आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को प्रोत्साहन के लिए बनी चार समितियां
चौथी समिति साइबर सुरक्षा, सेफ्टी, लीगल और एथिकल मुद्दों पर काम करेगी। आर्टिफिशियल इंटैलिजेंस के इस्तेमाल को बढ़ावा देने में साइबर सुरक्षा को लेकर काफी चिंता व्यक्त की जा रही है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी नई टेक्नोलॉजीको बढ़ावा देने के और इसके लिए एक नीतिगत ढांचा तैयार करने के लिए चार समितियों का गठन किया है। ये चारों समितियां अलग अलग विषयों पर विचार करेंगी और सरकार को अपने सुझाव देंगी। इनकी सिफारिशें मिलने के बाद सरकार इस मामले में अगला कदम उठाएगी।
इलेक्ट्रॉनिक व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने इन कमेटियों के गठन के साथ साथ इनके कामकाज का दायरा भी तय कर दिया है। पहली समिति आर्टिफिशियल इंटैलिजेंस के प्लेटफार्म और डाटा से संबंधित है। इस समिति का फोकस आर्टिफिशियल इंटैलिजेंस के लिए मॉडल, उसका ढांचा और इसके लिए आवश्यक प्लेटफार्म विकसित करने पर होगा। आइआइटी खड़गपुर के प्रोफेसर पीपी चक्रवर्ती इसके चेयरमैन होंगे। नेशनल इन्फॉरमेटिक्स सेंटर की महानिदेशक सुश्री नीता वर्मा इस समिति के सदस्यों में शामिल हैं।
दूसरी समिति प्रमुख क्षेत्रों में आर्टिफिशियल इंटैलिजेंस के लिए नेशनल मिशन की पहचान करने पर काम करेगी। आइआइटी बीएचयू के प्रोफेसर राजीव संगल इसके चेयरमैन बनाये गए हैं। इनके अलावा कमेटी में दस सदस्य भी शामिल किये गये हैं।
तीसरी समिति तकनीकी क्षमताओं की मैपिंग, सभी सेक्टरों के लिए किस प्रकार की नीतिगत जरूरतों पर काम करेगी। इसके अलावा स्किलिंग और री-स्किलिंग व इस क्षेत्र में आर एंड डी की आवश्यकताओं पर काम करेगी। नासकॉम के प्रेसिडेंट आर चंद्रशेखर इस कमेटी के चेयरमैन होंगे। कमेटी में चेयरमैन के अतिरिक्त छह सदस्य होंगे।
चौथी समिति साइबर सुरक्षा, सेफ्टी, लीगल और एथिकल मुद्दों पर काम करेगी। आर्टिफिशियल इंटैलिजेंस के इस्तेमाल को बढ़ावा देने में साइबर सुरक्षा को लेकर काफी चिंता व्यक्त की जा रही है। लिहाजा यह समिति इस मायने में सबसे महत्वपूर्ण होगी। आइआइटी भिलाई के निदेशक प्रोफेसर रजत मूना इस कमेटी के चेयरमैन होंगे।