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सेना के शीर्ष कमांडरों की चार दिवसीय कांफ्रेंस 26 अक्टूबर से होगी शुरू, सीमा विवाद पर होगी चर्चा

सेना के शीर्ष कमांडरों की चार दिवसीय कांफ्रेंस 26 अक्टूबर से शुरू होगी। इस दौरान चीन के साथ पूर्वी लद्दाख में चल रहे सीमा विवाद और संसाधनों के तर्कसंगत वितरण के लिए काफी समय से लंबित सुधारों पर चर्चा की जाएगी।

By Pooja SinghEdited By: Published: Mon, 19 Oct 2020 08:34 AM (IST)Updated: Mon, 19 Oct 2020 08:36 AM (IST)
सेना के शीर्ष कमांडरों की चार दिवसीय कांफ्रेंस 26 अक्टूबर से होगी शुरू, सीमा विवाद पर होगी चर्चा
सेना के शीर्ष कमांडरों की चार दिवसीय कांफ्रेंस 26 अक्टूबर से होगी शुरू।

नई दिल्ली, एजेंसी। सेना के शीर्ष कमांडरों की चार दिवसीय कांफ्रेंस  26 अक्टूबर से शुरू होगी। इस दौरान चीन के साथ पूर्वी लद्दाख में चल रहे सीमा विवाद और संसाधनों के तर्कसंगत वितरण के लिए काफी समय से लंबित सुधारों पर चर्चा की जाएगी। इन सुधारों में विभिन्न समारोह आयोजित करने की परंपराओं और गैर सैन्य गतिविधियों में कटौती आदि शामिल है। सूत्रों ने कहा कि राष्ट्र के सामने सुरक्षा से जुड़ी चुनौतियों की समीक्षा के अलावा सैन्य कमांडर संसाधनों के उपयोग के लिए अलग-अलग आंतरिक समितियों द्वारा विभिन्न सुधारात्मक उपायों को लेकर की गई सिफारिशों पर चर्चा करेंगे। 

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सेना की संचालन क्षमता ब़़ढाने पर भी जोर दिया जाएगा। सम्मेलन की अध्यक्षता सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवाने करेंगे और सभी शीषर्ष सैन्य कमांडर इसमें हिस्सा लेंगे। सूत्रों ने बताया कि कुछ प्रस्ताव जिन पर सम्मेलन में चर्चा होगी, उनमें सेना दिवस व प्रादेशिक सेना दिवस परेड को बंद करना या कम करना, विभिन्न यूनिट में स्थापना दिवस व युद्ध सम्मान दिवस पर आयोजनों की लागत कम करना आदि शामिल हैं।

गौरतलब है कि कुछ दिन पहले भारत और चीन के बीच सातवें दौर की कोर कमांडर स्तर की बातचीत से यहां शीर्ष सैन्य अधिकारियों और राजनीतिक लोगों ने पूर्वी लद्दाख के मौजूदा हालात की समीक्षा करने के साथ ही बैठक की रणनीतियों पर चर्चा की थी। कोर कमांडरों की बैठक 12 अक्टूबर हुई थी। इसमें कोर कमांडरों के बीच पूर्वी लद्दाख के सभी टकराव वाले बिंदुओं से सैनिकों को हटाने की रुपरेखा तय करने के एजेंडे पर बातचीत हुई थी। बैठक में पूर्वी लद्दाख के मौजूदा हालात की समीक्षा करने के साथ ही कोर कमांडरों की बैठक में भारत की तरफ से उठाए जाने वाले मुख्य मुद्दों पर चर्चा हुई। सीएसजी में विदेश मंत्री एस जयशंकर, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत और सेना के तीनों अंगों के प्रमुख शामिल थे। 


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