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पत्थर के चूर्ण को 'यूरेनियम' बता तीन करोड़ रुपये में बेचने की कोशिश कर रहे चार गिरफ्तार

आरोपित एक मैकेनिक के संपर्क में थे और चार शीशियों में भरे पदार्थ को यूरेनियम बताकर बेचने का प्रयास कर रहे थे। आरोपितों ने मैकेनिक को इसकी कीमत तीन करोड़ रुपये बताई और कहा कि यह किसी बड़ी लैब में पांच करोड़ रुपये में बिक सकती है।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Tue, 23 Feb 2021 10:36 PM (IST)Updated: Tue, 23 Feb 2021 10:36 PM (IST)
पत्थर के चूर्ण को 'यूरेनियम' बता तीन करोड़ रुपये में बेचने की कोशिश कर रहे चार गिरफ्तार
निरीक्षक एमए सैयद के मुताबिक चारों आरोपित प्रॉपर्टी ब्रोकर हैं।

इंदौर, जेएनएन। मध्य प्रदेश के इंदोर शहर में स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने उत्तर प्रदेश के कानपुर निवासी चार ठगों को गिरफ्तार किया है। आरोपित तीन करोड़ रुपये में दो ग्राम 'यूरेनियम' बेचने की फिराक में थे। आरोपितों ने खदान से निकले विशेष प्रकार के पत्थर को बारीक पीसकर चमकदार बना लिया था। इसे महंगी धातु 'यूरेनियम' बताकर रुपये ऐंठने का प्रयास कर रहे थे।

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यूरेनियम का उपयोग परमाणु संयंत्रों में होता है। एसपी (एसटीएफ) मनीष खत्री के मुताबिक गिरफ्तार आरोपितों के नाम शम्मी पुत्र चंद्रप्रकाश राजपूत निवासी सराय मसवानपुर कानपुर (उप्र), योगेशचंद्र पुत्र नरेंद्र कुमार शुक्ला, सीमू पुत्र नरेंद्र कुमार शुक्ला और कमल पुत्र हीरालाल वर्मा, तीनों निवासी आवास विकास नंबर-3 कल्याणपुर कानपुर (उप्र) हैं।

आरोपित एक मैकेनिक के संपर्क में थे और चार शीशियों में भरे पदार्थ को यूरेनियम बताकर बेचने का प्रयास कर रहे थे। आरोपितों ने मैकेनिक को इसकी कीमत तीन करोड़ रुपये बताई और कहा कि यह किसी बड़ी लैब में पांच करोड़ रुपये में बिक सकती है। शक होने पर मैकेनिक ने एसटीएफ के सिपाही ओमवीर को सूचना कर दी। इसके बाद एसटीएफ ने जाल बिछाया और ग्राहक बनकर चारों को पकड़ लिया।

निरीक्षक एमए सैयद के मुताबिक चारों आरोपित प्रॉपर्टी ब्रोकर हैं। पूछताछ में इन लोगों ने बताया कि ये इसी तरह लोगों से ठगी करते हैं और एक युवक से पांच लाख रुपये ऐंठ चुके हैं। आरोपितों के बारे में कानपुर पुलिस को सूचना दे दी गई है।  

खदान से निकला चमकदार पत्थर

सैयद के मुताबिक आरोपितों ने किसी खदान से चमकदार पत्थर निकाला था। उसे बारीक पीसकर ब्राउन रंग का चमकदार पदार्थ बना लिया। छोटी-छोटी शीशीयों में भर लिया और कहा कि उन्होंने खुद चार करोड़ रुपये में इसे खरीदा है। शोध कर रहे वैज्ञानिक और लैब संचालकों को इसकी जरूरत रहती है। रुपयों की आवश्यकता और उन तक पहुंच न होने के कारण सस्ते दामों पर बेचनी पड़ रही है। निरीक्षक के मुताबिक जब्त पदार्थ की फोरेंसिक जांच करवाई जाएगी। प्रारंभिक पड़ताल में विशेषज्ञों ने भी पत्थर के मिश्रण की पुष्टि कर दी है।


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