जेवर सामूहिक दुष्कर्म: 'आपकी मां की उम्र की हूं, कुछ तो रहम करो'
जेवर सामूहिक दुष्कर्म की पीडि़ता ने अपने साथ हुई दरिंदगी की पीड़ा जागरण से बयां की।
नई दिल्ली (जेएनएन)। हथियारबंद बदमाशों के सामने आते ही हमारी आंखों के सामने मौत का मंजर घूमने लगा। लगा कहीं अगला पल ही अंतिम न हो। इससे पहले कि हम कुछ समझ पाते बदमाशों ने सभी को बंधक बना लिया। घुप्प अंधेरा व दूर-दूर तक सुनसान इलाके ने हमारे हौसले को और पस्त कर दिया। हल्का विरोध करने पर बदमाशों ने पिटाई शुरू कर दी। सड़क से सौ मीटर दूर खेतों में लेकर जाकर सभी को जमीन की ओर सिर कर बैठ जाने को कहा। हमने कहा आपको पैसा, जेवर जो लेना है ले लो, लेकिन हमें छोड़ दो। बदमाशों ने मिन्नत नहीं सुनी। इसके बाद हमें अनहोनी की आशंका सताने लगी।
बदमाशों ने हमारी ही चुन्नी फाड़कर अलग-अलग सभी के हाथ-पैर बांध दिए। जहां हम सबको बांध रखा था उससे कुछ दूर एक-एक महिला को ले जाकर सामूहिक दुष्कर्म करने लगे। हम गिड़गिड़ाए, मिन्नत की, उनके पैर पकड़े, उनकी बहन व मां होने की दुहाई दी। अपनी उम्र का हवाला दिया कि आपकी मां की उम्र की हूं, कुछ तो रहत करो। लेकिन बदमाशों ने हमारी एक न सुनी।
हमारे देवर ने विरोध किया तो बदमाशों ने पहले हमें डराने के लिए एक गोली जमीन में मारी। दोबारा विरोध करने पर उसके सीने में गोली मार दी। पास में ही देवर तड़पता रहा और हम लाचार थे। परिजनों के सामने हमारे साथ दुष्कर्म किया। जहां एक तरफ बगल में देवर की लाश पड़ी हुई थी, वहीं दूसरी तरफ हमारी इज्जत तार-तार हो रही थी। दूर सड़क से वाहन गुजर रहे थे। न तो हमारी आवाज उन तक पहुंच रही थी और न ही वे अंधेरे में हमें देख सकते थे।
बदमाशों ने लगभग डेढ़ घंटे तक हैवानियत की। डेढ़ घंटे बाद सड़क से पुलिस का वाहन भी गुजरा, लेकिन डर के कारण हम शोर भी नहीं मचा सके। हमें लगा बदमाश और लोगों की भी हत्या न करे दें। बाद में जब पुलिस के दो-तीन वाहन खेतों में उतरे तो बदमाशों ने शोर मचाने पर गोली मारने की धमकी दी और खेतों में ही भाग गए। दो घंटे तक मौत को सामने देखने की दहशत अभी भी आंखों में है।
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