारी ने अर्जी पेश करते हुए तर्क दिया कि कुरैशी लकवाग्रस्त होकर मानसिक रूप से भी कुछ सोचने समझने की क्षमता खो चुके हैं इसलिए इलाज के दौरान वह अदालत में हाजिर नहीं हो सके थे। कुरैशी की ओर से जमानत अर्जी के साथ महाराष्ट्र के पूना स्थित दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल के इलाज पर्चे भी पेश किए गए थे। 11 जनवरुी 2020 के पर्चे में डॉक्टर ने स्पष्ट लिखा था कि कुरुैशी के शरुीर का बायां हिस्सा पूरी तरह से लकवाग्रस्त है और मानसिक रूप से भी वह शून्य है।
सीबीआई ने किया अर्जी का विरुोध
जमानत अर्जी का विरोध करते हुए सीबीआई की ओर से तर्क दिया गया कि कुरैशी वर्ष 2016 से निरंतर फरार चल रहा है। गिरफ्तारी वारंट का पालन मुश्किल से कराया जा सका है। यदि जमानत का लाभ दिया गया तो वह फिरु फरार हो सकता है।
कोर्ट ने मंजूर की जमानत
अदालत ने जमानत अर्जी पर दोनों पक्षों के तर्को पर विचार करते हुए कुरैशी को एक-एक लाख रुपए की दो सक्षम जमानत पेश किए जाने पर छोड़ने के आदेश कर दिए। अदालत ने आरोपित को 26 फरवरी को अदालत में पेश होने का आदेश दिया।
गौरतलब है कि कार्बाइड मामले में तत्कालीन सीजेएम एमपी तिवारी ने 7 जून 2010 को आरोपित यूनियन कार्बाइड कंपनी, चेयरमैन केशव महिन्द्रा, शिफ्ट इंचार्ज शकील कुरैशी, जे मुकंद, केवी शेट्टी, एसपी चौधरी, आरबी राय चौधरी को गैर इरादतन हत्या समेत अन्य धाराओं के अपराध में दोषी पाते हुए दो वर्ष कैद व जुर्माने की सजा सुनाई थी। आरोपितों द्वारा सजा का फैसला सुनाने के बाद अदालत ने अपील अवधि तक जमानत पर छोड़ दिया था। आरोपितों की ओर से सीजेएम कोर्ट के फैसले के खिलाफ सत्र न्यायालय में अपील पेश की गई थी। इस मामले में शासन और सीबीआई की ओर से भी आरोपितों की सजा बढ़ाने के लिए पुनरीक्षण याचिकाएं पेश की गई थीं।