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ईसाई रीति से दफनाए गए थे पूर्व सीएम अजीत जोगी, अब वसीयत में जताई इच्छा भी की गई पूरी

पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के आदिवासी होने का प्रमाण पत्र राज्य की उच्च स्तरीय छानबीन समिति ने रद कर दिया था। इसके बाद जोगी के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कराया गया था।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Tue, 02 Jun 2020 09:49 PM (IST)Updated: Tue, 02 Jun 2020 09:49 PM (IST)
ईसाई रीति से दफनाए गए थे पूर्व सीएम अजीत जोगी, अब वसीयत में जताई इच्छा भी की गई पूरी
ईसाई रीति से दफनाए गए थे पूर्व सीएम अजीत जोगी, अब वसीयत में जताई इच्छा भी की गई पूरी

बिलासपुर, जेएनएन। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी का अंतिम संस्कार ईसाई रीति रिवाज से गौरेला स्थित ग्रेवी यार्ड में किया गया था। अब मंगलवार को उनके परिजनों ने कलश यात्रा निकाली । बताया जा रहा है कि कलश में कब्र की मिट्टी रखी गई, जिसे नदियों में विसर्जित किया गया। गौरतलब है कि उनका गत दिनों निधन हो गया था।

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मंगलवार को स्व. जोगी की पत्नी व कोटा की विधायक डॉ.रेणु जोगी, पुत्र अमित जोगी, लोरमी के विधायक धर्मजीत सिंह की मौजूदगी में दोपहर 12 बजे गौरेला स्थित ग्रेवी यार्ड से कलश यात्रा निकली गई। यात्रा जलेश्वर मार्ग होते हुए अमरकंटक रामघाट, अरंडी संगम नर्मदा नदी व सोनमुड़ा सोननदी से केवची होकर पीढ़ा तक गई। यात्रा के दौरान माहौल पूरी तरह गमगीन था। परिजनों के साथ ही समर्थकों और जोगी परिवार के करीबियों के चेहरे पर मायूसी छाई हुई थी। अमरकंटक अरंडी संगम में अमित जोगी ने पिंडदान किया। इसके बाद संगम में परिजनों और करीबियों की मौजूदगी में मिट्टी प्रवाहित की गई । संगम के अलावा सोनमुड़ा,अचानकमारऔर पीढ़ा में भी मिट्टी प्रवाहित की गई।

वसीयत में जताई थी इच्छा

स्व. अजीत जोगी के विधायक प्रतिनिधि ज्ञानेंद्र उपाध्याय ने बताया कि उन्होंने वसीयत में इच्छा जताई थी कि कब्र से मिट्टी लेकर नर्मदा अरंडी संगम के अलावा सोनमुड़ा,अचानकमार और पीढ़ा में मिट्टी प्रवाहित की जाए। उनकी इच्छा के अनुसार कलश यात्रा निकाली गई।

जाति विवाद से जूझते रहे जोगी

पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के आदिवासी होने का प्रमाण पत्र राज्य की उच्च स्तरीय छानबीन समिति ने रद कर दिया था। इसके बाद जोगी के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कराया गया था। जोगी ने इस कार्यवाही को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। इस बीच जोगी के निधन के बाद उनका अंतिम संस्कार ईसाई रीति से होने और अब कलश यात्रा निकाले जाने को लेकर राजनीतिक निहितार्थ भी निकाले जा रहे हैं।


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