Jagran Impact: सचिन की दाढ़ी बनाने वाली बार्बर गर्ल्स की बदल गई जिंदगी, कई दिग्गज बने कस्टमर
मिलिए भारत की बार्बर शॉप गर्ल्स और उनके बनवारी टोला गांव से जहां वे समाज में व्याप्त लिंगभेद की रूढ़ियों को तोड़कर अपनी पीढ़ी के पुरुषों को प्रेरित कर रही हैं- उनकी हजामत करके..।
नई दिल्ली, अतुल पटैरिया। भारत के एक छोटे से गांव बनवारी टोला की दो लड़कियों नेहा और ज्योति ने नियति को चुनौती दी और सबकुछ हासिल कर लिया। लेकिन अस्तित्व की इस लड़ाई में उन्हें पता नहीं था कि उनके कार्यों का समाज पर दूरगामी और गहरा प्रभाव पड़ेगा...। मिलिए भारत की बार्बर शॉप गर्ल्स और उनके बनवारी टोला गांव से, जहां वे समाज में व्याप्त लिंगभेद की रूढ़ियों को तोड़कर अपनी पीढ़ी के पुरुषों को प्रेरित कर रही हैं- उनकी हजामत करके...।
उपरोक्त इंट्रोडक्शन वाला एक वीडियो यूट्यूब पर छा गया है। ‘शेविंगस्टीरियोटाइप’ हैशटेग से यह सोशल मीडिया पर भी तेजी से वायरल हो रहा है। यूट्यूब पर महीने भर में ही इसे एक करोड़ 64 लाख व्यूज मिल चुके हैं। दरअसल, गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) के बनवारी टोला गांव की नेहा और ज्योति नारायण नाम की ये दो किशोरियां जनवरी, 2019 में तब सुर्खियों में आईं, जब दैनिक जागरण ने अपनी विशेष संपादकीय शृंखला ‘उम्मीदें-2019’ के क्रम में इनकी संघर्ष गाथा को प्रकाशित किया।
फरहान अख्तर की दाढ़ी बनातीं नेहा। जागरण आर्काइव
बता दें कि नारी सशक्तीकरण जागरण समूह के सात सरोकारों में एक प्रमुख विषय है, जिस पर केंद्रित इस अतिप्रेरक कहानी- ‘‘ज्योति बार्बर : लड़का बन चलाती मर्दों का सलून’’ के प्रकाशित होने के बाद से लेकर अब तक, न केवल इन दो किशोरियों की सोच और जिंदगी पूरी तरह बदल गई है, बल्कि इनके इर्दगिर्द का रूढ़िवादी समाज भी बदला हुआ दिख रहा है। बनवारी टोला ही नहीं, आसपास के सैकड़ों गांव में एक बड़े सामाजिक बदलाव को आज स्पष्ट देखा जा सकता है। बदलाव की इस बड़ी कहानी को बयां करने के लिए नेहा और ज्योति शुक्रवार को दैनिक जागरण से पुन: मुखातिब थीं।
वापस पाई असल पहचान...
दोनों बहनों ने कहा कि वे अब खुलकर आम लड़कियों की तरह जी रही हैं। उन्हें अब तक लड़कों का वेश धारण कर करना पड़ रहा था, जिससे वह मुक्ति पा चुकी हैं। ज्योति के छोटे बाल अब सुंदर केशसज्जा ले चुके हैं, वह अब सामान्य लड़कियों की तरह ही अपनी पसंद के कपड़े पहनती है और शृंगार करती है। छोटी बहन नेहा भी अपने सहज स्वरूप की ओर लौट रही है। दोनों बहनों ने बीमारी से जूझते अपने पिता का सहारा बन गांव में शेविंग-कटिंग की पुश्तैनी दुकान को पूरे पांच साल तक लड़कों का वेश धर चलाया। लेकिन जब लोगों को पता चलने लगा कि ये तो लड़कियां हैं, तब दोनों हिम्मत हारने लगीं और दुकान बंद करने को विवश हो उठीं। ऐसे में दैनिक जागरण ने इनकी कहानी को समाज के सामने रखा। आज ये दोनों बहनें दुनियाभर में नारी सशक्तीकरण की दूत बन चुकी हैं।
अब बनती है वेटिंग लिस्ट...
नेहा ने बताया, हमारी दुकान तक अब दूरदूर से लोग पहुंच रहे हैं। स्थिति यह है कि वेटिंग लिस्ट बनानी पड़ती है। गांव में कभी लकड़ी के फट्टों से बनी वह दुकान आज आधुनिकतम सलून का रूप ले चुकी है। जिलेट के अलावा प्रशासन ने भी सहयोग किया और सिडबी ने भी आर्थिक सहायता मुहैया कराई है। भारत-रत्न सचिन तेंदुलकर की हजामत करते हुए बड़ी सी तस्वीर ‘नेहा-ज्योति बार्बरशॉप’ में लगाई गई है, जो लोगों को अचरज से भर देती है।
असर एक खबर का...
दैनिक जागरण में प्रकाशन के बाद यह कहानी देशविदेश के समाचार पत्रों और मीडिया में सुर्खियां बटोरती गई। साथ ही 26 अप्रैल को यूट्यूब पर यह शॉर्टफिल्म सामने आई। वैश्विक फर्म प्रॉक्टर एंड गैम्बल (पीएंडजी) के मेल ग्रूमिंग ब्रांड ‘जिलेट’ ने नारी सशक्तीकरण के अपने ग्लोबल कैंपेन के तहत यह सामाजिक विज्ञापन तैयार कराया। महान क्रिकेटर ‘भारतरत्न’ सचिन तेंदुलकर, जो कि जिलेट के ब्रांड एंबेसडर भी हैं के अलावा फिल्मकार फरहान अख्तर ने दोनों बहनों को प्रोत्साहित किया। उनका हौसला बढ़ाने के लिए उनसे शेव भी कराई।
सचिन तेंदुलकर ने कहा...
नेहा और ज्योति ने दैनिक जागरण को धन्यवाद देते हुए कहा कि जागरण की उस एक खबर के बाद दुनिया उनके लिए पूरी तरह बदल गई। कहा, आज हम अपनी पहचान छिपाने को विवश नहीं हैं और समाज से अपने हक का पूरा सम्मान हासिल कर रही हैं। दोनों ने बताया कि सचिन तेंदुलकर की शेव करना उनके लिए बड़े सम्मान की तरह है। बोलीं, सचिन ने हमें बहुत प्रोत्साहित किया। हमसे कहा तुमने देश की अनेक बेटियों को हौसला देने का काम किया है। मेरे पिता जी मुझसे कहा करते थे कि जो तुम्हें पसंद है तुम वही करने पर ध्यान दो और दुनिया की ओर मत देखो, तुम दोनों बहनों ने भी यही किया है। इसी हौसले के साथ जीवन में आगे बढ़ो...।
जागरण ने ज्वलंत पहलू को सामने रखा...
इस शॉर्ट फिल्म को बनाने वाली जिलेट की विज्ञापन एजेंसी ग्रे इंडिया के प्रेसीडेंट (नॉर्थ) केतन देसाई ने दैनिक जागरण से कहा, आपने नारी सशक्तीकरण से जुड़े एक ज्वलंत सामाजिक पहलू को देश के सामने रखा। हमने इसे विस्तार देने का प्रयास किया है। दुनियाभर से हमें इस पहल के लिए बेहतर प्रतिक्रिया मिल रही है। उम्मीद है कि इसके लिए हमें विज्ञापन जगत का सबसे प्रतिष्ठित कांस लॉयनअवार्ड भी मिल जाए। दैनिक जागरण की इस पहल को ग्रामीण पत्रकारिता के विस्तार और ग्रामीण समाज में इसकी महती भूमिका के रूप में भी आंका जा रहा है।
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