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NEP 2020: स्कूली छात्रों के आकलन का बदलेगा फार्मूला, रचनात्मकता के आधार पर तैयार होंगे रिपोर्ट कार्ड

राष्ट्रीय शिक्षा नीति को तेजी से लागू कराने में जुटे शिक्षा मंत्रालय ने हाल ही में परीक्षाओं और मूल्यांकन को लेकर शिक्षाविदों के साथ एक लंबी चर्चा भी की है। इसमें मूल्यांकन के बदलावों को तुरंत लागू करने पर जोर दिया गया है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Thu, 08 Oct 2020 10:03 PM (IST)Updated: Fri, 09 Oct 2020 07:20 AM (IST)
NEP 2020: स्कूली छात्रों के आकलन का बदलेगा फार्मूला, रचनात्मकता के आधार पर तैयार होंगे रिपोर्ट कार्ड
आकलन के दौरान छात्रों की विशिष्टताओं को भी पहचाना जाएगा।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत स्कूली छात्रों की पढ़ाई भले ही साल 2022 से शुरू होगी, लेकिन इनकी पढ़ाई के आकलन का फार्मूला अगले साल यानी नए शैक्षणिक सत्र से बदल सकता है। फिलहाल इसे लेकर रायशुमारी का काम तेजी से चल रहा है। इसके तहत पहला आकलन छात्र खुद करेगा। दूसरा उसका कोई सहपाठी करेगा। तीसरा शिक्षक करेंगे। छात्रों की परख अब रटने-रटाने वाली परिपाटी के आधार पर नहीं, बल्कि रचनात्मकता के आधार पर होगी। इस दौरान छात्रों की विशिष्टताओं को भी पहचाना जाएगा, जिसका जिक्र रिपोर्ट कार्ड में विशेष रूप से किया जाएगा।

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राष्ट्रीय शिक्षा नीति को तेजी से लागू कराने में जुटे शिक्षा मंत्रालय ने हाल ही में परीक्षाओं और मूल्यांकन को लेकर शिक्षाविदों के साथ एक लंबी चर्चा भी की है। इसमें मूल्यांकन के बदलावों को तुरंत लागू करने पर जोर दिया गया है। इसके तहत छात्रों का मूल्यांकन अब तीन स्तरों पर अलग-अलग किया जाएगा। आकलन जिन विषयों पर केंद्रित होगा, उनमें प्रोजेक्ट वर्क, खोज आधारित अध्ययन में प्रदर्शन, क्विज, रोल प्ले, ग्रुप वर्क आदि शामिल होंगे। फिलहाल 10वीं और 12वीं को छोड़कर अन्य कक्षाओं में इसे लागू करने की तैयारी तेजी से चल रही है। योजना पर काम कर रहे शिक्षाविदों के मुताबिक स्कूलों में नई व्यवस्था के तहत छात्रों को जो रिपोर्ट कार्ड मिलेगा, उसके आधार पर उनकी भविष्य की राह तय करने में भी आसानी होगी।

10वीं की तरह 12वीं में भी गणित की पढ़ाई के मिलेंगे विकल्प

छात्रों को 10वीं की तरह 12वीं में भी गणित की पढ़ाई के लिए स्टैंडर्ड और बेसिक जैसे विकल्प मिलेंगे। एनसीईआरटी इसके लिए नया पाठ्यक्रम तैयार करने में जुटा है। माना जा रहा है कि इस व्यवस्था से छात्रों को आगे और भी विकल्प चुनने का मौका मिलेगा। अभी गणित के डर से काफी बच्चे 10वीं के बाद गणित छोडकर दूसरा विकल्प चुन लेते हैं। ऐसे में उनके पास आगे के विकल्प सीमित हो जाते हैं।


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