रिलीज से पहले ही विवादों में घिरी फिल्म 'सोन चिड़िया', पूर्व डाकू ने जताई आपत्ति
मलखान सिंह का तर्क है कि फिल्म में तथ्यों के साथ छेड़छाड़ हुई है और चंबल को बदनाम किया जा रहा है।
ग्वालियर, राज्य ब्यूरो।पूर्व दस्यु मलखान सिंह और मानसिंह के पोते जंडेल सिंह ने 'सोन चिड़िया' फिल्म के रिलीज पर रोक लगाने के लिए हाई कोर्ट में याचिकाएं दायर की हैं।
मलखान सिंह का तर्क है कि फिल्म में तथ्यों के साथ छेड़छाड़ हुई है और चंबल को बदनाम किया जा रहा है। कहानी मलखान सिंह की दिखाई है और किरदार मान सिंह का बताया है। इसलिए फिल्म हमें दिखाई जाए, उसके बाद ही उसे रिलीज किया जाए। इस याचिका की सुनवाई 28 फरवरी को हो सकती है।
दस्यु मलखान सिंह ने 1982 में मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के समक्ष आत्मसमर्पण किया था। 'मलखान : द स्टोरी ऑफ ए बैंडिट किंग" किताब पूर्व दस्यु मलखान सिंह के जीवन पर ही लिखी गई है। इसी किताब में लिखी कहानी के आधार पर सोन चिड़िया फिल्म बनाई है। फिल्म में दस्यु मान सिंह की गैंग दिखाई गई है, लेकिन फिल्म में कहानी 'मलखान : द स्टोरी ऑफ ए बैंडिट किंग" किताब की बताई गई है।
इसे लेकर पूर्व दस्यु मलखान सिंह व दस्यु मानसिंह के पोते जंडेल सिंह ने आपत्ति जताई की है। उन्होंने निर्देशकों को अपनी अापत्ति भेजी, लेकिन उन्होंने ध्यान नहीं दिया। इसे लेकर दो अलग-अलग याचिकाएं दायर की गईं है। इनमें तर्क दिया गया है कि फिल्म में चंबल को बदनाम करने की कोशिश की गई है। मान सिंह की गैंग में एक महिला भी बताई गई है, जो गैंग में थी ही नहीं। इसलिए फिल्म पहले हमें दिखाई जाए। उसके बाद फिल्म को रिलीज किया जाए।
यह भी तर्क दिए याचिका में
- दस्युमानसिंह 1939 में चंबल के बीहड़ों में कूद गए थे और 1955 तक उनके नाम से चंबल के बीहड़ पहचाने जाते थे। 1955 में मान सिंह मारे गए। इटावा क्षेत्र में मान सिंह का मंदिर बना हुआ है।
- मलखान सिंह 1972 में बागी होकर चंबल के बीहड़ों में कूदे थे और चंबल के बीहड़ उनके नाम से पहचाने जाने लगे, लेकिन 1982 में उन्होंने आत्मसमर्पण कर दिया था।
- सोन चिड़िया फिल्म में दोनों की कहानी को जोड़ दिया गया है, जिस पर मलखान सिंह और मानसिंह के परिवार ने आपत्ति की है।