मध्य प्रदेश : मुरैना में जहरीली शराब पीने से मरने वालों की संख्या में इजाफा, 24 हुई कुल मौतों की संख्या
इस मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक उच्च स्तरीय बैठक की थी। मामले में कार्रवाई करते हुए मुरैना के जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक (एसपी) को तत्काल प्रभाव से उनके पद से हटा दिया गया है।
भोपाल, पीटीआइ। मध्य प्रदेश के मुरैना में जहरीली शराब ने तीन और लोगों की जान ले ली। इसी के साथ मरने वालों की संख्या 24 तक पहुंच गई है। लापरवाही का आलम यह है कि जिस जगह से पुलिस ने बुधवार को बड़ी संख्या में जहरीली शराब की पेटियां जब्त की थीं, वहां से नजर बचाकर लाई गई कुछ बोतलों की शराब पीने से एक बुजुर्ग सहित तीन लोगों की जान चली गई। इसी बीच, गुरवार को भोपाल से विशेष जांच दल (एसआइटी) मुरैना पहुंचा और पीडि़त परिवारों, अस्पताल में भर्ती मरीजों के अलावा पूर्व कलेक्टर व पूरी पुलिस अधीक्षक से भी पूछताछ की।
जानकारी के मुताबिक बुधवार-गुरवार की रात छैरा भाजपा मंडल अध्यक्ष राजपाल सिंह किरार के चचेरे भाई पंजाब (50) पुत्र किशनचंद की तबीयत खराब हुई। इलाज के लिए ग्वालियर ले जाते वक्त रास्ते में पंजाब ने दम तोड़ दिया। कुछ देर बाद छैरा के ही रमेश (45) पुत्र चिलोई वाल्मिकी ने दम तोड़ दिया और फिर उत्तर प्रदेश के आगरा जिले स्थित जैतपुर-रैपुरा निवासी कैलाश (60) पुत्र रामसहाय वाल्मिकी की भी मौत हो गई। गांव के बुजुर्ग जगदीश सिंह किरार ने बताया कि बुधवार की शाम पुलिस ने छैरा के सरकारी मैदान में रखी पुआल के नीचे से शराब की कई दर्जन पेटियां जब्त की थीं, वहां से रमेश एक पेटी में से कुछ बोतलें ले आया था। रमेश के छोटे भाई विनोद के यहां कैलाश आया हुआ था। रमेश और कैलाश ने यही शराब पी औ़़र एक घंटे के अंतराल में दोनों ने दम तोड़ दिया। पंजाब सिंह ने भी रमेश से ही कुछ बोतलें ली थीं।
एफआइआर की धाराओं से नाखुश जांच दल
गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा की अध्यक्षता वाला जांच दल गुरवार को प्रभावित गांवों में पहुंचा। एडीजीपी पुलिस मुख्यालय ए सांई मनोहर और उप पुलिस महानिरीक्षक (ट्रे¨नग) मिथलेश शुक्ला के साथ टीम ने करीब एक घंटे तक मुरैना रेस्ट हाउस में हटाए गए कलेक्टर अनुराग वर्मा व एसपी अनुराग सुजानिया से पूछताछ की। राजौरा ने प्रभारी एसडीओपी वायपीएस रघुवंशी से पूछा कि आरोपितों पर क्या धाराएं लगी हैं। एसडीओपी ने आबकारी एक्ट की धाराओं के उल्लंघन में केस दर्ज किए जाने की जानकारी दी। इससे अधिकारी असंतुष्ट नजर आए और कहा कि इन पर धोखाधड़ी की धाराओं पर भी मुकदमा दर्ज होना चाहिए क्योंकि आरोपितों ने आबकारी विभाग के नाम के पर्चे, ढक्कनों व ब्रांडेड कंपनियों के नाम के नकली स्लिप का उपयोग किया है।