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फोटो टेंपरिंग मामले में कांग्रेस की पूर्व विधायक परुलेकर को दो साल कैद

जांच में पता चला कि परूलेकर द्वारा जो फोटो दिखाया गया, वो 18 अप्रैल 2010 को रांची स्थित मोहरावादी मैदान का है। फोटो में असल चेहरा संघ प्रमुख मोहन भागवत का था।

By Tilak RajEdited By: Published: Wed, 04 Oct 2017 11:14 AM (IST)Updated: Wed, 04 Oct 2017 11:14 AM (IST)
फोटो टेंपरिंग मामले में कांग्रेस की पूर्व विधायक परुलेकर को दो साल कैद

भोपाल, नईदुनिया। जिला अदालत ने कांग्रेस की पूर्व विधायक कल्पना परुलेकर को फोटो टेंपरिंग कर तत्कालीन लोकायुक्त जस्टिस पीपी नावलेकर का चेहरा संघ प्रमुख मोहन भागवत के चेहरे पर लगाने के मामले में दो साल कैद और 12 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। हालांकि अपर-सत्र न्यायाधीश अरविंद कुमार गोयल ने परूलेकर को सजा का फैसला सुनाने के बाद उन्हें हाई कोर्ट में अपील अवधि तक सक्षम जमानत पर छोड़ दिया है।

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अदालत ने अपने फैसले में कहा कि परूलेकर की हैसियत लोकतांत्रिक संवैधानिक संस्था के सदस्य की है, लेकिन ऐसे आचरण की किसी निर्वाचित जनप्रतिनिधि से कतई अपेक्षा नहीं की जा सकती है। इससे जन सामान्य में गलत संदेश जाता है। संवैधानिक पदों पर बैठे हुए व्यक्तियों को बिना किसी आधार के चरित्र हनन करने से मर्यादा को लांछन लगाने की प्रवृत्ति को प्रोत्साहन मिलता है। किसी भी राजनैतिक दल के सदस्य को इस बात की इजाजत नहीं दी जाना चाहिए कि वह अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने के नाम पर ऐसा असंवैधानिक काम करे। परूलेकर ने योजनाबद्घ तरीके से जानबूझकर ऐसा काम किया है, इसलिए दंड दिया जाना आवश्यक है, ताकि मात्र निर्वाचित जनप्रतिनिधि होने के कारण कोई भी राजनैतिक व्यक्ति इस प्रकार का आपराधिक कृत्य करने से दूर रहे।

यह है मामला
महिदपुर (उज्जैन) से निर्वाचित तत्कालीन कांग्रेस विधायक परूलेकर ने 29 नवंबर 2011 को विधानसभा शीतकालीन सत्र के दौरान पत्रकार वार्ता में तत्कालीन लोकायुक्त जस्टिस पीपी नावलेकर पर संघ से रिश्ता होने के आरोप लगाए थे। कहा था कि नावलेकर के ससुर बीजेपी सांसद हैं इसलिए संघ के दबाव के कारण ही उन्हें लोकायुक्त पद सौंपा गया है। अपनी बात को प्रमाणित करने के लिए परूलेकर ने पत्रकारों के बीच नावलेकर को संघ के गणवेश में प्रार्थना करते हुए दर्शाया था। शीतकालीन सत्र में कांग्रेस द्वारा सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था। विधानसभा में इस मुद्दे को लेकर पक्ष और विपक्ष में भी तीखी नोकझोंक हुई थी। आरोपों को लेकर अधिवक्ता गोपालकृष्ण दंडोतिया ने एसटीएफ थाने और साइबर थाने में लिखित शिकायत की थी। इसमें आरोप लगाया गया कि परूलेकर ने फोटो टेंपरिंग कर लोकायुक्त जस्टिस नावलेकर पर झूठे आरोप लगाए हैं।

ऐसे सामने आई सच्‍चाई
जांच में पता चला कि परूलेकर द्वारा जो फोटो दिखाया गया था, वह 18 अप्रैल 2010 को रांची (झारखंड) स्थित मोहरावादी मैदान का था। फोटो में असल चेहरा संघ प्रमुख मोहन भागवत का था, जो संघ के समागम कार्यक्रम में प्रार्थना करते हुए दिखाई दे रहे थे। परूलेकर ने इसी फोटो में कम्प्यूटर और इलेक्ट्रॉनिक्स डिवाइस के माध्यम से भागवत के चेहरे के स्थान पर नावलेकर का चेहरा लगा दिया था। परूलेकर के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज किया गया। बाद में मामला सीआईडी को सौंप दिया गया था।

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