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Coal Scam Case: कोयला घोटाले में पूर्व मंत्री दिलीप रे दोषी करार, 14 अक्टूबर को सजा पर बहस

2017 में रे के अलावा कोयला मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों प्रदीप कुमार बनर्जी और नित्यानंद गौतम के साथ-साथ कैस्ट्रॉन टेक्नॉलजीज लिमिटेड और उसके डायरेक्टर महेंद्र कुमार अग्रवाल के खिलाफ धोखाधड़ी आपराधिक साजिश और विश्वास हनन का आरोप तय किया था।

By Manish PandeyEdited By: Published: Tue, 06 Oct 2020 11:43 AM (IST)Updated: Tue, 06 Oct 2020 11:43 AM (IST)
Coal Scam Case: कोयला घोटाले में पूर्व मंत्री दिलीप रे दोषी करार, 14 अक्टूबर को सजा पर बहस
अदालत 14 अक्टूबर को दोषियों की सजा की मात्रा पर बहस करेगी।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। पूर्व केंद्रीय कोयला राज्य मंत्री दिलीप रे (Dilip Ray) को मंगलवार को राउज एवेन्यू की एक विशेष अदालत (Special Court) ने कोयला घोटाले (Coal Scam Case) से जुड़े एक मामले में दोषी करार दिया है। यह मामला 1999 में झारखंड कोयला ब्लॉक के आवंटन में अनियमितता से जुड़ा है। विशेष न्यायाधीश भरत पराशर ने दिलीप रे को भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत दोषी पाया, जबकि अन्य को धोखाधड़ी और साजिश रचने का दोषी पाया गया है।

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विशेष अदालत ने उस समय कोयला मंत्रालय के दो वरिष्ठ अधिकारियों प्रदीप कुमार बनर्जी और नित्यानंद गौतम, कास्त्रोन टेक्नोलॉजी लिमिटेड (सीटीएल) और इसके निदेशक महेंद्र कुमार अग्रवाल को भी दोषी ठहराया है। विशेष अदालत 14 अक्टूबर को सजा पर बहस सुनेगी। मूलरूप से भुवनेश्वर के रहने वाले दिलीप रे अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में कोयला राज्यमंत्री थे। 1999 में झारखंड के गिरिडीह में 'ब्रह्माडीह कोयला ब्लॉक' के आवंटन में अनियमितता से जुड़े मामले में दिलीप रे को दोषी मानते हुए विशेष अदालत ने कहा कि गलत इरादे से कानूनी प्रावधानों को ताकपर रखा गया। दिलीप रे ने धोखेबाजी से सीटीएल को कोयला ब्लॉक का आवंटन किया। विशेष अदालत ने कहा कि तत्कालीन अधिकारियों ने भी कानून के दायरे से बाहर जाकर काम किया और अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन ठीक से नहीं किया।

क्या है मामला

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) ने आरोपपत्र में कहा था कि मई 1998 में सीटीएल ने कोयला ब्लॉक के लिए मंत्रालय में आवेदन किया था। कोल इंडिया लिमिटेड ने मंत्रालय को सूचित किया कि जिस जगह पर खनन के लिए आवेदन किया गया है, वहां खतरा है। क्योंकि वहां क्षेत्र पानी से भरा हुआ है। अप्रैल 1999 में कंपनी ने फिर से आवेदन किया और मंत्री दिलीप रे को नए आवेदन पर शीघ्रता से विचार करने की बात कही। मई 1999 से आवेदन फाइल दिलीप रे के मंत्रालय से तत्कालीन केंद्रीय कोयला सचिव के पास आई और वहां से तत्कालीन अतिरिक्त सचिव नित्या नंद गौतम के पास भेजी गई। गौतम ने अपने पिछले अवलोकन से यू टर्न ले लिया और कोयला ब्लॉक सीटीएल को आवंटित करने की सिफारिश की। सीटीएल को कोयला ब्लॉक तो मिल गया, लेकिन खनन की अनुमति नहीं मिलने के बावजूद खनन किया गया। 


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